जैसलमेर, पांच अगस्त (भाषा) जैसलमेर के पूर्व राजपरिवार के एक सदस्य ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की आठवीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में छपे उस मानचित्र की निंदा की है जिसमें जैसलमेर को मराठा साम्राज्य का हिस्सा दिखाया गया है।
चैतन्य राज सिंह ने इस मानचित्र को ‘ऐतिहासिक रूप से भ्रामक, तथ्यहीन और गंभीर रूप से आपत्तिजनक’ बताया है।
सिंह ने सोमवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि इस प्रकार की अपुष्ट और ऐतिहासिक साक्ष्यविहीन जानकारी न केवल एनसीईआरटी जैसी संस्थाओं की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगाती है, बल्कि हमारे गौरवशाली इतिहास और जनभावनाओं को भी आघात पहुंचाती है।
इस पोस्ट में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और एनसीईआरटी को टैग करते हुए, उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इस प्रकार की ‘त्रुटिपूर्ण, दुर्भावनापूर्ण और एजेंडा-प्रेरित प्रस्तुति’ को गंभीरता से लेते हुए तत्काल संशोधन करवाया जाए।
उन्होंने लिखा, ‘यह केवल एक तथ्य संशोधन नहीं, बल्कि हमारी ऐतिहासिक गरिमा, आत्मसम्मान और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की सत्यनिष्ठा से जुड़ा विषय है। इस विषय पर त्वरित एवं ठोस कार्रवाई की अपेक्षा है।’
सिंह ने कहा कि जैसलमेर रियासत के संदर्भ में उपलब्ध प्रामाणिक ऐतिहासिक स्रोतों में कहीं भी मराठा आधिपत्य, आक्रमण, कराधान या प्रभुत्व का कोई उल्लेख नहीं मिलता। इसके विपरीत, हमारी राजकीय पुस्तकों में भी स्पष्ट उल्लेखित है कि जैसलमेर रियासत में मराठाओं का कभी भी, कोई दखल नहीं रहा।
भाषा पृथ्वी
जोहेब
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