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Monday, 4 November, 2024
होमदेशबॉम्बे हाई कोर्ट ने मनी लॉन्डरिंग मामले में नवाब मलिक को अंतरिम राहत देने से किया इनकार

बॉम्बे हाई कोर्ट ने मनी लॉन्डरिंग मामले में नवाब मलिक को अंतरिम राहत देने से किया इनकार

न्यायमूर्ति पी.बी. वराले और न्यायमूर्ति एस.एम. मोदक की पीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा कि मलिक ने विशेष अदालत और उच्च न्यायालय दोनों के समक्ष कानूनी प्रतिनिधित्व हासिल किया.

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मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता नवाब मलिक को धन शोधन के एक मामले में तत्काल रिहा करने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि चूंकि विशेष पीएमएलए अदालत के उन्हें रिमांड पर भेजने का आदेश उनके पक्ष में नहीं है तो इससे यह आदेश गैरकानूनी या गलत नहीं हो जाता है.

न्यायमूर्ति पी.बी. वराले और न्यायमूर्ति एस.एम. मोदक की पीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा कि मलिक ने विशेष अदालत और उच्च न्यायालय दोनों के समक्ष कानूनी प्रतिनिधित्व हासिल किया.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम के सहायकों से कथित तौर पर जुड़े एक संपत्ति सौदे को लेकर धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत इस साल 23 फरवरी को मलिक को गिरफ्तार किया था। वह अभी न्यायिक हिरासत में हैं.

गिरफ्तारी के बाद मलिक ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करते हुए दावा किया था कि ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी और इसके बाद रिमांड पर भेजना गैरकानूनी है.

अदालत ने कहा कि मलिक के वकील ने पीएमएलए अदालत के समक्ष जिरह की थी और मंत्री की हिरासत के लिए ईडी के अनुरोध का विरोध किया था. फिर भी विशेष अदालत ने उन्हें ईडी की हिरासत में भेज दिया था और उसके बाद वैध कानूनी आधार पर न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.

अदालत ने कहा, ‘अतिरिक्त सॉलिसिटल जनरल (एएसजी) की उन दलीलों में भी दम है कि चूंकि विशेष अदालत ने याचिकाकर्ता (मलिक) को हिरासत में भेज दिया तो इससे यह आदेश इसलिए गैरकानूनी नहीं हो जाता कि याचिकाकर्ता संतुष्ट नहीं है.’

उच्च न्यायालय ने कहा कि मंत्री के पास विशेष अदालत में मामले में जमानत के लिए आवेदन करने का विकल्प था.


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पीठ ने कहा कि ईडी द्वारा मलिक की गिरफ्तारी कानून के अनुसार थी और इसके लिए उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए उन्हें जांच एजेंसी की और फिर न्यायिक हिरासत में भेजा गया. उसने कहा कि अत: उच्च न्यायालय के पास मलिक को हिरासत से रिहा करने का निर्देश देते हुए कोई अंतरिम आदेश पारित करने की वजह नहीं है.

अपनी गिरफ्तारी के बाद मलिक ने वरिष्ठ वकील अमित देसाई के जरिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर दावा किया था कि ईडी द्वारा उन्हें गिरफ्तार किया जाना और उसके बाद हिरासत में भेजा जाना गैरकानूनी है.

उन्होंने अनुरोध किया था कि मामले में उनकी गिरफ्तारी रद्द की जाए और अंतरिम राहत देते हुए उन्हें फौरन हिरासत से रिहा किया जाए.

ईडी ने मलिक पर मुंबई के कुर्ला इलाके में एक संपत्ति हड़पने के लिए कथित आपराधिक षड्यंत्र का हिस्सा होने का आरोप लगाया है. इस संपत्ति की बाजार में कीमत 300 करोड़ रुपये है.

(यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.)


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