नई दिल्ली: दिल्ली में तीन मुख्य जेल परिसर हैं, एक तिहाड़, जो दुनिया के सबसे बड़े जेल परिसरों में से एक है, जिसमें नौ केंद्रीय जेलें शामिल हैं. दूसरा रोहिणी में और तीसरा मंडोली में है जिसमें 6 केंद्रीय जेलें हैं. दिल्ली के कारागार कैदियों के सुधार, रीइंटीग्रेशन और समाज में उनके पुनर्वास का प्रयास करते रहते हैं.
दिल्ली के जेल में लगभग 1200 कैदियों को पुनर्वास पहल के तहत कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि उनका समर्थन किया जा सके, और ताकि वह जेल से बाहर आने के बाद फिर से अपराध की ओर न जाए.
कैदियों को लगातार उनके कौशल पर काम करने एवं उन्हें आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए जाते हैं. जहां कैदियों को भी अपना कोई खास टैलेंट दिखाने या फिर सीखने का मौका मिलता है.
किसी भी जेल प्रशासन के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती होती है कि कारावास को उन लोगों के लिए हर तरह से उद्देश्यपूर्ण बनाया जाए, जिन्हें इससे गुजरना पड़ता है. इस दिशा में कुशल और पारदर्शी प्रशासन प्रदान करके जेल में बंद व्यक्ति की पीड़ा को कम करने का प्रयास किया जाता हैं. कैदियों को नए कौशल सीखने, शिक्षा प्राप्त करने और अपने आंतरिक संघर्षों से पार पाते हुए अपने समय का उद्देश्यपूर्ण और रचनात्मक उपयोग करने का अवसर प्रदान किया जाता है.
भारत में कई ऐसे प्रोग्राम, एनजीओ एवं संसथान हैं, जो कैदियों के लिए विभिन्न तरह के प्रोग्राम आयोजित करते है. उन्हें नई चीज़े करने और सिखाने के प्रयास में लगातार लगे रहते हैं. बता दें कि तिहाड़ जेल में कौशल प्रशिक्षण की एक पहल फरवरी, 2023 में शुरू हुई, जो भारत में कहीं भी अपनी तरह की सबसे बड़ी सुधारात्मक पहल है. इसे शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार और मिशन कन्वर्जेंस, दिल्ली सरकार के संयुक्त सहयोग के रूप में प्रारंभ किया गया है.
हाल ही में मैक्स हेल्थकेयर ने देश के सबसे बड़े केंद्रीय कारागार तिहाड़ जेल के साथ साझेदारी में सतत आजीविका के लिए मैक्स स्किल ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू करने की घोषणा की है. यह भारत में कॉर्पोरेट क्षेत्र की ओर से कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए तिहाड़ जेल के साथ पहली और सबसे बड़ी साझेदारी है, जिसका उद्देश्य 1200 कैदियों के लिए सुधारों के सफर को आगे बढ़ाना है.
इसका उद्देश्य तिहाड़ जेल में पुनर्वास कार्यक्रम को और मजबूती देना है, जिसमें शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और थेरेपी पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, ताकि अपराध की पुनरावृत्ति की दर को कम किया जा सके और समाज में कैदियों की सफल पुनर्वापसी को बढ़ावा दिया जा सके.
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कैदियों का भरोसा बढ़ेगा
इस पर तिहाड़ जेल के महानिदेशक (जेल) संजय बेनीवाल ने कहा, “इस तरह की पहल ने उन कैदियों के दिलों में नई जान फूंक दी है, जो अब तक निराशा और हताशा महसूस कर रहे थे. हम ज्यादा से ज्यादा कैदियों को इसमें शामिल होने, नए कौशल सीखने और समाज की मुख्यधारा में फिर से जुड़कर नई पहचान और भविष्य बनाने के लिए प्रेरित करेगा.”
इस प्रोग्राम के तहत सफलतापूर्वक ट्रेनिंग पूरी करने और सर्टिफिकेशन के बाद 1200 ट्रेनी के लिए प्लेसमेंट वर्कशॉप, मॉक इंटरव्यू आयोजित किए जाएंगे. उद्योग जगत के प्रतिनिधियों को कैदियों के साथ सीधे बातचीत करने का अवसर मिलेगा, जिससे प्रोग्राम के नतीजों को लेकर कैदियों का भरोसा बढ़ेगा.
इस विकल्प को जॉब मार्केट के अवसर, ट्रेनिंग एडैप्टेशन की सुगमता और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के भीतर फिटमेंट से ताकत मिली है, जो फिर से समाज की मुख्यधारा में शामिल होने को आसान बनाता है. कार्यक्रम में जेल के ऐसे कैदी भाग लेंगे, जो छोटे अपराधों के लिए विचाराधीन कैदी हैं.
मैक्स हेल्थकेयर इंस्टीट्यूट लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अभय सोई ने कहा, “हमें उम्मीद है कि इससे वे रिहाई के बाद बेहतर जीवन जीने में सक्षम होंगे और समाज को बेहतर, सुरक्षित बनाने में योगदान देंगे.”
बता दें कि छोटे-मोटे अपराधों के लिए जेल में बंद विचाराधीन कैदियों के लिए बनाई गई यह पहल, दोबारा अपराध करने की प्रवृत्ति को कम करने के लिए शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और थेरेपी पर केंद्रित है.
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