नयी दिल्ली, 20 अप्रैल (भाषा) केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च स्तर पर दिमागी स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करने और उन तक पहुंच बढ़ाने के लिए ‘मस्तिष्क स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय कार्य बल’ का गठन किया है।
मंत्रालय द्वारा शनिवार को जारी एक ज्ञापन में कहा गया है कि तंत्रिका तंत्र के विकार ‘विकलांगता समायोजित जीवन वर्ष’ (डीएएलवाई) का प्रमुख कारण है और वैश्विक स्तर पर मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है तथा इसके कारण प्रति वर्ष 90 लाख लोगों की मौत होती हैं।
डीएएलवाई का अर्थ जीवन के उन वर्षों से होता है जो विकलांगता या स्वास्थ्य संबंधी अन्य परेशानी के कारण कम हो जाते हैं।
पिछले तीन दशक में भारत में अधिकतर अध्ययनों से पता चला है कि आघात, मिर्गी, सिरदर्द, पार्किंसंस रोग और मनोभ्रंश सहित विशिष्ट बीमारियों का बोझ बढ़ा है और ये बीमारी ज्यादातर शहरी भारतीय आबादी में पाई गई हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच में सुधार की दिशा में प्रगति के बावजूद सामाजिक आर्थिक स्थिति, आयु, भूगोल और लिंग के आधार पर असमानताएं बनी हुई हैं।
ज्ञापन में कहा गया है कि भारत में तंत्रिका संबंधी स्वास्थ्य एवं देखभाल में सुधार के लिए सुलभ सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने की जरूरत है और इसके लिए निगरानी, रोकथाम, अत्यधिक देखभाल और पुनर्वास पर प्रभावी रणनीतियों के लिए एक व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाए जाने की तत्काल आवश्यकता है।
इसमें कहा गया है, ‘‘तंत्रिका संबंधी देखभाल और विज्ञान के क्षेत्र में तकनीकी विशेषज्ञों और संबंधित मंत्रालयों के साथ मिलकर ‘मस्तिष्क स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय कार्यबल’ का गठन करने का प्रस्ताव रखा गया है ताकि कमियों की गहराई से समीक्षा की जा सके और सिफारिशें की जा सकें।’’
ज्ञापन के अनुसार, यह कार्यबल प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च स्तर पर दिमागी स्वास्थ्य संबधी सेवाओं तक पहुंच और गुणवत्ता में सुधार के लिए सुझाव देगा।
कार्यबल 15 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट पेश करेगा।
भाषा
सिम्मी पवनेश
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