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Friday, 3 May, 2024
होमदेश'दरबार मूव' के दिन गए, ज्यादा ई-सर्विसेज हुईं लॉन्च - J&K प्रशासन में हो रहे बड़े स्तर पर बदलाव

‘दरबार मूव’ के दिन गए, ज्यादा ई-सर्विसेज हुईं लॉन्च – J&K प्रशासन में हो रहे बड़े स्तर पर बदलाव

डीएआरपीजी सचिव वी. श्रीनिवास ने दिप्रिंट को बताया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में ई-सेवाओं की संख्या लगभग 30 गुना बढ़ गई है, जो 2019 में 15 से बढ़कर अब 446 हो गई है.

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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर सरकार ने नागरिकों के जीवन को आसान बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक सेवाओं सहित कई प्रशासनिक सुधार लागू किए हैं.

प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) के सचिव वी श्रीनिवास ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में, इलेक्ट्रॉनिक सेवाओं (ई-सेवाओं) की संख्या 30 गुना बढ़ गई है, जो 2019 में 15 से बढ़कर इस साल 446 हो गई है.

यह विभाग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीधी निगरानी में आता है.

दिप्रिंट को दिए एक साक्षात्कार में श्रीनिवास ने कहा, ‘इन सेवाओं में भूमि रिकॉर्ड को अपडेट करना, राजस्व रिकॉर्ड का म्यूटेशन, निवास प्रमाण पत्र, शिकायतों का पंजीकरण, नए होटलों और गेस्ट हाउसों का पंजीकरण, स्वास्थ्य और विकलांगता आदि शामिल हैं. सरकार की प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर में प्रशासन को कुशल बनाना है.

श्रीनिवास ने यह भी कहा कि ई-सेवाओं की आपूर्ति के राष्ट्रीय आकलन में जम्मू-कश्मीर ने केंद्र शासित प्रदेश की श्रेणी में आना बंद कर दिया है क्योंकि प्रशासन ने ‘इतनी सारी ई-सेवाओं का संचालन किया.’

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उन्होंने कहा, ‘जुलाई में किए गए और मूल्यांकन और पब्लिश करने के दौरान, जम्मू-कश्मीर 227 ई-सेवाएं चला रहा था, जो किसी भी केंद्र शासित प्रदेश की तुलना में अधिक है. पिछले पांच महीनों में यह संख्या बढ़ी है.

केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर जैसे केंद्र शासित प्रदेशों और अरुणाचल, नागालैंड और मणिपुर के पूर्वोत्तर राज्यों सहित राज्यों में डिजिटल दक्षता लाने के लिए विशेष पहल की है, जहां इंटरनेट तक पहुंच एक चुनौती है. श्रीनिवास ने कहा, ‘इंटरनेट-रिच और इंटरनेट-पुअर डिवाइड मौजूद है. कठिन और संकटग्रस्त क्षेत्रों में इंटरनेट को सुलभ बनाने के लिए, सरकार सामान्य सेवा केंद्रों पर भी काम कर रही है. ये केंद्र अक्सर इंटरनेट-रिच और इंटरनेट-पुअर स्थानों के बीच की खाई को पाटते हैं.’


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जम्मू-कश्मीर प्रशासन में सुधार

प्रशासन चलाने के कई पुराने तरीकों का आधुनिकीकरण किया गया है, जिसमें दरबार मूव को खत्म करना, या सचिवालय और अन्य सरकारी कार्यालयों को सर्दियों में श्रीनगर से जम्मू और गर्मियों में जम्मू से श्रीनगर स्थानांतरित करना शामिल है.

इनमें दोनों शहरों के बीच सरकारी फाइलों को ट्रकों में स्थानांतरित करना शामिल था. इसमें 15 से 18 दिन लगा करते थे., और बहुत खर्च होता था.

उन्होंने कहा, ‘ई-ऑफिस प्रणाली और ई-सेवाओं के साथ हमने दरबार मूव को लगभग खत्म कर दिया है. भौतिक फाइलों का ट्रक ले जाना बंद हो गया है.

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर का परिवर्तन व्यापक और बड़े पैमाने पर था. उन्होंने कहा, ‘बेहतर सेवाओं में कारोबार सुगमता, जीवन यापन में सुगमता, पेंशन-संबंधी कार्य, स्वास्थ्य और शिक्षा शामिल हैं. सचिवालय को ई-ऑफिस प्रणाली में भी ले जाया गया है.

श्रीनिवास ने कहा कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ गुड गवर्नेंस इंटरनेट तक पहुंच को आसान और सुगम बनाने और सुशासन की पहल को आगे बढ़ाने में प्रशासन का समर्थन करने के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहा है.

उन्होंने कहा, ‘हम सिविल सेवा अधिकारियों के लिए सरकार के क्षमता-निर्माण कार्यक्रमों पर भी काम कर रहे हैं. जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों के अलावा, निदेशक से लेकर सचिव स्तर तक के कई वरिष्ठ अधिकारी नियमित रूप से केंद्र शासित प्रदेश का दौरा करते हैं ताकि सुचारू प्रशासन सुनिश्चित किया जा सके. कई वरिष्ठ अधिकारियों को भी इस क्षेत्र में तैनात किया गया था.

(अनुवाद एवं संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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