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Thursday, 2 May, 2024
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अनियमित बारिशों की वजह से खरीफ की घटती रोपाई बढ़ा रही चिंता- रिपोर्ट में हुआ ख़ुलासा

चावल और दालों की खेती का रक़बा पिछले साल से कम है, जबकि जून-अक्तूबर खरीफ फसल सीज़न में तिलहन के क्षेत्र में मामूली वृद्धि हुई है.

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नई दिल्ली: इस साल 5 अगस्त तक भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून में सामान्य या ‘लंबी अवधि के औसत’ (एलपीए) से 6 प्रतिशत अधिक बारिशें देखी गई हैं, लेकिन भौगोलिक विषमताओं ने चावल समेत खरीफ की सभी फसलों की रोपाई पर असर डाला है- ये ख़ुलासा बैंक ऑफ बड़ौदा की एक नई रिपोर्ट में किया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया कि अनाज की खेती का रक़बा, जिसमें चावल शामिल है, पिछले साल से कम है क्योंकि उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में बारिशों में कमी रही है. अनाज की खेती का रक़बा पिछले साल के 4.02 करोड़ हेक्टेयर से घटकर, इस साल 3.74 करोड़ हेक्टेयर रह गया है, जबकि चावल की खेती का रक़बा जो 2.67 करोड़ हेक्टेयर था, 2022 में घटकर 2.32 करोड़ हेक्टेयर रह गया है- जो 13 प्रतिशत से अधिक की गिरावट है.

भारत में जून से अक्तूबर तक चलने वाले 2022 के खरीफ सीज़न में, दालों के बोवाई क्षेत्र में भी कमी आई है. पिछले साल की अपेक्षा दालों की खेती के रक़बे में पिछले साल की तुलना में 2.5 प्रतिशत की कमी आई है. दालों के अंदर अरहर के रक़बे में 10.4 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि उड़द की बुवाई में 2021 की अपेक्षा 6 प्रतिशत की कमी हुई है. लेकिन, रिपोर्ट में पता चला कि दालों के अंदर मूंग की बोवाई में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

चावल के अंतर्गत ये क्षेत्र 29 जुलाई को कृषि मंत्रालय की ओर से जारी रक़बा रिपोर्ट के हिसाब से हैं. मंत्रालय ने 5 अगस्त को रक़बे के ताज़ातरीन आंकड़े जारी नहीं किए. ये आंकड़े आमतौर से हर शुक्रवार को प्रकाशित किए जाते हैं.

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि तिलहन की बुवाई का रक़बा, 2021-22 के 1.74 करोड़ हेक्टेयर से मामूली रूप से बढ़कर, 2022-23 में 1.75 करोड़ एकड़ हो गया.

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मानसून का असमान फैलाव

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल के मुकाबले देश भर में कुल बारिशें कम रही हैं. भारत में इस साल 1 जून से 5 अगस्त के बीच 50एमएम बारिशें दर्ज की गईं, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 63 एमएम बारिशें हुईं थीं.

भारत का पूर्वी हिस्सा, जिसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, और पश्चिम बंगाल राज्य शामिल हैं, उसमें कम बारिशें हुई हैं जिससे मुख्य खरीफ फसल चावल की रोपाई प्रभावित हुई है. लेकिन, रिपोर्ट में आगे कहा गया कि दक्षिण में अधिक बारिशें हुई हैं.

रिपोर्ट में पाया गया कि उत्तर और उत्तर-पूर्वी भारत में, जिनमें पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं, सामान्य बारिशें हुई हैं.

तेलंगाना, कर्नाटक, और तमिलनाडु राज्यों में सामान्य से अधिक बारिशें देखी गईं. रिपोर्ट में हिसाब लगाया गया कि दक्षिणी प्रायद्वीप में ये बारिशें सामान्य से 34 प्रतिशत अधिक थीं.


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सर्दी की फसलों की रोपाई में उच्च जलाशय भंडारण से सहायता

सामान्य से अधिक बारिशों के कारण दक्षिणी भारत के जलाशयों में इस समय जल भंडारण का स्तर देश में सबसे ऊंचा है. लेकिन, ये स्तर कुल क्षमता का 77% हैं, जबकि पिछले साल इस समय तक ये स्तर क्षमता का 80% थे. इसकी तुलना में उत्तर भारत के जलाशय भंडारण के स्तर, कुल क्षमता का 50 प्रतिशत थे जबकि पिछले साल ये केवल 40% थे.

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि भारत की पश्चिमी पट्टी में, जिसमें राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र सूबे शामिल हैं, अधिक बारिशें देखी गईं. इसके नतीजे में जलाशय भंडारण का स्तर कुल क्षमता का 69 प्रतिशत हो गया, जबकि इसकी तुलना में पिछले साल ये 51 प्रतिशत था.

जलाशयों में भंडारण का ऊंचा स्तर सर्दी या रबी के मौसम में फसलों की बोवाई में सहायता करता है, जो अक्तूबर-नवंबर में शुरू होता है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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