नई दिल्ली: यह पूछे जाने पर कि क्या मौजूदा घोटाले का सामना कर रहे अडाणी समूह से कंपनी के इज़राइल के हाइफा पोर्ट के अधिग्रहण पर असर पड़ेगा, भारत में इज़राइल के राजदूत नाओर गिलोन ने बुधवार को कहा कि उन्हें विश्वास है कि परियोजना सफल होगी और साथ ही उन्होंने पुष्टि की कि देश में भारतीय कंपनी और अधिक परियोजनाओं की तलाश में है.
बुधवार को एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान, गिलॉन ने संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे विश्वास है कि यह [हाइफा पोर्ट] बहुत अच्छी तरह से काम करेगा और मुझे कोई अन्य कारण नहीं दिखता.’ उन्होंने कहा, ‘अडाणी समूह इज़राइल में और परियोजनाओं की तलाश कर रहा है और मुझे आशा है कि वे उन्हें प्राप्त करने में सफल होंगे.’
अरबपति गौतम अडाणी के नेतृत्व वाले अडाणी समूह ने पिछले महीने चीनी और तुर्की कंपनियों को पछाड़कर 1.2 बिलियन डॉलर में रणनीतिक इजरायली बंदरगाह का अधिग्रहण किया था.
इस बीच, अमेरिकी शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट के बाद समूह एक संकट से निपट रहा है, जिसने समूह पर वित्तीय अनियमितता और स्टॉक हेरफेर का आरोप लगाया था. रिपोर्ट ने भारतीय कंपनी की संस्थाओं की जांच की और इसके संचालन के बारे में कई सवाल उठाए.
विवाद के बाद अडाणी समूह को करीब 100 अरब डॉलर मूल्य का नुकसान हुआ, लेकिन कंपनी के शेयर हाल के दिनों में अपने पिछले निचले स्तर से लगभग 75 फीसदी तक ठीक हो गए हैं.
कथित तौर पर हाइफा पोर्ट भारत के बाहर अदानी पोर्ट्स एंड एसईजेड (एपीएसईजेड) का सबसे अधिक राजस्व देने वाला पोर्ट हो सकता है. यह इज़राइल के तीन प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों में से सबसे बड़ा है जो उत्तरी इज़राइली शहर हाइफा में स्थित है.
‘बड़े भरोसे का संकेत’
इज़राइल के राजदूत ने यह भी कहा कि यह ‘प्रमुख भरोसे का संकेत’ था कि एक रणनीतिक संपत्ति, जैसे हाइफ़ा पोर्ट, एक भारतीय कंपनी को दी जानी चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘हाइफा बंदरगाह एक रणनीतिक संपत्ति है, और तथ्य यह है कि हम इसे एक भारतीय कंपनी को दे रहे हैं. यह एक भारतीय कंपनी के हाथों में अपनी रणनीतिक संपत्ति जमा करने में बड़े भरोसे का एक प्रतीकात्मक संकेत है.’
उन्होंने कहा कि अडाणी समूह की ‘ब्रेड एंड बटर’ के साथ-साथ इसका मुख्य व्यवसाय बंदरगाह था.
(संपादनः ऋषभ राज)
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