नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद की जमानत याचिका पर 27 जुलाई को सुनवाई करेगी. खालिद को उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगे की साजिश मामले में सख्त गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने सुनवाई की अगली तारीख तक उमर की याचिका पर अभियोजन पक्ष से जवाब मांगा है.
वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पाइस इस मामले में आरोपी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
मामले में खालिद समेत कई अन्य के खिलाफ आतकंवाद रोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है. उल्लेखनीय है, कि इन सभी पर फरवरी 2020 हिंसा का ‘मास्टरमाइंड’ होने का आरोप है जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 700 लोग घायल हुए थे.
खालिद के अलावा, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा, जेएनयू छात्राएं नताशा नरवाल और देवांगना कालिता, जामिया समन्वयन समिति की सदस्य सफूरा जरगर, आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन और कई अन्य के खिलाफ भी इस संबंध में सख्त कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है.
हाल में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले में तन्हा, नरवाल और कालिता को यह कहते हुए जमानत दे दी कि सरकार ने असहमति को दबाने के लिए विरोध के अधिकार और आतंकवादी गतिविधि के बीच के फर्क को मिटा दिया है.
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