नई दिल्ली: आईआईटी-बांबे के वैज्ञानिकों ने देशभर के डॉक्टरों और वकीलों के साथ मिलकर दिल्ली, महाराष्ट्र और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों को एक खुला पत्र लिखा है, जिसमें उनसे एक टास्क फोर्स गठित करने का आग्रह किया गया है जो वैज्ञानिक तौर पर चरणबद्ध तरीके से स्कूलों को फिर खोलने की योजना बनाने में मदद कर सके.
28 जुलाई को लिखे गए पत्र में विशेषज्ञों ने कहा है कि देश में पिछले 16 महीनों से स्कूल व्यापक स्तर पर बंद ही हैं, जिससे छात्रों की पढ़ाई-लिखाई और उनके विकास की दृष्टि से होने वाली क्षति लगातार बढ़ रही है. पत्र में कहा गया है कि यह स्थिति इसके बावजूद है कि वैज्ञानिक साक्ष्य अब संकेत देते हैं कि सुरक्षा उपायों के साथ स्कूल फिर से खोलना संभव है.
वैज्ञानिकों ने पत्र में लिखा है, ‘संभावित तीसरी लहर में सबसे ज्यादा अनुपात में बच्चों के प्रभावित होने का कोई विश्वसनीय वैज्ञानिक अनुमान नहीं है.’
इसके अलावा, पत्र में यह भी कहा गया है कि बच्चों के खुद कोविड-19 की चपेट में आने का जोखिम कम ही होता है, और इस बात के पुख्ता वैज्ञानिक प्रमाण हैं कि स्कूल कोविड-19 का संक्रमण फैलने का बहुत बड़ा कारण नहीं बनते हैं.
भारत में भी तमाम रिपोर्टें बताती हैं कि सुरक्षा मानकों को अपनाकर स्कूलों को रूप से फिर से खोलना संभव है.
पत्र में विशेषज्ञों ने बताया कि स्कूल बंद होने की एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है, खासकर समाज के गरीब वर्गों को. उन्होंने यह भी कहा कि ऑनलाइन शिक्षा सभी के लिए सुलभ नहीं है और प्राथमिक विद्यालय के बच्चों की बुनियादी भाषा और गणितीय क्षमताएं प्रभावित हो रही हैं.
साथ ही तमाम रिपोर्टों को मानें तो बच्चों को अपने मिड-डे मील से वंचित रहना पड़ रहा है और ऐसे में बाल मजदूरी भी बढ़ी है.
पत्र में कहा गया है, ‘निरक्षरता और गरीबी का यह चक्र आने वाली कई पीढ़ियों तक बच्चों को प्रभावित करेगा; आगे उनका कल्याण और वास्तव में तो पूरे देश का भविष्य पूरी तरह निरंतर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर ही निर्भर है.’
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टास्क फोर्स बनाएं, प्राथमिकता के आधार पर स्कूल स्टाफ का टीकाकरण हो
पत्र में विशेषज्ञों ने स्कूलों को फिर से खोलने की योजना बनाने के लिए तात्कालिक आधार पर संबंधित विशेषज्ञों के साथ एक टास्क फोर्स गठित करने की सिफारिश की है.
उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि सेकेंडरी स्कूलों से पहले प्री-प्राइमरी और प्राइमरी स्कूल खोले जाएं.
विशेषज्ञों ने स्कूल स्टाफ का प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण करने और खुराक के बीच अंतर घटाने का भी सुझाव दिया—जैसा आगे पढ़ाई के लिए विदेश जाने वाले छात्रों के मामले में किया गया है.
स्कूलों को एक साथ खोले जाने के बजाये विशेषज्ञों का सुझाव दिया कि शुरुआत में छोटे-छोटे समूहों में छात्रों को सप्ताह में एक या दो दिन ही स्कूल बुलाया जाए. इसके साथ ही ऑनलाइन से हाइब्रिड मॉडल—जिसमें ऑनलाइन और सामान्य ढंग दोनों ही तरह से कक्षाएं लगाने की व्यवस्था हो—में अपग्रेड करने के लिए स्कूलों को अपने बुनियादी ढांचे में सुधार करना चाहिए.
पत्र में कहा गया है कि स्कूलों को कोविड के अनुरूप उचित व्यवहार अपनाने के दिशानिर्देश, जैसे मास्क लगाना और सामाजिक दूरी का पालन करना, जारी करने के अलावा यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके परिसर में वेंटिलेशन की उचित व्यवस्था हो.
विशेषज्ञों ने बताया कि लैंसेट कोविड-19 कमीशन इंडिया टास्क फोर्स की तरफ से भी स्कूलों को फिर से खोलने के लिए विस्तृत सिफारिशें जारी की गई हैं.
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