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Saturday, 11 May, 2024
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हैदरपोरा मुठभेड़: मारे गए नागरिकों के परिवारों ने किया प्रदर्शन, शव लौटाने की मांग की

पुलिस के मुताबिक एक पाकिस्तानी आतंकवादी और उसके स्थानीय सहयोगी मोहम्मद आमिर और दो नागरिक अल्ताफ भट और मुदस्सर गुल मुठभेड़ में मारे गए थे जहां एक अवैध कॉल सेंटर और एक आतंकी ठिकाना कथित तौर पर चलाया जा रहा था.

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श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में श्रीनगर के हैदरपोरा में हुई मुठभेड़ में मारे गए दो नागरिकों के परिवारों ने बुधवार को यहां विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने पीड़ितों के लिए न्याय और उनके शवों को लौटाने की मांग की.

मारे गए दो नागरिकों के बारे में परस्पर विरोधी दावों के बाद हैदरपुरा में सोमवार की मुठभेड़ को लेकर विवाद पैदा हो गया था क्योंकि उनके परिवार के सदस्यों ने पुलिस के इस आरोप का विरोध किया था कि वो ‘आतंकवादियों के सहयोगी’ थे.

पुलिस के मुताबिक, एक पाकिस्तानी आतंकवादी और उसके स्थानीय सहयोगी मोहम्मद आमिर और दो नागरिक अल्ताफ भट और मुदस्सर गुल मुठभेड़ में मारे गए थे जहां एक अवैध कॉल सेंटर और एक आतंकी ठिकाना कथित तौर पर चलाया जा रहा था.

भट और गुल के परिवारों ने बुधवार को शहर के प्रेस एन्क्लेव में विरोध प्रदर्शन किया और मांग की कि उनके परिजन के शव उन्हें लौटाए जाएं क्योंकि वो आतंकवादी नहीं थे.

पुलिस ने कहा था कि मुठभेड़ में मारे गए चारों लोगों के शव उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा इलाके में दफनाए गए हैं.

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अल्ताफ भट के भाई अब्दुल माजिद ने कहा कि एक ‘नंबरदार’ (राजस्व अधिकारी) के रूप में वह लगातार पुलिस के संपर्क में रहते है और अगर उनका भाई आतंकवाद में शामिल होता तो वो पुलिस को जरूर बताते. उन्होंने कहा, ‘वह (भट) पिछले 30 सालों से हैदरपोरा बाईपास में कारोबार कर रहा था. उन्होंने भवन किराए पर दिया और हमने उनका  सत्यापन पुलिस थाने सदर में कराया था. अगर कुछ होता तो पुलिस को हमसे संपर्क करना चाहिए था.’

माजिद ने कहा कि उनका भाई एक बिल्डर, करदाता और एक निर्दोष शख्स था. उन्होंने कहा, ‘आप पूरे इलाके में सत्यापित कर सकते हैं. पुलिस उसे जानती थी, वे हर दिन उसके घर जाते थे, उसके साथ चाय पीते थे, वो उसकी पहचान को वेरिफाइड कर सकते थे.’

उन्होंने सोमवार को कहा कि ‘कार्यबल (जम्मू कश्मीर पुलिस की आतंकवाद रोधी इकाई जिसे विशेष अभियान समूह के रूप में जाना जाता है) आया और उनके भाई को इमारत में तलाशी के लिए तीन बार ले गया.

परिवार ने न्याय और उसका शव लौटाने की मांग की है. माजिद ने कहा, ‘हम उपराज्यपाल से अपील करते हैं, उनसे अनुरोध करते हैं कि सत्यापित करें और अगर मेरे भाई के खिलाफ कुछ भी है, तो वह मुझे शहर के बीचों-बीच सार्वजनिक रूप से फांसी दे सकते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘वो निर्दोष था, एक नागरिक था, आतंकवादी नहीं. हमें जवाब चाहिए, हमें न्याय चाहिए. हमें उसका शव चाहिए. सरकार, आतंकवादी, निर्दोष लोगों को क्यों मार रहे हैं?”

मुदस्सर गुल की पत्नी हुमैरा मुदस्सर ने कहा कि उसका पति निर्दोष था. उन्होंने कहा, ‘हम न्याय चाहते हैं. उसकी पत्नी, उसके माता और पिता को न्याय दो. उनकी एक साल की बेटी इनाया मुदस्सर को इंसाफ दो.’

प्रदर्शन में शामिल हुए अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) के वरिष्ठ नेता शीबन अशाई ने कहा कि पुलिस ने नागरिकों का मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया है. उन्होंने कहा, ‘मैं उपराज्यपाल और भारत के गृह मंत्री अमित शाह से पूछना चाहता हूं कि उनकी निगरानी में दो निर्दोष नागरिक मारे गए. वो गोलीबारी में कैसे मारे गए? जब सुरक्षा बल उन्हें तलाशी के लिए ले गए तो उन्हें सुरक्षात्मक उपकरण क्यों नहीं दिए गए? इसका मतलब है कि उन्हें मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया गया था. पुलिस की कहानी में यही सबसे बड़ी खामी है.’

इस बीच, नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि नागरिकों को इसलिए मारा गया क्योंकि उन्हें नुकसान पहुंचाया गया था.


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अब्दुल्ला ने ट्विटर पर लिखा, ‘पुलिस मानती है कि वे इमारत के मालिक (अल्ताफ) और किराएदार (गुल) को इमारत में ले गए और दरवाजे खटखटाने के लिए उनका इस्तेमाल किया. फिर इन लोगों को आतंकवादी कैसे कहा जा सकता है? वो नागरिक हैं जो मारे गए क्योंकि उन्हें नुकसान पहुंचाया गया था.’


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