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Friday, 10 May, 2024
होमदेश'चंद्रयान-2' की विफलता ही 'चंद्रयान-3' की सफलता का कारण बना: ISRO के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन

‘चंद्रयान-2’ की विफलता ही ‘चंद्रयान-3’ की सफलता का कारण बना: ISRO के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन

अंतरिक्ष में 40 दिनों की यात्रा के बाद, चंद्रयान -3 लैंडर, 'विक्रम', बुधवार शाम को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को छू गया, जिससे भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन गया.

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नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अंतरिक्ष वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने चंद्रमा पर ‘विक्रम’ लैंडर के सफल टचडाउन के बाद कहा कि चंद्रयान -2 की विफलता से सीखे गए सबक ने भारत के तीसरे चंद्र मिशन की सफलता के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 की असफलता भारत को चंद्रमा के साउथ पोल पर पहुंचने के लिए एक मिल का पत्थर साबित हुआ.

मीडिया से बातचीत करते हुए नारायणन ने चंद्रयान-3 मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा, “चंद्रयान -2 की विफलता के हर पहलुओं पर बात की गई. इसे उपग्रह समस्या, स्थिरता की समस्या या अतिरिक्त आवश्यकता की समस्या होने दें. इसबार सभी को ठीक कर दिया गया.”

उन्होंने आगे कहा, “चंद्रयान-2 की विफलता का उपयोग चंद्रयान-3 की सफलता के लिए किया गया. या हम कह सकते हैं कि हमने उस विफलता को अपने लिए एक मजबूत पक्ष के रूप में इस्तेमाल किया गया. इस तरह, उन्होंने (इसरो वैज्ञानिकों ने) स्पष्ट रूप से एक अद्भुत काम किया है. हम प्रक्षेपण से पहले ही आश्वस्त थे कि यह (चंद्रयान-3) सफल होगा. और वैसा ही हुआ. सभी को बधाई.”

अंतरिक्ष वैज्ञानिक ने कहा कि तीसरा चंद्र मिशन इसरो के लिए चुनौतीपूर्ण था खासकर, देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रति प्रतिबद्धता और चंद्रयान-2 की विफलता को देखते हुए. उन्होंने कहा कि चुनौतियों के बावजूद, इसरो में परियोजना से जुड़े वैज्ञानिक जानते थे कि मुख्य मिशन उद्देश्य प्राप्त किए जा सकते हैं.

नारायणन ने कहा, “यह इसरो भारत और मानव जाति के लिए भी एक महान दिन है. हमने जो हासिल किया है, वह एक तरह से अविश्वसनीय है. जब मैं अविश्वसनीय कहता हूं, तो मेरा मतलब उस तरह के बजट से है जो हमारे पास है, जिस तरह की अन्य प्रतिबद्धताएं हैं और (चंद्रयान-2 की) विफलता के बाद, जिसने हमें बड़ी मुश्किल में डाल दिया था. फिर भी हमने मिशन के उद्देश्यों को हासिल किया. यह अविश्वसनीय है क्योंकि यह विश्वसनीय भी है क्योंकि इसरो में हर कोई जानता था कि यह हासिल किया जा सकता है और उन्होंने इसे हासिल किया.”

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अंतरिक्ष में 40 दिनों की यात्रा के बाद, चंद्रयान -3 लैंडर, ‘विक्रम’, बुधवार शाम को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को छू गया, जिससे भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन गया.

अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चंद्र लैंडिंग मिशन को सफलतापूर्वक संचालित करने वाला चौथा देश बन गया. चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान ने लैंडिंग से पहले विक्रम लैंडर को चंद्रमा की सतह पर क्षैतिज स्थिति में झुका दिया.
अंतरिक्ष यान को 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था.

अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण के लिए एक जीएसएलवी मार्क 3 (एलवीएम 3) हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन का उपयोग किया गया था, जिसे 5 अगस्त को चंद्र कक्षा में स्थापित किया गया था और तब से, यह चंद्रमा की सतह पर पहुंचने से पहले कक्षीय प्रक्रियाओं की एक श्रृंखला से गुजरा.


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