scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होमदेशनक्सलवाद, गरीबी और पिछड़ेपन का पर्याय बन चुका दंतेवाड़ा कैसे बनेगा रेडीमेड गारमेंट्स हब

नक्सलवाद, गरीबी और पिछड़ेपन का पर्याय बन चुका दंतेवाड़ा कैसे बनेगा रेडीमेड गारमेंट्स हब

गारमेंट्स हब युवाओं और महिलाओं को नक्सलियों के दुष्प्रचार से दूर रखने में मददगार साबित होगा.

Text Size:

रायपुर: नक्सलवाद, पिछड़ापन और गरीबी का पर्याय बन चुके छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा जिला रेडीमेड कपड़ों का एक हब बनने की तैयारी कर रहा है.

स्थानीय महिलाओं और जिला प्रशासन के प्रयास से इस क्षेत्र में नवा दंतेवाड़ा गारमेंट्स फैक्ट्री की चार यूनिट स्थापित की जाएंगी जहां करीब 1000 से अधिक गरीब महिलाओं को रोजगार मिलेगा और फैक्ट्री अपना कारोबार बढ़ाएगी. फैक्ट्री के कपड़ों का ब्रांड DANNEX नाम से रजिस्टर्ड किया गया है.

फैक्ट्री की पहली इकाई जिले के गीदम ब्लॉक में स्थापित हो चुकी है लेकिन अभी उत्पादन का काम शुरू नही हुआ है.

फैक्ट्री में रजिस्टर्ड महिलाओं का अभी औद्योगिक उत्पादन की विधियों का प्रशिक्षण चल रहा है. प्रशिक्षण के 45 दिनों की अवधि पूरी होने पर इनमें महिलाओं को 3500 रुपए की प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी.

प्रशासन का मानना है कि दंतेवाड़ा जिले में गारमेंट हब स्थापित होने से बेरोजगार युवाओं और युवतियों का माओवादियों के प्रति झुकाव रोकने में भी मदद मिलेगी.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

स्थानीय अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि फैक्ट्री में ट्रेनिंग ले रही सभी महिलाएं गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जीवन यापन करने वाली हैं जिन्हें सिलाई और टेलरिंग का काम पहले से आता था लेकिन उनके पास रोजगार का कोई स्थायी साधन नहीं था. साथ ही उन्हें कपड़ों के औद्योगिक उत्पादन की कोई जानकारी नहीं थी जिसका अब उनको प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

दंतेवाड़ा के जिला कलेक्टर दीपक सोनी ने दिप्रिंट को बताया, ‘नवा दंतेवाड़ा गारमेंट्स फैक्ट्री की परिकल्पना दंतेवाड़ा जिले में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों के आर्थिकी में सुधार लाने के लिए जिला प्रशासन ने ‘एक व्यक्ति एक परिवार, गरीबी उन्मूलन का होगा सपना साकार ‘ अभियान से हुई.’

उन्होंने कहा, ‘इसके तहत प्रशासन ने पहले एक सर्वे के माध्यम से महिलाओं को चिन्हित किया और फिर उनकी दक्षता के उचित उपयोग के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाया गया. वर्तमान में करीब 150 महिलाएं प्रशिक्षण ले रही हैं. ट्रेनिंग के बाद उत्पादन का काम शुरू किया जाएगा. करीब 100 सिलाई मशीनों वाली फैक्ट्री की पहली यूनिट स्थापित हो चुकी है, तीन और यूनिट्स आने वाले 3-4 महीनों में कार्यरत हो जाएंगी.’

सोनी का कहना है कि जिले में गारमेंट्स हब भविष्य में युवाओं और युवतियों को नक्सलियों के दुष्प्रचार से दूर रखने में मददगार साबित होगा.

सोनी ने कहा, ‘माओवादियों के साथ जाने वाले ज्यादातर बेरोजगार युवक होते हैं. यदि उन्हें सम्मानजनक रोज़गार मिलेगा तो वे गलत रास्तों पर क्यों जाएंगे. इससे हम समय रहते स्थानीय युवा पीढ़ी को नक्सलवाद की राह पर जाने से रोक सकेंगे.’

फैक्ट्री में प्रशिक्षण ले रही गुमड़ गांव की राधा मंडावी कहतीं हैं कि, ‘पिछले साल काम करने के लिए त्रिपुरा चली गई थी लेकिन कोरोना की वजह से वापस आना पड़ा. उसके बाद कोई काम नहीं था. इस फैक्ट्री के बारे में पता चला तो यहां आ गई. अब नौकरी मिलेगी तो बाहर नहीं जाना पड़ेगा और परिवार में माता-पिता और भाई बहनों की मदद अपने घर में रहकर कर पाऊंगी.’

गीदम ब्लॉक की रहने वाली सोनू सेठिया कहतीं हैं, ‘मेरे मां बाप चाहते थे कि मैं कुछ सीखूं. यहां बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है. यहां पर में अच्छे-अच्छे डिज़ाइन सीखना चाहती हूं. ट्रेनिंग के बाद यहीं पर काम करना चाहती हूं.’

संजू कश्यप कहतीं हैं, ‘मेरे घर में कोई कमाने वाला नहीं है. मुझे पता चला कि यहां पर फैक्ट्री खुली है तो मैं यह काम ट्रेनिंग करने आ गई हूं. मैं यहां सीखूंगी और काम भी करूंगी. इससे मैं घरवालों की मदद कर पाऊंगी.’

ऐसा ही कहना है कार्ली गांव की रहने वाली 20 वर्षीया मीना और शांति कश्यप का. मीना कहती हैं, ‘मेरे परिवार में माता पिता के अलावा हम चार भाई बहन हैं. भाईयों की कमाई इतनी नहीं है कि घर अच्छे से चल सके. इसलिए मैं फैक्ट्री में ट्रेनिंग करने आ गई. काम सीखने के बाद यहां नौकरी मिलेगी तो ठीक है नहीं तो खुद का काम करूंगी और परिवार की सहायता करूंगी.’


यह भी पढ़ें: सिर्फ कृषि कानून नहीं बल्कि गन्ने की कीमत और भुगतान में देरी भी पश्चिमी UP में किसानों का गुस्सा बढ़ा रहा है


फैक्ट्री का ब्रांड होगा DANNEX, Trifed और एनएमडीसी करेंगे ब्रांडिंग

दीपक सोनी ने बताया, ‘जिला प्रशासन द्वारा कंपनी एक्ट के तहत फॉर्मर्स प्रोड्यूसर्स ऑर्गनाइजेशन (एफपीओ) नामक संस्था का रजिस्ट्रेशन किया गया है जो स्थानीय ट्राइबल कृषकों द्वारा निर्मित सभी प्रकार के सामानों का व्यापार करेगी. इसके तहत ही नवा दंतेवाड़ा गारमेंट्स फैक्ट्री DANNEX ब्रांड के गारमेंट्स बनाने का काम करेगी. इस पूरी योजना को अंजाम देने के लिए 6 महीनों से ज्यादा का वक्त लगा है.’

सोनी के अनुसार, ‘DANNEX की शुरुआती ब्रांडिंग केंद्रीय संस्थान ट्राइफेड (TRIFED), एनएमडीसी केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और राज्य पुलिस करेंगे. फैक्ट्री और इन संस्थानों के बीच ड्रेस मैटेरियल्स आउटसोर्स करने का करार हो चुका है. ट्राइफेड अपने दूसरे प्रोडक्ट्स भी डेनेक्स को आउटसोर्स करेगा.’

फैक्ट्री के कोऑर्डिनेटर बसंत शर्मा कहते हैं, ‘डेनेक्स ब्रांड को ‘दंतेवाड़ा नेक्स्ट’ के स्लोगन से लिया गया है. ब्रांड का नाम आधुनिक बाजार की आवश्यकता के अनुसार चुना गया है जिसकी उपभोक्ताओं के बीच एक अपील होगी. समय के अनुसार इसके मार्केटिंग की भी पूरी व्यवस्था की जा रही है. शुरुआत में DANNEX के करीब 7-8 किस्म के उत्पाद ही तैयार किए जा रहे हैं. इममें शर्ट, टीशर्ट, कुर्ते, महिलाओं के सूट्स और कुर्तियां शामिल हैं लेकिन बाद में इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी.’

DANNEX उत्पादों की कीमत होगी ₹700-1200 के बीच

अधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर DANNEX के कपड़े देश के मध्यम आय वर्ग के उपभोक्ता को ध्यान में रखकर तैयार किए जा रहे हैं.

बसंत शर्मा के अनुसार, ‘कपड़ों की कीमत लगभग ₹700-1200 के बीच रहेगी क्योंकि कपड़े का सबसे बड़ा उपभोक्ता वर्ग इसी कीमत पर खरीददारी करता है. हालांकि यह अंतिम निर्णय नहीं है. कपड़ों के गुणवत्ता में किसी प्रकार का समझौता नहीं होगा क्योंकि बाज़ार में पहले से स्थापित ब्रांडों के साथ हमें मुकाबला करना है.’

गुजरात और महाराष्ट्र से आएगा कच्चा माल

DANNEX रेडीमेड गारमेंट्स बनाने के लिए नवा दंतेवाड़ा गारमेंट्स फैक्ट्री कपड़े मुंबई और अहमदाबाद से आयात करेगी.

अधिकारियों के अनुसार आयात होने वाले कच्चे माल की क्वांटिटी अभी निर्धारित नहीं की गई है लेकिन इसे जल्द ही कर लिया जाएगा. फैक्ट्री को मिलने वाले आर्डर के अनुसार इसमें बदलाव भी किया जा सकता है.


यह भी पढ़ें: ट्विटर इंडिया पॉलिसी हेड ने दिया इस्तीफ़ा, फर्म ने कहा, ‘सरकार की चेतावनी से नहीं कोई संबंध’


 

share & View comments