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Tuesday, 26 March, 2024
होमहेल्थदिल्ली-NCR में एक हफ्ते में प्रदूषण संबंधी बीमारियों का इलाज कराने वालों की संख्या हुई डबलः सर्वे

दिल्ली-NCR में एक हफ्ते में प्रदूषण संबंधी बीमारियों का इलाज कराने वालों की संख्या हुई डबलः सर्वे

लोकलसर्किल के पिछले हफ्ते जारी सर्वे में 22 फीसदी उत्तरदाताओं को यह कहते पाया गया था कि उन्हें प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए डॉक्टर के पास या अस्पताल जाना पड़ा. इस हफ्ते यह संख्या 44% पर पहुंच गई है.

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नई दिल्ली: लोकलसर्किल के एक सर्वे से पता चला है कि इस हफ्ते दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण संबंधी बीमारियों के कारण 44 प्रतिशत परिवारों को डॉक्टर के पास या अस्पताल जाना पड़ा है. पिछले हफ्ते इसी सामुदायिक मंच के एक अन्य सर्वे में ऐसे परिवारों का आंकड़ा 22 प्रतिशत रहा था जो अब बढ़कर दोगुना हो गया है.

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र पिछले करीब दो हफ्तों से धुंध में घिरा है, पांच शहरों—दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद से मिलकर बने एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 300 से 1,000 के बीच बना हुआ है.

ताजा सर्वे में यहां के लोगों से पूछा गया था कि वे या उनके परिवार वायु प्रदूषण से कैसे निपट रहे हैं. इसके जवाब में 33 फीसदी लोगों ने कहा, ‘हममें से एक या एक से अधिक लोगों को डॉक्टर के पास जाना पड़ा है’, और 11 प्रतिशत ने कहा ‘हममें से एक या एक से अधिक लोगों को किसी डॉक्टर के पास या अस्पताल जाना पड़ा.’

कुल मिलाकर, 86 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि प्रदूषित हवा के कारण उनके परिवार में कोई न कोई सदस्य बीमारी का सामना कर रहा है. इन बीमारियों में सांस लेने में तकलीफ, कंजेशन, खांसी, गले में खराश, आंखों में जलन आदि शामिल हैं.

सर्वे में 32 फीसदी उत्तरदाताओं ने कहा कि उनके गले में खराश, खांसी-जुकाम या आंखों में जलन की समस्या हो रही है, जबकि 7% ने कहा कि वे सिरदर्द या नींद में खलल से परेशान हैं. 20 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.

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क्या लॉकडाउन से मदद मिलेगी?

सर्वे में यह भी पूछा गया कि क्या वायु गुणवत्ता सूचकांक के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के मद्देनजर दिल्ली-एनसीआर के निवासी तत्काल प्रभाव से तीन दिन के पूर्ण लॉकडाउन के विचार का समर्थन करते हैं.

जवाब में 48 फीसदी ने हां कहा और 52 फीसदी ने कहा कि वे इसके पक्ष में नहीं हैं..

इस विचार से असहमति जताने वाले तमाम उत्तरदाताओं का कहना था कि चूंकि एक्यूआई उच्च स्तर पर पहुंचने की प्रमुख वजह पराली जलाना है, इसलिए दिल्ली में लॉकडाउन लागू करने से कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला है.

लॉकडाउन के समर्थन करने वालों का तर्क है कि यद्यपि पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण की समस्या को तो सीमित समय में दूर नहीं किया जा सकता है लेकिन वाहनों और निर्माण जैसी तमाम गतिविधियों पर रोक लगने से प्रदूषण का स्तर घटाने में काफी हद तक मदद मिल सकती है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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