मुंबई, पांच अगस्त (भाषा) मुंबई की एक विशेष एनआईए अदालत ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी कार्यकर्ता गौतम नवलखा को कुछ समय के लिए दिल्ली में रहने की अनुमति देने से इनकार कर दिया और बार-बार एक ही राहत मांगने पर उन्हें फटकार भी लगाई।
न्यायाधीश सी एस बाविस्कर ने एक अगस्त को अपने आदेश में कहा कि नवलखा को जमानत की शर्त के तहत मुंबई में रहने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने चतुराई से एक ही राहत के लिए कई आवेदन दायर करने की युक्ति ढूंढ़ ली।
इस आदेश की प्रति मंगलवार को उपलब्ध हुई।
नवंबर 2024 में, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के मामलों से संबंधित विशेष अदालत ने उन्हें दो महीने के लिए दिल्ली में रहने की अनुमति दी थी।
अपने नवीनतम आवेदन में नवलखा ने 45 दिनों के लिए फिर से दिल्ली में रहने की अनुमति मांगते हुए इसी आदेश का हवाला दिया।
न्यायाधीश बाविस्कर ने एक अगस्त को आदेश में कहा, ‘‘यह बिल्कुल भी अपेक्षित नहीं है। मैं फिर दोहराता हूं कि जो काम आप सीधे तौर पर नहीं कर सकते, उसे आप अप्रत्यक्ष तौर पर भी नहीं कर सकते।’’
अदालत ने आवेदन को खारिज करते हुए कहा कि वह नवलखा पर जुर्माना लगाने से खुद को रोक रही है।
अदालत ने कहा कि दिल्ली में दो महीने रहने की पिछली अनुमति उन्हें बार-बार उसी स्वतंत्रता का दावा करने का अधिकार नहीं देती।
विशेष अदालत ने कहा कि मुंबई उच्च न्यायालय ने नवलखा को जमानत देते हुए कहा था कि इस मामले में अपराधों की गंभीरता को देखते हुए वह मुंबई में ही रहेंगे।
यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है, जिसके बारे में पुलिस का दावा है कि अगले दिन पुणे के पास कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क उठी थी। इस मामले में सोलह कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था।
भाषा
राजकुमार संतोष
संतोष
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