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Thursday, 19 December, 2024
होमदेशराजेंद्र प्रसाद से रामनाथ कोविंद तक- एक ऐसा स्कूल जहां देश के राष्ट्रपति भी शिक्षक बन जाते हैं

राजेंद्र प्रसाद से रामनाथ कोविंद तक- एक ऐसा स्कूल जहां देश के राष्ट्रपति भी शिक्षक बन जाते हैं

आप राजधानी दिल्ली में मदर टेरेसा क्रिसेंट मार्ग पर स्थित दांडी मार्च को दर्शाती ग्यारह मूर्ति से राष्ट्रपति भवन के गेट नंबर 31 में पैदल कुछेक मिनट में पहुंच जाते हैं. यहां से अंदर जाते ही मिलता है एक अद्वितीय स्कूल.

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अगर आपके स्कूल के शिक्षक वही हों जो देश के राष्ट्रपति हैं तो कैसा रहे. यकीन मानिए कि देश में इस तरह का एक स्कूल है. आप राजधानी में मदर टेरेसा क्रिसेंट मार्ग पर स्थित दांडी मार्च को दर्शाती ग्यारह मूर्ति से राष्ट्रपति भवन के गेट नंबर 31 में पैदल कुछेक मिनट में पहुंच जाते हैं. यहां से अंदर जाते ही मिलता है एक अद्वितीय स्कूल.

यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों में देश के माननीय राष्ट्रपति भी होते हैं. वे भी इधर क्लास लेते हैं. हां, ये जरूरी नहीं है कि वे अपने विद्यार्थियों को उनके कोर्स से संबंधित ही कुछ पढ़ाएं.

आइये चलें राष्ट्रपति भवन परिसर के अंदर स्थित डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय विद्यालय में.


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राष्ट्रपतियों का स्कूल से नाता

राष्ट्रपति भवन के अंदर की हरियाली और शांत वातावरण के बीच यहां पर पढ़ने का सुख ही अलग है. इधर देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद पढ़ाने चले आते थे. वे कक्षा में पूरी तरह से शिक्षक बन जाया करते थे. उन्हें बच्चों को हिन्दी और इंग्लिश व्याकरण पढ़ाना पसंद था. डॉ राजेंद्र प्रसाद की पत्नी श्रीमती राजवंशी देवी को भी स्कूल के कार्यक्रमों में मौजूद रहना पसंद था. उन्हें यहां सब मां ही कहते थे.

दरअसल राष्ट्रपति भवन के अंदर स्कूल 1946 में खोला गया था ताकि यहां पर रहने वाले मुलाजिमों के बच्चों को घर के पास ही स्कूल मिल जाए. उस समय भारत के वायसराय आर्किबाल्ड पेर्सियल वेवेल थे और राष्ट्रपति भवन को कहा जाता था वायसराय हाउस. मतलब साफ है कि जब यह इमारत एडविन लुटियन की देखरेख में बनी तो यहां पर स्कूल नहीं था.

बहरहाल, डॉ. राजेंद्र प्रसाद के बाद डॉ एस. राधाकृष्णन देश के राष्ट्रपति बने. पर वे राष्ट्रपति भवन के स्कूल में शायद ही कभी क्लास लेने पहुंचे हों. हालांकि वे शिक्षक भी थे. वैसे वे मुगल गॉर्डन में बच्चों से मिलकर बात करते थे.

राष्ट्रपति भवन में रहे बहुत से लोगों का कहना है कि डॉ. जाकिर हुसैन लगातार क्लास लेते थे. वे यह भी देखते थे कि स्कूल के बोर्ड के रिजल्ट बेहतर आएं. उस जमाने में दिल्ली में 11वीं के बोर्ड की परीक्षाएं होती थीं. डॉ जाकिर हुसैन शिक्षक थे और उनके अंदर का शिक्षक हमेशा जीवित रहा. वे जामिया मिल्लिया इस्लामिया के संस्थापकों में से थे. पर अफसोस कि वे अपना राष्ट्रपति पद का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके थे.

डॉ. जाकिर हुसैन की पत्नी श्रीमती शाहजहां बेगम भी कभी-कभी स्कूल में बच्चों से मिलती थीं. देश की आजादी के बाद स्कूल का मैनेजमेंट दिल्ली प्रशासन के पास आ गया. इसे 2019 में केंद्रीय विद्यालय को सौंप दिया गया.

वी.वी. गिरी और उनकी पत्नी श्रीमती सरस्वती बाई किसी खास अवसर पर राष्ट्रपति भवन के स्कूल के बच्चों से अवश्य मिलते और उन्हें आशीर्वाद देते. उनके बाद राष्ट्रपति डॉ. फ़ख़रुद्दीन अली अहमद बने. वे और उनकी पत्नी बेगम आबिदा अहमद स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर स्कूल जाया करते थे.

एन. संजीव रेड्डी और उनकी पत्नी श्रीमती नीलम नागारत्ननम्मा राष्ट्रपति भवन में रहने वाले लोगों के बच्चों से शिक्षक दिवस पर मिलकर उन्हें उपहार देते थे. उनके बाद राष्ट्रपति बने ज्ञानी जैल सिंह. वे तो यहां के स्कूल में जाया करते थे. पर उनकी पत्नी प्रधान कौर शायद ही कभी किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में दिखीं. कमोबेश यही स्थिति आर. वेकटरामन की पत्नी श्रीमती जानकी वेंकटरामन की भी थी. डॉ. शंकर दयाल शर्मा भी बच्चों के साथ कभी-कभी मिलते थे.

डॉ के.आर. नारायणन देश के दसवें राष्ट्रपति थे. वे और उनकी पत्नी उषा नारायणन कभी राष्ट्रपति भवन के स्कूल में आते-जाते नहीं थे.


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अब्दुल कलाम से लेकर कोविंद तक

जब मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम देश के राष्ट्रपति बने तो राष्ट्रपति भवन के स्कूल की किस्मत खुल गई. वे निरंतर इधर आने लगे. वे यहां स्वाधीनता दिवस या गणतंत्र दिवस समारोहों के अलावा भी पहुंच जाया करते थे. वे किसी भी क्लास में चले जाते थे. वे वैज्ञानिक थे. जाहिर है, उनकी पाठशाला में विज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर ही बातें होती होंगी. वे बच्चों को प्रेरित थे कि वे अपने अध्यापकों से सवाल पूछे. वे बच्चों को मुगल गॉर्डन में भी बुला लिया करते थे. फिर वे उन्हें विभिन्न पेड़ों-फूलों की प्रजातियों के बारे में विस्तार से बताते थे.

प्रणब मुखर्जी ने 2016 में यहां के 10वीं तथा 12वीं कक्षाओं के 60 बच्चों की क्लास ली थी. उस क्लास में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ करवाने के मसले पर बच्चों ने राष्ट्रपति से कई सवाल पूछे थे. प्रणब मुखर्जी की पत्नी शुभ्रा मुखर्जी खुद शिक्षाविद थीं. वह भी राष्ट्रपति भवन के स्कूल में कभी-कभी जाया करती थीं. मुगल गॉर्डन के मालियों से मिलती रहती थीं ताकि मुगल गॉर्डन में रंग-बिरंगे फूलों की छटा बिखरती रहे.

देश के मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 10 फरवरी 2020 को डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय विद्यालय में आए थे. उनके साथ महामहिम की पत्नी श्रीमती सविता कोविंद भी थीं. दोनों ने स्कूल की प्रयोगशालाएं देखने के साथ-साथ प्राइमरी कक्षाओं के बच्चों के साथ वक्त बिताया. वे बच्चों के साथ अनौपचारिक तरीके से बात कर रहे थे. उनसे बच्चों ने भी कई सवाल पूछे थे.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं. व्यक्त विचार निजी हैं)


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