scorecardresearch
Sunday, 22 December, 2024
होमदेशदूसरे राज्यों से BPSC शिक्षक भर्ती परीक्षा देने बिहार आए अभ्यर्थियों की कैसे मदद कर रहे हैं राजू खान

दूसरे राज्यों से BPSC शिक्षक भर्ती परीक्षा देने बिहार आए अभ्यर्थियों की कैसे मदद कर रहे हैं राजू खान

हाजीपुर के सराय निवासी राजू खान बीपीएससी द्वारा आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षा के लिए दूसरे राज्यों से आने वाले सैकड़ों छात्र-छात्राओं के रहने- खाने और उन्हें परीक्षा केंद्र तक छोड़ने के लिए निशुल्क वाहन की व्यवस्था कर रहे हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: उत्तरप्रदेश के प्रयागराज निवासी धर्मेंद्र कुमार अपने जीवन में पहली बार बिहार गए थे. धर्मेंद्र बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षा देने के लिए बिहार गए थे. उनका परीक्षा केंद्र हाजीपुर था लेकिन वह संशय में थे कि हाजीपुर में रुके कहां, क्योंकि वहां उनके पहचान का कोई नहीं था. अचानक से उनके एक मित्र ने, जो खुद परीक्षा देने पहली बार बिहार जा रहे थे, एक मैसेज उन्हें फारवर्ड किया, जिसमें लिखा था कि हाजीपुर आने वाले सभी परीक्षार्थियों को मुफ्त खाना, रहना और परीक्षा केंद्र तक पहुंचने के लिए मुफ्त वाहन उपलब्ध करवाया जाएगा. पहले तो धर्मेंद्र को विश्वास नहीं हुआ लेकिन जब मैसेज में लिखे नंबर पर फोन किया गया तो दूसरी ओर से विश्वास दिलाया गया कि यह मैसेज सही है. फोन पर दूसरी ओर से कहा गया कि आप हाजीपुर परीक्षा देने आते हैं तो आपको हमारी ओर से सारी सुविधा मुफ्त में दी जाएगी.

दरअसल फोन पर जिनसे धर्मेंद्र की बात हो रही थी वह हाजीपुर निवासी डॉ राजू खान थे जो हाजीपुर के सराय में दिल्ली पब्लिक स्कूल चलाते हैं. राजू खान हाजीपुर के काफी प्रसिद्ध समाजसेवी हैं और पहले भी अलग-अलग लोगों की मदद करते रहे हैं. इसबार जब उन्हें पता चला कि दूसरे राज्य से बिहार के विभिन्न शहरों में शिक्षक भर्ती की परीक्षा देने के लिए छात्र-छात्राएं आ रही हैं और उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो उन्होंने अपने स्कूल में बाहर से आनेवाले सभी छात्र-छात्राओं के रहने, खाने की व्यवस्था करने का निर्णय लिया. राजू खान ने अपने स्कूल के सभी कमरों में सोने की व्यवस्था की. साथ ही बाहर से कारीगर मंगा कर सबके खाने की व्यवस्था की. इतना ही नहीं दूसरे राज्यों से आए अभ्यर्थियों को शहर के बारे में पता नहीं था जिसके चलते उन्होंने अपने स्कूल वैन से सबको उनके परीक्षा केंद्र तक पहुंचाया.

धर्मेंद्र उन 300 से अधिक छात्र-छात्राओं में शामिल थे जो हाजीपुर में परीक्षा देने के दौरान राजू खान के स्कूल पर रूके थे.


यह भी पढ़ें: ‘कई विसंगतियां, हिंदी शीर्षक असंवैधानिक’, आपराधिक कानून से जुड़े नए बिल पर विपक्षी सांसदों की आपत्ति


‘समाजसेवा करना अच्छा लगता है’

दिप्रिंट से बात करते हुए राजू खान कहते हैं कि यह कोई पहली बार नहीं है जब हमने लोगों की मदद की है.

उन्होंने कहा, “जब कोरोना महामारी का दौर था तब भी हमने दूसरे राज्यों से आने वाले हजारों प्रवासियों की मदद की. उसके बाद हमने लोगों को ऑक्सीजन की व्यवस्था करवाई. साथ ही हमने महामारी के दौरान गरीबों को राशन उपलब्ध करवाई. हम पहले से ही लोगों की सेवा कर रहे हैं.”

राजू खान आगे कहते हैं, “मैं पहले साउदी अरब में रहता था जहां मैंने लोगों को दिक्कतों का सामना करते देखा. साउदी से जब मैं यहां लौटा तो मैंने स्कूल खोला. मैं अभी सिर्फ एक स्कूल चलाता हूं जिसमें लगभग 500 बच्चे पढ़ रहे हैं. विदेश से लौटने के बाद ही मुझे लगा कि लोगों की मदद करनी चाहिए. इंसान की मदद से बड़ा कोई काम नहीं है. मेरे स्कूल में कई गरीब बच्चों की फीस नहीं ली जाती है. साथ ही उनकी पढ़ाई लिखाई संबंधित सभी चीजें मुफ्त में उपलब्ध करवाई जाती है. हमने कई बच्चे-बच्चियों को गोद ले रखा है, जिसका पूरा खर्च मैं उठाता हूं. जो भी हमें पुकारेगा, हम दौड़ के जायेंगे.”


यह भी पढ़ें: BRICS का विस्तार हो चुका है, अब यह अमेरिका विरोधी गुट नहीं बन सकता. संतुलन बनाना भारत पर निर्भर है


छात्र-छात्राओं के खाने से लेकर परीक्षा केंद्र तक पहुंचने की मुफ्त व्यवस्था

धर्मेंद्र की तरह एक और छात्र अजीत यादव ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि अगर उन्हें राजू खान के द्वारा उपलब्ध कराई जा रही मुफ्त व्यवस्था के बारे में पता नहीं चलता तो वह मुश्किल में फंस जाते. अजीत कहते हैं, “जब हमारा परीक्षा केंद्र हाजीपुर पड़ा तो मैं मुश्किल में पड़ गया, क्योंकि मैं इससे पहले कभी बिहार नहीं गया था. मैंने अपने हिसाब से पता करने की कोशिश की तो पता चला कि शहर के सारे होटल और लॉज पहले ही भर चुके हैं. यह जानने के बाद मैं काफी परेशान था कि परीक्षा के दौरान मैं रहूंगा कहां. लेकिन अचानक से फेसबुक पर मैंने राजु खान का पोस्ट देखा जिसमें उन्होंने बाहर से आने वाले छात्र-छात्राओं की मदद की बात कही थी. इसके बाद उनसे मैंने संपर्क किया.”

अजीत आगे कहते हैं, “मैंने इससे पहले भी कई परीक्षाएं दी हैं और कई प्रतियोगी परीक्षा देने के लिए अलग-अलग शहर जा चुका हूं, लेकिन ऐसा मैंने पहली बार देखा जब एक अनजान व्यक्ति सैकड़ों छात्र-छात्राओं की मदद पूरे निस्वार्थ भाव से कर रहा है.”

राजू खान के स्कूल पर रूकने वाले छात्रों के मुताबिक वहां करीब 250 से अधिक छात्र और लगभग 50 छात्राएं रुकी थीं. सभी छात्र-छात्राओं को रहने, खाने और परीक्षा केंद्र तक मुफ्त में छोड़ा गया. इसमें से अधिकतर छात्र-छात्राएं बिहार के बाहर दूसरे राज्यों के रहने वाले थे, और वह पहली बार ही बिहार गए थे.

बता दें कि बिहार सरकार ने पहली बार बिहार में शिक्षकों की भर्ती के लिए बीपीएससी के माध्यम से परीक्षा आयोजित करवाई है. साथ ही पहली बार बिहार में दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों को भी इस परीक्षा में शामिल होने का मौका मिला है. परीक्षा की तिथि 24-25 और 26 अगस्त रखी गई. इससे पहले बिहार में शिक्षक केवल बिहार के निवासी ही बन सकते थे, लेकिन इस साल बिहार सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर इस नियम को बदल दिया. इसके चलते दूसरे राज्यों के भी लाखों अभ्यर्थी इस परीक्षा देने के लिए बिहार के विभिन्न शहर पहुंचे थे.


यह भी पढ़ें: मोदी, नेहरू के ‘ग्लोबल साउथ’ को वापस लाए हैं, लेकिन यह भूगोल, भू-राजनीति, अर्थशास्त्र पर खरा नहीं उतरता


share & View comments