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गुरूवार, 12 जून, 2025
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किसानों का ‘दिल्ली चलो’ मार्च नोएडा में रोका गया, प्रदर्शनकारियों ने सात दिन की समय सीमा दी

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नयी दिल्ली/नोएडा, दो दिसंबर (भाषा) सरकार द्वारा अधिग्रहित की गई अपनी जमीन के लिए उचित मुआवजे की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आए किसानों ने सोमवार को दिल्ली की ओर कूच किया, लेकिन उन्हें नोएडा-दिल्ली सीमा पर रोक दिया गया, जहां वे धरने पर बैठ गए।

किसानों ने कहा कि अगर सात दिनों के भीतर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे फिर से दिल्ली की ओर कूच करेंगे।

‘‘बोल किसान, हल्ला बोल’’ के नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारी किसान दादरी-नोएडा लिंक रोड पर महामाया फ्लाईओवर पर एकत्र हुए और पूर्वाह्न करीब 11:30 बजे अपना ‘दिल्ली चलो’ मार्च शुरू किया।

यातायात अवरूद्ध हो जाने के कारण दिल्ली-नोएडा सीमा से गुजरने वाले यात्रियों को असुविधा हुई, क्योंकि पुलिस ने मार्च को रोकने के लिए कुछ दूरी तक अवरोधक लगा दिये थे और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी। यह मार्च ऐसे समय में निकाला गया, जब संसद का शीतकालीन सत्र जारी है।

नोएडा की चिल्ला सीमा पर कई घंटों तक किसानों का प्रदर्शन जारी रहा, क्योंकि विभिन्न किसान समूहों के बैनर और झंडे लहराते हुए प्रदर्शनकारियों ने शुरुआती अवरोधकों को पार कर लिया था।

आखिरकार उन्हें दिल्ली के प्रवेश स्थल चिल्ला सीमा से लगभग एक किलोमीटर दूर दलित प्रेरणा स्थल के पास रोक लिया गया, जहां वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने उन्हें समझाने-बुझाने की कोशिश की।

प्रदर्शनकारी किसानों ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के तहत भूमि अधिग्रहण बकाया राशि के भुगतान सहित अपनी विभिन्न मांगों को पूरा करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया, जिसके बाद शाम छह बजे इस मार्ग पर यातायात बहाल हो गया।

बारह किसान संघों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक बयान में कहा कि किसानों ने अधिकारियों से यह आश्वासन मिलने के बाद कि उप्र के मुख्य सचिव उनकी मांगों पर चर्चा करने और उनका समाधान करने के लिए बैठक करेंगे, फिलहाल दलित प्रेरणा स्थल पर ही रहने का फैसला किया है।

बयान में कहा गया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, आंदोलन जारी रहेगा।

बयान के अनुसार, ‘‘योगी आदित्यनाथ सरकार किसानों को न्याय दिलाने में विफल रही है। भाजपा नीत उत्तर प्रदेश सरकार ने 2017 से भूमि सर्किल दर में संशोधन नहीं किया है और भूमि मालिकों को भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत पर्याप्त, वैध मुआवजे और अन्य लाभों से वंचित रखा गया है।’’

एसकेएम की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य शशिकांत ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि यह विरोध प्रदर्शन एसकेएम की गौतमबुद्ध नगर इकाई के तत्वावधान में आयोजित किया गया।

भारतीय किसान परिषद के अनुसार अलीगढ़ और आगरा समेत उत्तर प्रदेश के 20 जिलों के किसानों ने मार्च में हिस्सा लिया।

भारतीय किसान यूनियन की आगरा जिला इकाई के प्रमुख राजवीर लवानिया ने कहा, ‘‘ आगरा संभाग के कुछ किसान सोमवार को नोएडा में हुए विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थे। अगर जरूरत पड़ी तो और लोग भी इस आंदोलन में शामिल होंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अभी तक आगरा संभाग से करीब 100 किसान ही विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए हैं, लेकिन यदि भूमि अधिग्रहण से विस्थापित किसानों के लिए 10 प्रतिशत विकसित भूखंडों के आवंटन, रोजगार लाभ और भूमिहीन किसानों के बच्चों के लिए पुनर्वास की मांग पूरी नहीं हुई तो यह संख्या बढ़ सकती है।’’

किसान यूनियन संयुक्त मोर्चा की अमरोहा इकाई के प्रमुख नरेश चौधरी ने फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि सरकार उनकी जमीनों का सही मूल्य नहीं दे रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम मांग कर रहे हैं कि इस विसंगति को दूर किया जाए।’’ सोमवार के आंदोलन का हिस्सा रहे चौधरी ने कहा कि किसान यूनियन संयुक्त मोर्चा की अमरोहा इकाई के सदस्य आंदोलन में भाग लेने के बाद लौट गए हैं।

इस बीच, एसकेएम ने एक विज्ञप्ति में कहा कि वह बुधवार को ‘‘बिजली के निजीकरण’’ के खिलाफ पूरे उत्तर प्रदेश में विरोध प्रदर्शन करेगा।

एसकेएम ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ग्रेटर नोएडा, नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे, यूपीएसआईडीसी और अन्य परियोजनाओं से प्रभावित किसानों की ‘‘वास्तविक मांगों’’ को तुरंत स्वीकार करना चाहिए। किसान संगठन ने यह भी कहा कि मांगें पूरी होने तक धरना जारी रहेगा।

किसानों के मार्च और पुलिस द्वारा की गई वाहनों की जांच के कारण चिल्ला सीमा, डीएनडी फ्लाईवे, दिल्ली गेट और कालिंदी कुंज से गुजरने वाले लोग घंटों भारी जाम में फंसे रहे।

दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सीमा चौकियों पर जांच की गई और निगरानी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया।

संयुक्त पुलिस आयुक्त (दक्षिणी रेंज) एस के जैन ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने नोएडा पुलिस के साथ समन्वय किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि नयी दिल्ली क्षेत्र में भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता की धारा 163 लागू है और संसद सत्र चल रहा है, इसलिए बिना अनुमति के विरोध प्रदर्शन सख्त वर्जित है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने दोनों सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ा दी है। पर्याप्त संख्या में अवरोधक लगाये हैं। हाइड्रा क्रेन तैनात किए गए हैं। हम उन लोगों को रोकेंगे जो जबरन शहर में प्रवेश करने की कोशिश करेंगे।’’

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के नेतृत्व में पंजाब के किसानों के एक समूह ने 6 दिसंबर को दिल्ली की ओर मार्च करने का आह्वान किया है।

यह समूह 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा स्थलों पर डेरा डाले हुए है।

भाषा सुभाष प्रशांत

प्रशांत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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