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Monday, 23 December, 2024
होमदेशसुबह 8 बजे से आधी रात तक 'अदृष्य' अमित शाह चुपचाप कोविड-19 महामारी से भारत की लड़ाई लड़ रहे हैं

सुबह 8 बजे से आधी रात तक ‘अदृष्य’ अमित शाह चुपचाप कोविड-19 महामारी से भारत की लड़ाई लड़ रहे हैं

सीएम को फोन करने से लेकर कोविड पैनल के फीडबैक लेने तक, एमएचए के अधिकारियों का कहना है कि अमित शाह देशभर में लॉकडाउन और कोविड-19 संकट से जुड़े सभी मुद्दों की समीक्षा कर रहे हैं.

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नई दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जो कि कोरोनावायरस से संबंधित सारा काम-काज अपने घर में स्थापित कंट्रोल रूम से कर रहे थे अब नॉर्थ ब्लॉक के अपने दफ्तर से काम देख रहे हैं.

गृह मंत्रालय जिसका नेतृत्व शाह करते हैं, सभी कोविड-19 से जुडे़ काम का नोडल मंत्रालय है.

गृह मंत्रालय के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि शाह पिछले 10 दिनों से अपने दफ्तर आ रहे हैं. वो रोज सुबह 8.30 पर रायसीना हिल्स स्थित नॉर्थ ब्लॉक के अपने दफ्तर पहुंच जाते हैं और मध्य रात्रि के बाद तक काम करते रहते हैं. इसमें एडवाइजरी को हरी झंडी देना, निर्देश देना, मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन्स और सबसे महत्वपूर्ण केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करना शामिल है.


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दिन के पहले हिस्से में वे गृह सचिव एके भल्ला के साथ विस्तृत मीटिंग करते हैं और 4 बजे के बाद ज्वाइंट सेक्रेटरीज के साथ जो कि 24 घंटे सातों दिन कोविड-19 के नियंत्रण कक्ष में काम करते हैं. ये कक्ष नॉर्थ ब्लॉक में स्थापित हैं.

गृह मंत्रालय के एक सूत्र के अनुसार ‘8 बजे सुबह घर से निकलने से पहले वो अपने घर पर बने कंट्रोल रूम से मीटिंग लेते हैं और सभी मीडिया में आ रही खबरो पर नज़र डालते हैं. साढ़े 8 बजे दफ्तर पहुंचते हैं और एके भल्ला के साथ बैठक करते हैं. वे उनसे विस्तृत फीडबैक लेते हैं और आगे की रणनीति पर विचार करते हैं.’

सूत्र के अनुसार ‘वो फिर सह सचिवों से कंट्रोल रूम में राज्यों की तकलीफों पर चर्चा करते हैं, और अगर राज्यों से समन्वय की कोई समस्या आती है तो, कोई नई गाइडलाइन जारी करनी है, स्वास्थ्य या ढांचागत जरूरतों के लिए कोई नए कदम उठाने हों तो उसकी चर्चा होती है. उसके बाद वो इसके समाधान पर निर्णय लेते हैं.’

वे कहते हैं कि ‘जब तक वो सारी फाइलें क्लियर नहीं करते दफ्तर से नहीं जाते और अधिकतर दिनों में वह 12.30 के बाद घर जाते हैं.’

सूत्र का कहना है कि शाह ने कंट्रोल रूम के प्रमुखों से नियमित बैठकें लेनी शुरू कर दी हैं और केंद्र और राज्यों में बेहतर समन्वय के लिए कई निर्णय भी लिये गए.

उदाहरण के लिए जब गृह मंत्रालय को शिकायत मिली कि पश्चिम बंगाल प्रशासन ‘केंद्रीय टीम के लॉकडाउन के ऑनस्पाट असेस्मेंट और रिव्यू के कामकाज में बाधा डाल रहा है’ तो तुरंत गृह सचिव ने आदेश जारी किया कि स्थानीय प्रशासन सहयोग करे.

गृह सचिव ने बंगाल सरकार को एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि बंगाल को एमएचए के आदेशों का पालन करना चाहिए और केंद्रीय टीमों के लिए अपनी जिम्मेदारियां निभाने की व्यवस्था करनी चाहिए.

इसके अतिरिक्त, महामारी रोग अधिनियम 1897 में संशोधन करने के लिए एक अध्यादेश जारी करने का निर्णय- देशभर में कोविड-19 रोगियों का इलाज कर रहे हिंसा और उत्पीड़न का सामना कर रहे डॉक्टरों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के लिए इसे अधिक ताकत देना- इसके बाद शाह और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने उनकी शिकायतें सुनने के लिए बुधवार सुबह डॉक्टरों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की थी.

संशोधनों के अनुसार, स्वास्थ्य कर्मचारियों पर हमला- चाहे वह डॉक्टर, पैरामेडिक्स, नर्स या आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) कार्यकर्ता हों – एक संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध माना जाएगा. इस अपराध में 3 महीने से 5 साल तक की जेल होगी और 50,000 रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक जुर्माना.

सूत्र ने कहा, ‘यह शाह ही थे जिन्होंने इसकी पहल की क्योंकि उनका मानना ​​था कि किसी भी स्वास्थ्य कार्यकर्ता पर हमला करने वाले को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए.’

कोविड पैनल्स से लगातार फीडबैक लेना

मार्च में, पीएम मोदी ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में 15 मंत्रियों की एक उच्चस्तरीय समिति का गठन देशभर में कोविड-संबंधी मामलों की देखरेख के लिए किया था.

एमएचए के सूत्रों ने कहा, हालांकि, व्यावहारिक रूप से, यह शाह हैं, जो केंद्र-राज्य समन्वय के मामलों की देखरेख कर रहे हैं.

शाह कोविड-19 को लेकर बनाई गई अधिकांश समितियों के प्रमुख हैं और विभिन्न घटनाक्रमों पर उनसे लगातार अपडेट मांगते हैं.

सूत्र ने कहा, ‘वह (शाह) ज्यादातर संकट का प्रबंधन कर रहे हैं … और लॉकडाउन के शुरुआत में भी यह सच था.’

सूत्र ने कहा, ‘वह कोविड संकट में पीएम के संकटमोचक हैं.’

सूत्र ने यह भी कहा कि शाह सचिवों के अधिकार प्राप्त समूहों के सीधे संपर्क में रहते हैं और उनसे लगातार फीडबैक ले रहे हैं.

पीएम मोदी द्वारा सचिवों के इन अधिकार समूहों का गठन पिछले महीने कोरोनवायरस के प्रसार को लेकर लिए जा रहे निर्णयों का त्वरित कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए किया गया था.

‘… वह देर रात कॉल कर सकते हैं और कुछ करने के लिए कह सकते हैं, और इसे तुरंत अधिकार समूहों द्वारा भी जांच किया जाएगा’, सूत्र ने कहा.

उदाहरण के लिए, आईसीएमआर (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) द्वारा देश में परीक्षण सुविधाओं का विस्तार नहीं करने पर शाह के हस्तक्षेप पर सरकार द्वारा ईंट-पत्थर देने के बाद परीक्षण प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की.

एक दूसरे एमएचए सूत्र ने कहा, ‘चूंकि आईसीएमआर काफी धीमा था, गृहमंत्री ने एम्स से पूछा था कि क्या वह परीक्षण के लिए नई प्रयोगशालाएं स्थापित कर सकता है.’

सूत्र ने कहा, ‘इसके बाद आईसीएमआर अधिक प्रयोगशालाओं के लिए सक्रिय हुआ’

इसी तरह, शाह के साथ बैठक के बाद, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने स्वास्थ्यकर्मियों को हमलों से बचाने के लिए एक केंद्रीय कानून की मांग में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे जिसे उन्होंने बंद करने का फैसला लिया था.

आईएमए ने बुधवार को एक बयान में कहा, ‘उन्होंने (शाह) आईएमए को हिंसा के खिलाफ एक केंद्रीय कानून का आश्वासन दिया. उन्होंने प्रधानमंत्री की ओर से प्रतीकात्मक विरोध को रोकने की अपील की थी.’

इसके अलावा, ईएसआई अस्पताल, हैदराबाद में एक मोबाइल परीक्षण प्रयोगशाला के लिए एक प्रस्ताव, जिसे राजनाथ सिंह और डीआरडीओ द्वारा गुरुवार को उद्घाटन किया जाना है, जिसकी राज्यमंत्री (गृह) जी. किशन रेड्डी ने पहल की थी और शाह ने तुरंत अनुमोदित कर दिया.


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संकटमोचक

कोविड-19 कार्य बल के एक सूत्र ने कहा, ‘विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों को फोन करने से लेकर हाइपर-तकनीकी चिकित्सा मसलों में हस्तक्षेप करने तक, गृहमंत्री अभी भी सत्ता में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में नंबर 2 हैं और सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए ‘संकटमोचक’.

लॉकडाउन से संबंधित मुद्दों से विशेष रूप से निपटने के लिए मार्च के अंत में इस टास्क फोर्स का गठन किया गया था.

सूत्र ने कहा, ‘एनडीएमए (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) के तहत जारी किए गए ज्यादातर आदेशों को उनकी मंजूरी है. एमएचए से उनकी मंजूरी के बिना कुछ नहीं हो रहा है.’

‘वह गृह सचिव के लगातार संपर्क में रहते हैं- इसलिए सभी आदेश जो आप देखते हैं गृहमंत्री द्वारा देखे जा रहे हैं… कैबिनेट सचिव और गृह सचिव नियमित रूप से उन्हें सभी मामलों पर जानकारी देते हैं.’

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को भाजपा शासित कर्नाटक के साथ विवादों को हल करने में मदद करने से लेकर राजस्थान के अशोक गहलोत जैसे अन्य सीएम के साथ पलायन संकट को लेकर लगातार संपर्क में रहने और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे को पिछले हफ्ते हुई बांद्रा की घटना पर फोन करने तक. गृहमंत्री देशभर में लॉकडाउन और कोविड-19 संकट से संबंधित कानून व्यवस्था की स्थिति की भी समीक्षा करते हैं.

टास्क फोर्स के सूत्र ने आगे कहा, ‘कोई अन्य मंत्री सीएम को फोन करने के लिए स्वतंत्र नहीं है… भले ही वह तकनीकी रूप से कोविड से संबंधित मामलों को देखने के लिए गठित मंत्रियों की उच्चस्तरीय समिति का नेतृत्व नहीं कर रहा हो, यह वह (शाह) हैं जो किसी भी राज्य में कोई भी मुद्दा होने पर हस्तक्षेप करते हैं.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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