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Friday, 3 October, 2025
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मतदाता सूची से नाम हटाने के विवाद पर निर्वाचन आयोग ने दिया ‘गोलमोल’ जवाब: कांग्रेस विधायक

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नागपुर, तीन अक्टूबर (भाषा) कर्नाटक के कांग्रेस विधायक बी आर पाटिल ने शुक्रवार को दावा किया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र आलंद में मतदाता सूची से नाम हटाने के विवाद पर निर्वाचन आयोग की प्रतिक्रिया टालमटोल वाली और अपर्याप्त रही है। उन्होंने निर्वाचन आयोग से मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने का आग्रह किया।

नागपुर में पत्रकारों से बातचीत में कर्नाटक राज्य नीति और योजना आयोग के उपाध्यक्ष पाटिल ने दावा किया कि 2023 के राज्य विधानसभा चुनावों में आलंद निर्वाचन क्षेत्र में उन्हें हराने के लिए एक सुनियोजित साजिश रची गई थी, जब 6,018 मतदाताओं के नामों को हटाने का प्रयास किया गया था और स्वचालित सॉफ्टवेयर के माध्यम से धोखाधड़ी वाले आवेदन दायर किए गए थे।

उन्होंने आरोप लगाया कि आलंद की मतदाता सूची से नाम हटाने के मामले पर निर्वाचन आयोग की प्रतिक्रिया एक बार फिर टालमटोल वाली, अपर्याप्त और दिशाहीन रही है। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग ऐसे स्पष्टीकरण दे रहा है जिनकी किसी ने मांग ही नहीं की थी।

पाटिल ने कहा, ‘उन्होंने (निर्वाचन आयोग) कहा है कि ‘किसी भी मतदाता का नाम ऑनलाइन किसी भी व्यक्ति द्वारा नहीं हटाया जा सकता’, लेकिन 2023 में दर्ज की गई प्राथमिकी में, निर्वाचन आयोग ने धोखाधड़ी के प्रयास की बात स्वीकार की है। आयोग ने यह नहीं बताया है कि इतनी बड़ी संख्या में तेज़ी से दाखिल आवेदनों पर कैसे नजर नहीं गई।’

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने बताया है कि 6,018 मतदाताओं के नाम हटाने का प्रयास किया गया और स्वचालित सॉफ्टवेयर के माध्यम से फर्जी आवेदन दायर किए गए।

विधायक ने सूर्यकांत गोविंद नाम के एक व्यक्ति का उदाहरण देते हुए दावा किया कि उसके मतदाता पहचान पत्र नंबर का इस्तेमाल 12 मतदाताओं के नाम हटाने के अनुरोध के लिए किया गया था और गोधा बाई नाम की व्यक्ति के मतदाता पहचान कार्ड का इस्तेमाल 14 मिनट में 12 मतदाताओं के नाम हटाने के लिए किया गया था।

पाटिल ने आरोप लगाया कि कलबुर्गी ज़िले के इस निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं के नाम जोड़ने और हटाने के लिए एक परिष्कृत प्रणाली का इस्तेमाल किया गया।

उन्होंने दावा किया, ‘‘निर्वाचन आयोग का कहना है कि प्राथमिकी दर्ज की गई है, लेकिन हम स्पष्ट कर दें कि यह प्राथमिकी निर्वाचन अधिकारी द्वारा दर्ज कराई गई थी क्योंकि कांग्रेस ने इस धोखाधड़ी की सूचना दी थी।’’

उन्होंने सवाल किया, ‘निर्वाचन आयोग यह भी कह रहा है कि मांगा गया डेटा पहले ही साझा किया जा चुका है। लेकिन अगर डेटा पहले ही साझा किया जा चुका था तो कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने सभी प्रासंगिक विवरणों के लिए चुनाव आयोग को कई बार पत्र क्यों लिखा?’

उन्होंने सवाल उठाया कि कर्नाटक सीआईडी (आपराधिक जांच विभाग) ​​ने 18 महीनों में 18 पत्र क्यों लिखे, जिनमें से सबसे हालिया पत्र 9 सितंबर को लिखा गया था तथा फिर से वही जानकारी मांगी गई।

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘निर्वाचन आयोग गंतव्य आईपी, डिवाइस पोर्ट और ओटीपी विवरण देने से क्यों इनकार कर रहा है? क्या वे यह कह रहे हैं कि यह महत्वपूर्ण डेटा नष्ट कर दिया गया? या वे यह कह रहे हैं कि वे जांच में सहयोग नहीं करना चाहते हैं?’

पाटिल ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस और पार्टी नेता राहुल गांधी को सुझाव दिया है कि या तो वे आंदोलन करें या उच्च न्यायालय का रुख कर कानूनी लड़ाई लड़ें।

उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार ने पिछले महीने आलंद में मतदाताओं के नाम हटाए जाने की छानबीन के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है और निर्वाचन आयोग से जानकारी मांगी है। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘मैं निर्वाचन आयोग से अनुरोध करता हूं कि वह एसआईटी द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराए ताकि वह मामले की जांच कर सके।’

भाषा आशीष नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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