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Friday, 26 April, 2024
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BJP के सांसद ही नहीं, जनसंख्या नियंत्रण पर कांग्रेस के सिंघवी भी पेश करेंगे प्राइवेट मेंबर बिल

सिंघवी के बिल में प्रस्तावित किया गया है कि जिनके दो से ज्यादा बच्चे हैं उन्हें लोकसभा, विधानसभा और पंचायत चुनाव लड़ने की इजाजत न दी जाए.

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नई दिल्ली: देश में जहां जनसंख्या नियंत्रण को लेकर बहस तेज हो चली है, इस पर सिर्फ भाजपा सांसद ही नहीं हैं जो संसद के आगामी मानसून सत्र में जनसंख्या पर नियम बनाने के लिए प्राइवेट मेंबर बिल लाने की योजना बना रहे हैं. वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी जनसंख्या नियंत्रण कानून प्रस्तावित किया है जो 2019 से लंबित है. 19 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरू होने वाला है.

बिल के लिए प्रस्तावित बयान में जिसमें उद्देश्य और कारण की बात कही गई है, सिंघवी ने कहा कि जनसंख्या में तेज वृद्धि से देश के प्राकृतिक संसाधनों पर लगातार बोझ बढ़ता जा रहा है. बयान के अनुसार, ‘इस कारण, बीते कुछ दशकों में कई सामाजिक-आर्थिक मुद्दों जैसे कि पर्यावरणीय क्षरण, शहरी हवा का प्रदूषित होना और कृषि क्षेत्र में कमी जैसे बदलावों को हम देख रहे हैं.’


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बिल में क्या है

जनसंख्या नियंत्रण में रखने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किए जाने की बात को बिल में उठाया गया है और कहा गया है कि जो सरकारी कर्मचारी दो बच्चा नीति को नहीं मानते उन्हें फायदों से महदूद किया जाए.

बिल में प्रस्तावित किया गया है कि जिनके दो से ज्यादा बच्चे हैं उन्हें लोकसभा, विधानसभा और पंचायत चुनाव लड़ने की इजाजत न दी जाए. उन्हें राज्य सभा और विधान परिषद के लिए भी अमान्य माना जाए.

ऐसे लोगों को सरकारी नौकरियों में पदोन्नति न दी जाए और न ही किसी तरह की सरकारी सब्सिडी दी जाए अगर वे लोग एपीएल की सूची में आते हैं तो.

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बिल में प्रस्तावित है कि इसके कानून बनने के एक साल बाद सभी केंद्र सरकार के कर्मचारियों को अपने नियुक्ति प्राधिकारी को लिखित में एक अंडरटेकिंग देना होगा कि वो ‘दो से ज्यादा बच्चे पैदा’ नहीं करेंगे.

दो बच्चों वाले सिर्फ उन कर्मचारियों को एक और बच्चा पैदा करने की अनुमति दी जाएगी यदि दो में से उनका कोई एक बच्चा विकलांगता या किसी अन्य परिस्थिति से पीड़ित है.

बिल में कहा गया है कि केंद्र सरकार के कर्मचारी जो दो बच्चों के मानदंड का उल्लंघन करेंगे, उन्हें सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है.


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स्वैच्छिक नसबंदी, जनसंख्या स्थिरीकरण कोष

इस विधेयक में एक बच्चे वाले और स्वैच्छिक नसबंदी कराने वाले माता-पिता के लिए कई प्रोत्साहन का प्रस्ताव है. ऐसे मामलों में उच्च शिक्षा के संस्थानों में प्रवेश के लिए न केवल एक बच्चे वाले को वरीयता दी जाएगी बल्कि सरकारी नौकरियों में भी एक बच्चे वाले को भी वरीयता मिलेगी.

यदि पति और पत्नी दोनों, एक विवाहित जोड़े के मामले में, जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं और उनका केवल एक बच्चा है, स्वेच्छा से नसबंदी करवाते हैं, अगर सिंगल बच्चा एक लड़का है, तो उन्हें केंद्र सरकार से 60,000 रुपये की एकमुश्त राशि मिलेगी. लड़की होने पर दंपति को एक लाख रुपये की राशि मिलेगी.

विधेयक में राष्ट्रीय जनसंख्या स्थिरीकरण कोष स्थापित करने का भी प्रस्ताव है, जिसमें केंद्र और राज्य दोनों सरकारें योगदान देंगी. उच्च प्रजनन दर वाले राज्य कम प्रजनन दर वाले राज्यों की तुलना में ऊंचे अनुपात में योगदान करेंगे.

इस बिल में प्रस्ताव है कि इस कोष के तहत इकट्ठा धन को उन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्वितरित किया जाएगा जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण के लिए सुधार लागू किए हैं और अपनी जनसंख्या वृद्धि दर को उल्लेखनीय तौर से कम करने में सक्षम हुए हैं.

मानसून सत्र में, भाजपा के मनोनीत राज्य सभा सदस्य राकेश सिन्हा ने जनसंख्या रेग्युलेशन को लेकर प्राइवेट मेंबर्स बिल पेश करने का भी प्रस्ताव रखा है, जो एक सांसद, विधायक या स्थानीय स्वशासन से जुड़े किसी को भी अयोग्य घोषित करेगा, अगर उसके पास दो से अधिक बच्चे हैं.

सांसदों द्वारा लोकसभा और राज्य सभा में एक प्राइवेट मेंबर बिल निजी तौर पर पेश किया जा सकता है, जो सरकार के मंत्री न हों.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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