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Thursday, 31 October, 2024
होमदेशकिसानों ने सरकार के लिए कानून का मसौदा बनाया, MSP की गारंटी और उससे नीचे खरीद को अपराध बनाने को कहा

किसानों ने सरकार के लिए कानून का मसौदा बनाया, MSP की गारंटी और उससे नीचे खरीद को अपराध बनाने को कहा

मसौदा प्रस्ताव में कहा गया है कि हर किसान को हर कृषि उपज की बिक्री के अधिकार के तौर पर जीआरएमएसपी मिलेगा. जो भी व्यापारी कम भुगतान करेगा उसे दंडित किया जा सकेगा.

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चंडीगढ़: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत किसान सिर्फ नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ लागू किए गए तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की ही मांग नहीं कर रहे हैं. वे यह भी चाहते हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को उनका कानूनी अधिकार बनाया जाए. किसान सरकार से एक नया कानून बनाने की मांग कर रहे हैं जो फसलों की ‘गारंटीशुदा पारिश्रमिक एमएसपी’ (जीआरएमएसपी) से नीचे खरीद को एक संज्ञेय दंडनीय अपराध बना दे.

अपनी पांच दौर की वार्ता के दौरान किसान नेताओं की ओर से सरकार को सौंपे गए प्रस्तावित मसौदा कानून में एक प्रमुख मांग जीआरएमएसपी ही है.

यह मांग उन नौ मांगों संबंधी चार्टर का हिस्सा भी थी, जिसे आंदोलनकारी किसान संघों की एकीकृत इकाई अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने जुलाई में प्रधानमंत्री मोदी को भेजा था. यह प्रस्ताव दिप्रिंट के पास भी उपलब्ध है.

मसौदा प्रस्ताव में कहा गया है कि पूरे भारत में हर किसान किसी भी कृषि उपज की बिक्री के लिए जीआरएमएसपी के तहत भुगतान का हकदार होगा. किसान चाहते हैं कि एपीएमसी सहित भारत के सभी कृषि बाजारों में हर कृषि उपज के लिए नीलामी या प्रस्ताव मूल्य की शुरुआत जीआरएमएसपी को आधार मूल्य मानकर की जाए यानी उससे कम मूल्य पर नीलामी की अनुमति नहीं होगी.

मसौदा प्रस्ताव के अनुसार कोई भी व्यापारी, जिसमें कांट्रैक्ट फार्मिंग के तहत अनुबंध करने वाले व्यापारी भी शामिल हों, जीआरएमएसपी से नीचे कोई भी वस्तु नहीं खरीदेगा. किसी व्यापारी का ऐसा करना एक संज्ञेय अपराध माना जाएगा.

पहली बार अपराध करने वाले को किसानों को हुए कुल घाटे का दोगुना जुर्माना देने के साथ ही तीन माह कैद की सजा भुगतनी होगी. दूसरी बार के अपराधी के लिए कारावास की सजा छह महीने की होगी. तीसरी बार के अपराधी के लिए जुर्माना किसान को हुए घाटे का तीन गुना होगा और 12 महीने की कैद की सजा के साथ भविष्य में व्यापार करने पर रोक का सामना करना पड़ेगा.


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नए केंद्रीय और राज्य मूल्य गारंटी आयोग

कानून का मसौदा यह भी प्रस्तावित करता है कि सभी कृषि वस्तुओं पर जीआरएमएसपी एक नए केंद्रीय किसान कृषि लागत और पारिश्रमिक मूल्य गारंटी आयोग की तरफ से तय किया जाएगा. कीमतें उत्पादन लागत के विस्तृत अनुमान के आधार पर तय होंगी.

प्रस्ताव में कहा गया है कि लागत में फसल उगाने के दौरान किए गए हर तरह के भुगतान को शामिल किया जाएगा. इसमें बुआई पर लागत, कुशल मजदूरी की दर पर परिवार के श्रम समेत; किराये की दर से भूमि की लागत; कृषक परिवार की ओर से प्रबंधन संबंधी गणना में शामिल संपत्ति और कार्यों पर लगने वाला ब्याज, संपत्ति और अन्य घटकों में मूल्यह्रास आदि शामिल है.

इसके बाद प्रस्तावित नए आयोग से उम्मीद होगी कि वह कृषि उपज पर आई पूरी लागत पर कम से कम 50 फीसदी का लाभ सुनिश्चित करते हुए इनकी कीमतों पर सरकार से सिफारिश करे.

सिफारिशें मिलने के एक महीने के भीतर सरकार वस्तुओं का जीआरएमएसपी अधिसूचित करेगी. जीआरएमएसपी घोषित करने के अलावा सरकार इस पर एक अतिरिक्त बोनस को भी अधिसूचित कर सकती है.

केंद्रीय आयोग के अलावा प्रत्येक राज्य एक मूल्य गारंटी आयोग का गठन करेगा. राज्य आयोग हर साल केंद्रीय आयोग को कीमतों पर सिफारिशें भेजेंगे और केंद्रीय आयोग की तरफ से तय कीमतों से अधिक मूल्य के भुगतान के लिए राज्य सरकारों को अपनी सिफारिशें भी कर सकते हैं. ये सिफारिशें केवल संबंधित राज्य के भीतर लागू होंगी.

राज्य आयोगों का उद्देश्य उन कृषि जिंसों को भी इसमें शामिल करना है जिन्हें केंद्रीय आयोग की तरफ से छोड़ दिया गया होगा. राज्य आयोग बीज, उर्वरक, कीटनाशक, बिजली, डीजल, कृषि उपकरण आदि कृषि में काम आने वाली चीजों की लागत नियंत्रित करने के संबंध में राज्य सरकारों को अपनी सिफारिश भेज सकते हैं.

प्रस्ताव के तहत राज्य आयोगों को जीआरएमएसपी का भुगतान न किए जाने या उसमें देरी करने के मामलों में जांच करने और किसानों को मुआवजे देने की घोषणा करने का भी अधिकार होगा. व्यापारियों का कोई नुकसान होने की स्थिति में आयोग उनकी अपील और आवेदन पर भी सुनवाई करेगा.

अन्य उपाय

प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि सरकार खाद्य योजनाओं के लिए स्थानीय स्तर पर पर्याप्त मात्रा में सभी जिंसों की खरीद के लिए उचित संख्या में विपणन केंद्र खोलेगी जो सीधे तौर पर काम करेंगे, या नामित खरीद एजेंसियों या फिर व्यापारी निकायों, स्वयं सहायता समूहों या किसान उत्पादक संगठनों के माध्यम से खरीद करेंगे.

इसमें यह भी कहा गया है कि दूसरे देशों से आने वाले कृषि जिंसों का लैंडिंग प्राइस कम से कम जीआरएमएसपी के बराबर होना सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार आयात शुल्क बढ़ाकर दूसरी जगहों से सब्सिडीकृत कृषि उत्पादों का आयात रोकने के उपाय करेगी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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