scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेशस्वास्थ्य मंत्रालय एशियन डेवलपमेंट बैंक के 18.31 करोड़ रुपए से कोविड वार रूम अपग्रेड करेगा

स्वास्थ्य मंत्रालय एशियन डेवलपमेंट बैंक के 18.31 करोड़ रुपए से कोविड वार रूम अपग्रेड करेगा

सरकार ने एडीबी से तकनीकी विशेषज्ञता वाले अन्य संगठनों के चयन में मदद करने के लिए भी कहा है जो कोविड पर विश्लेषण और डाटा विजुअलाइजेशन में सहायता कर सकते हों.

Text Size:

नई दिल्ली: भारत सरकार ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के ‘कोविड वार रूम’, जो सात निजी कंपनियों की मदद से चल रहा है, को अपग्रेड करने के लिए तकनीकी सहायता के तौर पर एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) से 2.5 मिलियन डॉलर (लगभग 18.31 करोड़ रुपये) लेने का फैसला किया है.

सरकार ने एडीबी से तकनीकी विशेषज्ञता वाले अन्य संगठनों के चयन में मदद करने के लिए भी कहा है जो कोविड पर विश्लेषण और डाटा विजुअलाइजेशन में सहायता कर सकते हों.

दिप्रिंट की तरफ से एक आरटीआई आवेदन के जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, ‘आरईटीए के तहत 2.5 मिलियन डॉलर की अतिरिक्त सहायता के संदर्भ में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड प्रबंधन से जुड़े कार्यों के लिए तकनीकी सहायता में इसके उपयोग का प्रस्ताव दिया है. एडीबी से तकनीकी विशेषज्ञता वाले संगठनों के चयन में मंत्रालय की सहायता करने को भी कहा गया है जो शार्ट नोटिस पर निर्धारित कार्य कर सकें.’

आरईटीए का मतलब है एडीबी का क्षेत्रीय तकनीकी सहायता कार्यक्रम, जिसकी पात्रता कुछ देशों को हासिल है. लेकिन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि इस मामले में धन का उपयोग विशेष रूप से कोविड-संबंधी कार्यों के लिए किया जाना है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमारे पास 2.5 मिलियन डॉलर का एडीबी अनुदान उपलब्ध है जो किसी भी कोविड संबंधी कार्य के लिए उपयोग किया जा सकता है. ‘वार रूम’ अपग्रेड करने और डाटा विश्लेषण की बेहतर क्षमता विकसित करने के उद्देश्य से इसका इस्तेमाल करने का निर्णय लिया गया है.


यह भी पढ़ें: देश में एक दिन में कोविड-19 के 90,802 नए मामले सामने आए, स्वस्थ होने की दर 77.30 प्रतिशत तक बढ़ी


कोविड ‘वार रूम’

निर्माण भवन, जहां मंत्रालय भी है, की पहली मंजिल पर स्थित कोविड ‘वार रूम’ देश में महामारी की दैनिक, साप्ताहिक और मासिक स्थिति पर विश्लेषण और अनुमान आदि पर काम करने वाला प्रमुख केंद्र है. देशभर में राज्य और जिले के साथ-साथ उपचार केंद्रों तक के डाटा तक इसकी पहुंच है.

इस समय यह सात निजी कंपनियों- सिस्को सिस्टम्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, केपीएमजी एडवाइजरी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, रेड स्वान लैब्स, अर्बन क्लैप टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप, प्राइमस पार्टनर्स प्राइवेट लिमिटेड और यूसीकागो की मदद से चलाया जा रहा है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि अन्य चीजों के अलावा ‘वार रूम’ में उपयोग के लिए एक डाटा विजुअलाइजेशन सॉफ्टवेयर खरीदने की योजना है. मंत्रालय के ही एक दूसरे अधिकारी ने कहा, ‘एक सॉफ्टवेयर, जिसे टैब्लो कहा जाता है, की कीमत करीब दो करोड़ रुपये है. हम इसे खरीदने की योजना बना रहे हैं. आवश्यक अनुमोदन हासिल किए जा चुके हैं.’


यह भी पढ़ें: प्रियंका गांधी का कफील खान को समर्थन यूपी में मुसलमानों को कांग्रेस के करीब लाने की रणनीति का हिस्सा है


एनएचए ने कोविड हेल्पलाइन के लिए मंत्रालय को 16 करोड़ का बिल दिया

महामारी के शुरुआती दौर में ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बीमारी और टेस्ट की व्यवस्था आदि को लेकर लोगों के संदेह दूर करने के लिए एक हेल्पलाइन शुरू की थी, जिसमें यह जानकारी दिया जाना भी शामिल था कि किसे टेस्ट की जरूरत है और किसे नहीं. हेल्पलाइन नंबर 011-23978046 था और 1075 पर भी एक टोल फ्री कॉल सेंटर था.

हेल्पलाइन के प्रबंधन की जिम्मेदारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) की थी जो स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय है और आयुष्मान भारत के तहत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) का संचालन करने वाली एजेंसी है.

आरटीआई के तहत मिली जानकारी के अनुसार एनएचए ने कोविड हेल्पलाइन प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय को 16,77,35,774 रुपये का बिल भेजा है, जिसमें एनएचए के मौजूदा कॉल सेंटर (जो आमतौर पर पीएमजेएवाई का प्रबंधन करता है) के तहत दी गई स्वचालित वॉयस-एनेबल कॉलिंग सुविधा, कॉल सेंटर संचालन का कार्य और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के सेवा प्रदाताओं द्वारा कॉल सेंटर संचालन का प्रबंधन किया जाना शामिल है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: लद्दाख में भारत द्वारा गुप्त गुरिल्ला SFF फोर्स का उपयोग चीन को काबू करने की व्यापक रणनीति का संकेत देता है


 

share & View comments