नई दिल्ली: केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत ने नदियों के जल को लेकर पाकिस्तान को चेताया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भारत के अपने हिस्से के पानी का इस्तेमाल करने के फैसले पर बेकार में बवाल मचा रहा है. यह भारत का अधिकार है, सिंधु जल समझौता हमें ऐसा करने की अनुमति देता है.
हाल ही में दो दिन पहले जल शक्ति मंत्री ने कहा था कि भारत अपने हिस्से के पानी को पाकिस्तान में बहने से रोकने की योजना का विस्तार कर रहा है, तो पड़ोसी देश पाकिस्तान ने कठोर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भारत ‘कश्मीर में पांचवीं पीढ़ी के युद्ध’ का इस्तेमाल कर रहा है, जहां पानी को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.
जल शक्ति मंत्री शेखावत ने कहा कि पाकिस्तान उस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है जो विशुद्ध रूप से भारत का आंतरिक मुद्दा है. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम किसी भी समझौते को नहीं तोड़ते हैं. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के जल संसाधन मंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान योजना (नदी के पानी को मोड़ने के लिए) पर विचार किया गया था. हमारी प्राथमिकता इस योजना को जल्दी से क्रियान्वित करना है ताकि किसान और आस-पास रहने वाले लोग इसका लाभ उठा सकें. हाइड्रोलॉजिकल स्टडी जारी है और विभिन्न एजेंसियां परियोजना को अंतिम रूप दे रही हैं. सिंधु जल समझौते के अनुसार, भारत की रावी, ब्यास और सतलज नदियों पर पूर्ण अधिकार हैं.
‘नल से जल’ पहुंचाने वाली योजना का 26 अगस्त से शुरु
शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री शेखावत ने दिप्रिंट को बताया, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एजेंडे में पानी की उपलब्धता सबसे ऊपर है.’
‘सरकार देश के हर घर में नल से पानी पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है.नल से जल योजना की शुरुआत 26 अगस्त से होगी.’
‘इस दौरान होने वाले ओरिएंटेशन प्रोग्राम में राज्यों के जल मंत्रियों और सचिवों को इस बारें में विस्तृत जानकारी दी जाएगी. इस दौरान राज्यों को इस योजना के लिए बजट भी आवंटित किया जाएगा. वर्तमान में भारत की केवल 18 प्रतिशत ग्रामीण आबादी की पहुंच नल के पानी तक है. हमारा अडिग विश्वास है कि 2024 तक, भारत इस मोर्चे पर एक महत्वपूर्ण बदलाव का गवाह बनेगा.’
सोमवार को होने वाले इस ओरिएंटेशन प्रोग्राम में राज्यों को इस योजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी. इस योजना पर जो भी खर्च आएगा उसे राज्य और केंद्र सरकार 50:50 के अनुपात में उठाएंगे. वहीं पूर्वोत्तर के राज्य के अलावा उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के इस खर्च काा अनुपात केंद्र और राज्यों के बीच 90:10 फीसदी रहेगाा. केंद्र शासित राज्यों में आने वाले पूरे खर्च केंद्र सरकार उठाएंगी.
17 सितंबर से देश में प्लास्टिक के खिलाफ अभियान
जल शक्ति मंत्री ने कहा, ‘सितंबर माह से केंद्र सरकार प्लास्टिक की चीजों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान शुरू करेगी.’
‘एक जिम्मेदार देश के रूप में भारत पर्यावरण मानदंडों के प्रति समर्पित है. प्लास्टिक की चीजों के खतरनाक पर्यावरणीय प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, हमारे पास प्लास्टिक को ना कहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.’
नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में स्वच्छता पेयजल मंत्रलाय और जलसंसधान मंत्रालय को मिलाकर जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया है.जल जीवन मिशन का मुख्य उद्देश्य 2024 तक हर ग्रामीण परिवार को पाइप के द्वारा पीने योग्य पानी देना है.