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Thursday, 25 April, 2024
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आईआईटी, आईआईएम के झांसे से बचाने के लिए सरकार ने निजी संस्थाओं पर ऐसे नाम रखने पर लगाया प्रतिबंध

शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा जारी किए गए नए दिशा-निर्देशों में यह नियम दोहराया गया है.

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नई दिल्ली: इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी कालेज अब केवल नए ‘उभरते क्षेत्रों’ में जैसे रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में कोर्स शुरू कर सकते हैं न कि पुराने पारंपरिक क्षेत्रों में. ये दिशा-निर्देश 2020-21 से शुरू होने जा रहे अकादमिक सेशन से लागू होगा.

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई), जो कि तकनीकी शिक्षा पर सर्वोच्च संगठन है ने इस माह के शुरू में जारी अपने दिशा-निर्देश में ये बात कही है. साथ ही 2018 से लागू नियम पर भी परिषद ने एक बार फिर ज़ोर दिया है और वो ये है कि जाने-माने सरकारी इंस्टीट्यूट्स जैसे नाम नए कॉलेजों को न दिया जाये.

मसलन आईआईटी (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) और आईआईएम (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट).

ये दिशा-निर्देश 4 फरवरी को जारी किये गये. और इसे अकादमिक वर्ष 2020-21 के लिए तकनीकी इंस्टीट्यूट के लिए अनुमति लेने और लाइसेंस के नवीकरण के लिए जारी किया गया.


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साथ ही इंजीनियरिंग शिक्षा क्षेत्र में मांग से ज्यादा सप्लाई की समस्या पर भी विचार है. देश में हर साल कई सीटें खाली रह जाती हैं क्योंकि बड़ी संख्या में इंजीनियरिंग कालेज खोले जा चुके हैं. दिशा-निर्देश में कहा गया है कि जो इंस्टीट्यूट ज्यादा छात्र लेना चाहते हैं या नए अतिरिक्त कोर्स शुरू करना चाहते हैं, तो उनको इसकी अनुमति केवल ‘उभरते क्षेत्रों’ में दी जाएगी.

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उभरते क्षेत्र शिक्षा के नए क्षेत्र हैं. एआईसीटीई ने इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), ब्लॉकचेन (बिटकॉयन के पीछे लगने वाली तकनीक), रोबोटिक्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, डाटा साइंसेज, साइबर सुरक्षा, थ्री डी प्रिंटिंग और डिज़ाइन और ऑगमेंटेड रिएलिटी, वर्चुअल रिएलटी शामिल है.

एआईसीटीई के अध्यक्ष अनिल सहस्रबुद्धे का कहना है कि, ‘नवीनतम एआईसीटीई के नियमन शिक्षा का माहौल बनायेगा जो कि क्वालिटी शिक्षा को बढ़ावा देगा. ताकि देश की तकनीकी शिक्षा दुनिया में सबसे अच्छी हो जाए.’

संस्थानों का नाम आईआईटी, आईआईएम नहीं रखा जा सकता

दिशा-निर्देश में इस बात को दोहराया गया है कि नई संस्थाएं अपना नाम ऐसा नहीं रख सकती कि उसका संक्षिप्त नाम आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी (नेश्नल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी) या आईआईएससी (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस) हो.

ये नियम एआईसीटीई के अनुसार छात्रों को भ्रमित होने से बचायेगा.

ये नियम ‘सरकार द्वारा स्थापित तकनीकी संस्थान पर लागू नहीं होंगे या फिर अगर सरकार इसके नाम को हरी झंडी देती है.’

इसमें कहा गया है कि सभी संस्थाएं अपना पूरा नाम ही वेबसाइट और हैंडबुक में लिखेगी.

नए इंजीनियरिंग कॉलेजो पर प्रतिबंध

परिषद ने नए इंजीनियरिंग कालेजों की स्थापना पर प्रतिबंध लगाया है. ये इसलिए किया गया है क्योंकि बड़ी संख्या में मौजूदा कॉलेजो की सीटें खाली पड़ी रहती है. इनमें ज्यादा छात्रों को लिया भी नहीं जा सकता क्योंकि नियम कहते हैं कि ये तभी किया जा सकता है जब नए कोर्स शुरु किए जाये.

नियम में कहा गया है कि ‘ बड़ी संख्या में कई कोर्सेस में खाली सीटों के मद्देनज़र और आगामी मांग को ध्यान में रखते हुए , परिषद नई तकनीकि संस्थाओ को डिप्लोमा, अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट लेवल पर इंजीनियरिंग और टेक्नोलोजी क्षेत्र में और सीटों की अनुमति नहीं देती.’


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यही कारण है कि दिशा-निर्देश नए फार्मेसी पाठ्यक्रमों की स्थापना को भी रोकते हैं, ‘शुरुआत की दो साल की अवधि… शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए .’ दिप्रिंट ने पहली बार अक्टूबर 2019 में नए फार्मेसी कॉलेजों के बार को लेकर रिपोर्ट की थी.

नियम के अनुसार संस्थानों से उनकी फीस संरचना के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए कहा जाता है, जिसमें ब्रेक-अप और संकाय सदस्यों की अपनी वेबसाइटों पर योग्यता शामिल है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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