scorecardresearch
Sunday, 22 December, 2024
होमदेशअर्थजगतबीमा के प्रति बढ़ रहा है महिलाओं का आकर्षण, घर में पैसे छिपाने की जगह ले रही है इंश्योरेंस

बीमा के प्रति बढ़ रहा है महिलाओं का आकर्षण, घर में पैसे छिपाने की जगह ले रही है इंश्योरेंस

भारतीय महिलाओं में इंश्योरेंस से जुड़ी जानकारी और जागरूकता की कमी है जिसके कारण लगभग 85 % भारतीय परिवारों में पुरुष ही निर्णय लेते हैं कि परिवार के लिए कब और किस प्रकार का इंश्योरेंस लेना है.

Text Size:

“इंश्योरेंस के ये टर्म, कंडीशंस, इंट्रेस्ट रेट मुझे तो समझ नहीं आते है. मुझे मेरे पापा ने कहा ये वाला इंश्योरेंस ले लो और साल में एक बार 17000 रुपये भरना है. मैंने उनके कहने पर ही एक इंश्योरेंस लिया है और बस साल में एक बार इसके पैसे भर देती हूं.”

दिल्ली के एक प्राइवेट कंपनी में काम कर रही 24 वर्षीय सुमन कहती हैं कि इंश्योरेंस से जुड़ी चीज़ों के बारे में मुझे ज्यादा पता नहीं है, मेरा इंटरेस्ट भी नहीं है. मुझे तो बैंक में ही पैसे रखना सही लगता है.

महिलाएं पैसे घर में छुपा छुपा कर रखने के लिए जानी जाती हैं. कभी किचन के डिब्बों में तो कभी अलमारी में कपड़ों के नीचे. पैसे जमा करने की इन तरकीबों से आगे निकल चुकीं भारतीय महिलाओं के बीच अब जीवन बीमा और हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने की दिलचस्पी भी बढ़ रही है. लेकिन महिलाओं द्वारा इंश्योरेंस खरीदने के इस आकड़े को बढ़ाने के लिए अभी भी महिलाओं के बीच इंश्योरेंस को लेकर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है.

“भारतीय महिलाओं के बीच इंश्योरेंस से जुड़ी जानकारी और जागरूकता न होने के कारण अभी भी लगभग 85 प्रतिशत भारतीय परिवारों में पुरुष ही निर्णय लेते हैं कि परिवार के लिए कब और किस प्रकार का बीमा लेना है.”

लेकिन अब बीमा की बात हो या फिर बचत की महिलाएं आगे बढ़ कर बचत करने लगी हैं. हालांकि महिलाओं को और जागरूक किए जाने की जरूरत है. महिलाओं के द्वारा किए जा रहे बीमा के बारे में पॉलिसीबाजार के बिजनेस हेल्थ इंश्योरेंस हेड सिद्धार्थ सिंघल कहते हैं, “डेटा के अनुसार लगभग 15 प्रतिशत भारतीय महिलाएं अपने या अपने परिवार के लिए इंश्योरेंस खुद खरीदती हैं. वहीं लगभग 52 प्रतिशत महिलाएं खुद के लिए इंश्योरेंस खरीदती हैं और 48 प्रतिशत महिलाएं अपने परिवार के लिए या फिर फैमिली पैक वाले हेल्थ इंश्योरेंस खरीदती हैं.”

किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी, मृत्यु और विकलांगता के खिलाफ सुरक्षा के लिए इंश्योरेंस को एक सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है. लेकिन भारत जैसे देश में इंश्योरेंस की पहुंच अभी भी बहुत कम है. हालांकि कोरोना महामारी के बाद से लोगों के बीच इंश्योरेंस के प्रति जागरूकता काफी बढ़ी है. लेकिन ये कहा जा सकता है कि भारत अभी भी इंश्योरेंस अपनाने की प्रारंभिक अवस्था में ही है. वहीं अगर महिलाओं के बीच इंश्योरेंस अपनाने की बात करें तो और भी निराशाजनक तस्वीर सामने आती है.

यही नहीं अगर कामकाजी महिलाओं की बात करें तो विश्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं ने साल 2021 में भारत में सीधे तौर पर 23 फीसदी से कम महिलाओं ने इसका प्रतिनिधित्व किया है, यह आंकड़ा साल 2005 में लगभग 27 फीसदी था. वहीं इसकी तुलना में पड़ोसी देशों बांग्लादेश में 32 फीसदी और श्रीलंका में 34.5 फीसदी है.

वहीं महिला श्रम की भागीदारी लगातार बढ़ रही है. भारत सरकार के आंकड़ों पर नजर डालें तो महिला श्रम बल की भागीदारी 2020-21 में बढ़कर 25.1 फीसदी हो गई जो कि साल 2018-19 में 18.6 फीसदी थी.


यह भी पढ़ें: ‘बदलाव की राह’ में जुटे हैं देश के युवा, किसी को गांव में खुलवाना है अस्पताल, किसी का शिक्षा पर है जोर


जागरूकता और विश्वास की कमी 

महिलाओं के बीच इंश्योरेंस की पहुंच कम होने के पीछे कई कारण हैं, जिसमें इंश्योरेंस के लाभों के बारे में सीमित जागरूकता, और वित्तीय सेवाओं में विश्वास की कमी शामिल भी है. इसके अलावा, भारत में महिलाएं अक्सर अपने परिवारों की वित्तीय जरूरतों को अपने ऊपर प्राथमिकता देती हैं, जिससे वह अपने लंबे समय के लिए अपनी फाइनेन्शियल प्लानिंग पर ध्यान नहीं दे पाती हैं.

टर्म इंश्योरेंस हेड ऋषभ गर्ग कहते हैं भारतीय महिलाओं को बीमा के महत्व को वित्तीय स्वतंत्रता, परिवार की सुरक्षा और भविष्य के लाभ के रूप में देखना चाहिए.

वह आगे कहते है, “महिलाओं को पैसे को नकदी के रूप में घर में रखने के बजाय पैसे बचाने और जमा रखने के पॉलिसी जैसे उपायों के बारे में अधिक जानने की जरुरत है.”

महिलाओं द्वारा इंश्योरेंस कम खरीदने का प्रमुख कारण उन प्रोडक्ट्स की कमी है जो उनकी विशेष आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिजाइन किए गए हैं. हालांकि इंश्योरेंस इंडस्ट्री अपने सभी ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए नए नए उत्पादों के साथ आ रही है.

पॉलिसी बाजार के हेल्थ इंश्योरेंस हेड सिद्धार्थ सिंघल कहते है, “भारत में बड़े शहरों की महिलाएं ज्यादातर पॉलिसी खरीदती हैं, खासकर मेट्रोपोलिटन शहर की महिलाएं.”

मैटरनिटी प्लान

भारतीय महिलाओं को इंश्योरेंस खरीदने के लिए आकर्षित करने के लिए विभिन्न बीमा कंपनियों द्वारा कई तरह के पॉलिसी निकाली गई हैं. इनमें से एक मैटरनिटी प्लान हैं जो आजकल महिलाओं को हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने के लिए आकर्षित कर रहा है.

इन दिनों ज्यादातर बीमाकर्ताओं के पास मैटरनिटी बेनिफिट सहित महिलाओं की खास जरूरतों को पूरा करने के लिए स्पेशल प्लान्स हैं. हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां डिलीवरी के पहले और डिलीवरी के बाद की देखभाल, डिलीवरी और अस्पताल में भर्ती सहित मैटरनिटी पीरियड के दौरान होने वाले सभी खर्चों के लिए व्यापक कवरेज प्रदान करती हैं.

दिप्रिंट से बात-चीत में सिद्धार्थ ने बताया, “महिलाओं को हेल्थ इंश्योरेंस के लिए आकर्षित करने के लिये मैटरनिटी प्लान एक नया स्कीम बना है. अब लगभग सभी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां मैटरनिटी प्लान ऑफर करती है. मैटरनिटी पीरियड में होने वाले सभी प्रकार के खर्चों को इसमें शामिल किया जाता है जो इसका सबसे बड़ा फायदा है.”

नए जमाने के मैटरनिटी प्लान इन दिनों कम से कम नौ महीने की वेटिंग पीरियड जैसी आकर्षक सुविधाएं प्रदान करते हैं. कई योजनाएं नवजात शिशु से संबंधित 90 दिनों तक के मेडिकल खर्च को भी कवर करती हैं.


यह भी पढ़ें: फुसफुसाने की जरूरत नहीं, फर्स्ट एड बॉक्स में अब से महिलाओं के लिए रखें ‘सैनिट्री पैड’


सरकार का सहयोग

भारतीय महिलाओं के इंश्योरेंस खरीदने के आंकड़ों को बढ़ाने के लिए न सिर्फ उन्हें जागरूक करने की जरुरत है इसके साथ ही उनके बीच से पॉलिसी से जुड़े लॉस और जोखिम की धारणाओं को भी बदलने की जरुरत है.

सिद्धार्त कहते हैं कि महिलाओं को आकर्षित और जागरूक करने के लिए विभिन्न इंश्योरेंस कंपनियां तो काम कर ही रही है, लेकिन यदि इसमें सरकार का सहयोग मिले तो ये और बेहतर हो सकता है.

दिल्ली के एक प्राइवेट स्कूल की टीचर खुशबू जेरथ कहती हैं, “मुझे इंश्योरेंस लेना तो है लेकिन इतनी बचत ही नहीं हो पाती है कि मैं अभी किसी भी जगह अपने पैसे इन्वेस्ट करने के बारे में सोचू.”

खुशबू आगे कहती हैं कि मुझे इंश्योरेंस वगैरह लेने में इंट्रेस्ट तो है और में नई नई स्कीम्स के बारे में जानकारी भी रखती हूं. मैं बहुत जल्द एक हेल्थ इंश्योरेंस लेने वाली हूं क्योंकि मुझे लगता है आज की डेट में सबसे ज्यादा जरुरी हेल्थ ही है.

सिंघल ने कहा, “महिलाओं को हेल्थ इंश्योरेंस के लिए आकर्षित करने के लिए कंपनियां ज्यादा से ज्यादा वुमेन सेंट्रिक इंश्योरेंस लॉन्च कर रही हैं.”

होममेकर्स के लिए इंडिपेंडेंट टर्म इंश्योरेंस

किसी भी प्रकार की फाइनेन्शियल प्लानिंग और वित्तीय नियोजन को हमेशा व्यक्ति के आय अर्जित करने की क्षमता से जोड़ा गया है. गृहणियां जो किसी भी प्रकार की आय अर्जित नहीं कर रही हैं, लेकिन परिवार को वित्तीय रूप से मजबूत करने में उनका हमेशा से बहुत बड़ा योगदान रहा है.

इंडिपेंडेंट टर्म होममेकर प्लान इंश्योरेंस की दुनिया में एक गेम-चेंजर है. यह उन गृहिणियों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है जिनके पास आय का कोई साधन नहीं है लेकिन घर में एक अमूल्य योगदान है.

मुस्कान एक हाउस वाइफ हैं और दिप्रिंट ने जब उनसे पॉलिसी और इंश्योरेंस के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा नहीं मैंने ऐसा कुछ नहीं ले रखा है. लेकिन जैसे ही उन्होंने एलआईसी का जिक्र सुना तो उन्होंने कहा, “हां हां मैंने अपने नाम पे एक एलआईसी खोल रखी है.”

मुस्कान अपने पति और दो बच्चों के साथ दिल्ली में किराए के मकान में रहती हैं. उनके दोनों बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते है और उनके पति ऑटो चलाते हैं. वो आगे कहती है, “मैं साल दो बार इस एलआईसी के लिए 1600 रूपये जमा करती हूं और मेरी एलआईसी 2026 में मैच्योर होगी.”

सिद्धार्त बताते है, “पॉलिसी बाजार के आंकड़ों के अनुसार अठारह साल के बाद, लगभग हर उम्र में महिलाएं अपने और अपने परिवार के लिए इंश्योरेंस खरीदती हैं लेकिन थोड़ा सा झुकाव 55 साल और उसके बाद के उम्र पर है. ज्यादातर महिलाएं इस उम्र अपने या अपने परिवार के लिए इंश्योरेंस खरीदती है.”


यह भी पढ़ें: सैनिटरी नैपकिन, मेंस्ट्रुअल कप के साथ-साथ पीरियड चार्ट भी हुआ उन दिनों में जरूरी


share & View comments