scorecardresearch
Friday, 20 December, 2024
होमदेशसरकार नौकरियों और शिक्षा में EWS कोटे के मानदंडों का बचाव कर रही, SC से इसमें कोई बदलाव न करने का कर सकती है...

सरकार नौकरियों और शिक्षा में EWS कोटे के मानदंडों का बचाव कर रही, SC से इसमें कोई बदलाव न करने का कर सकती है आग्रह

सुप्रीम कोर्ट ने नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10% आरक्षण के लिए ईडब्ल्यूएस श्रेणी के निर्धारण के लिए वार्षिक आय सीमा आठ लाख रुपये तय करने में सरकार की तरफ से द्वारा अपनाए गए तरीके पर सवाल उठाया था.

Text Size:

नई दिल्ली: समाज के आर्थिक रूप से कमजोर तबके (ईडब्ल्यूएस) के लिए मानदंड तय करने के अपने अधिकार पर जोर देते हुए केंद्र सरकार ने ईडब्ल्यूएस श्रेणी के निर्धारण में अपनाए गए मानदंडों का बचाव किया है. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक सरकार सुप्रीम कोर्ट से आग्रह कर सकती है कि यह प्रणाली जारी रखने की अनुमति दी जाए और इसमें कोई संशोधन या परिवर्तन न किया जाए.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘2019 में ईडब्ल्यूएस के निर्धारण के लिए सरकार की तरफ से अपनाई गई मौजूदा प्रणाली/मानदंड बिना किसी शिकायत या मुकदमे के संतोषजनक ढंग से काम कर रही हैं. इसलिए, जनहित में यही है कि यह सिस्टम जारी रखने की अनुमति दी जाए और इसमें कोई संशोधन/परिवर्तन न किया जाए.’

सुप्रीम कोर्ट ने गत 8 अक्टूबर को मेडिकल प्रवेश में ईडब्ल्यूएस कोटा को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण पाने वाले ईडब्ल्यूएस की पहचान के लिए वार्षिक आय सीमा के तौर पर आठ लाख रुपये की सीमा तय करने में केंद्र सरकार की तरफ से अपनाई गई प्रणाली पर सवाल उठाया था.

सरकार ने गत 29 जुलाई को इस शैक्षणिक वर्ष से पीजी मेडिकल कोर्स में अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) सीटों के भीतर अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत कोटा के अलावा 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने की अधिसूचना जारी की थी.

इसके बाद सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पीजी की 2500 सीटें ओबीसी और 1,000 ईडब्ल्यूएस को मिलेंगी. हालांकि, इस फैसले को कई याचिकाओं के जरिये चुनौती दी गई थी.

केंद्र सरकार की तरफ से अपने हलफनामे, जो बुधवार को पेश किए जाने की संभावना है, में इसका ब्योरा दिए जाने की संभावना है कि ओबीसी और ईडब्ल्यूएस के लिए आय मानदंड के रूप में आठ लाख रुपये क्यों तय किए गए थे.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया, ‘ईडब्ल्यूएस के लिए आय सीमा काफी हद तक ओबीसी के लिए निर्धारित क्रीमीलेयर के लिए तय की गई आय सीमा का पालन करती है. 2017 से पहले तक ओबीसी के संदर्भ में क्रीमी लेयर के निर्धारण के लिए वार्षिक आय की ऊपरी सीमा छह लाख रुपये प्रति वर्ष थी (2014 में जारी आदेशों के मुताबिक). 2017 में समान जीवन स्तर सुनिश्चित करने के लिए इस आय सीमा को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आधार पर समायोजित किया गया था.’


यह भी पढ़ें : BJP ने बंगाल उपचुनाव में बांग्लादेश, कश्मीर, तालिबान का मुद्दा उछाला, TMC बोली- साम्प्रदायिकता काम न आएगी


उन्होंने कहा, ‘सीपीआई 197 (इंडेक्स दिसंबर 2011) से बढ़कर 268 (इंडेक्स मार्च 2016) हो गया था, जिसका अंतर 1.36 का गुणक हुआ. इसके बाद छह लाख रुपये की मौजूदा आय सीमा को समान जीवन स्तर सुनिश्चित करने के लिए इस आंकड़े से गुणा करने पर आय सीमा 8.16 लाख प्रति वर्ष हो गई. यही आंकड़ा राउंड ऑफ करके सरकार ने आठ लाख रुपये की आय सीमा निर्धारित की जिसे क्रीमी लेयर की वार्षिक आय की ऊपरी सीमा के तौर पर अपनाया गया.

‘आय सीमा सारे देश में समान रूप से लागू’

सरकार अपने हलफनामे में बता सकती है कि आय सीमा हमेशा ही देशभर में समान रूप से लागू होती है. अधिकारी ने कहा, ‘अन्यथा, आरक्षण के लिए इस सीमा को लागू करने को लेकर भ्रम और अराजकता की स्थिति बन जाएगी.’

उन्होंने कहा, ‘भारत विभिन्न भौगोलिक स्थितियों, संस्कृतियों, भाषाओं और जलवायु वाला एक विशाल देश है. कहीं-कहीं तो राज्य स्तर पर भी स्थितियों में काफी भिन्नता होती हैं. किसी भी क्षेत्र के विकास का सीधा संबंध आर्थिक गतिविधियों से भी होता है और बहुत संभव है कि आज जो पिछड़ा क्षेत्र है वह थोड़े ही समय में तेजी से औद्योगिक/आर्थिक सक्रिय क्षेत्र के तौर पर विकसित हो जाए. इसलिए, सरकार के लिए मुमकिन नहीं है कि ईडब्ल्यूएस के बीच आर्थिक पिछड़ेपन के निर्धारण के लिए देश के विभिन्न राज्यों/क्षेत्रों/उप-क्षेत्रों/कस्बों/गांवों के लिए अलग-अलग दिशानिर्देश जारी करे.’

सरकार अपने हलफनामे में यह भी कह सकती है कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण की व्यवस्था आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में समान अवसर प्रदान करने के लिए आरक्षण देने के उद्देश्य से संविधान के संशोधित अनुच्छेद 15 और 16 पर आधारित है.

अधिकारी ने कहा, ‘केंद्र सरकार ईडब्ल्यूएस व्यक्तियों की पहचान का मानदंड निर्धारित करने के लिए अधिकृत है. साफ देखा जा सकता है कि पात्रता मानदंड निर्धारित करते समय उन लोगों को इसके दायरे से बाहर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई जो आर्थिक रूप से सम्पन्न हैं और केवल इस आय सीमा के भीतर आने वाले लोगों को ही दायरे में लाया गया. यह सीमा ओबीसी के लिए क्रीमी लेयर को परिभाषित करने की इसी तरह की विस्तृत प्रक्रिया के आधार पर तैयार की गई है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

share & View comments