नयी दिल्ली, 24 मई (भाषा) भारतीय कंपनियों के 50 प्रतिशत मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) को यह लगता है कि कोविड-19 महामारी की वजह से उनके उद्योग में आए अल्पकालिक गतिरोध के बावजूद भारतीय कंपनियों ने पुनरुद्धार की स्थिति में काफी जुझारू क्षमता दिखाई है।
ईवाई की तरफ से सीईओ के बीच कराए गए एक सर्वे से यह तथ्य सामने आया है।
सर्वे के मुताबिक, करीब 50 प्रतिशत मुख्य कार्यपालक अधिकारियों ने यह स्वीकार किया कि महामारी के कारण उनके उद्योग को अल्पकालिक गतिरोध का सामना करना पड़ा था।
इसके अलावा भू-राजनीतिक चुनौतियों ने भी कारोबार के सामने कुछ नयी चुनौतियां पैदा कर दी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘हालांकि, सीईओ का मानना है कि भारतीय कंपनियों ने अर्थव्यवस्था में पुनरुद्धार की स्थिति में काफी जुझारूपन दिखाया है।’’
मंगलवार को जारी ‘ईवाई इंडिया सीईओ सर्वे 2022’ से पता चलता है कि भारतीय सीईओ के लिए विलय एवं अधिग्रहण एक प्रमुख रणनीतिक साधन बना हुआ है क्योंकि मौजूदा दौर में वे नया कारोबार खड़ा करने के बजाय स्थापित कारोबार को खरीदने पर जोर दे रहे हैं।
रिपोर्ट कहती है, ‘‘आज मुद्रास्फीतिक दबाव, आपूर्ति शृंखला से जुड़े मुद्दों और बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के बीच भारत में कंपनियों के सीईओ अपने जोखिम आकलन को नए सिरे से तय कर रहे हैं और भविष्य के लिए अपनी निवेश रणनीति बना रहे हैं। इससे विलय एवं अधिग्रहण के एजेंडा को बल मिल रहा है।’’
करीब 80 प्रतिशत भारतीय सीईओ ने यह माना कि अपने वैश्विक परिचालन एवं आपूर्ति शृंखला के हिसाब से उन्हें तालमेल बिठाना पड़ रहा है। वहीं 63 फीसदी सीईओ का कहना है कि उनका मकसद लॉजिस्टिक लागत घटाने और जुझारू क्षमता बढ़ाना है।
ईवाई इंडिया के चेयरमैन राजीव मेमानी ने कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारतीय सीईओ मौजूदा चुनौतियों का आगे आकर मुकाबला कर रहे हैं। वे कोराबार के कायाकल्प और दीर्घकालिक मूल्य सृजन के लिए विलय एवं अधिग्रहण को अहमियत दे रहे हैं।’’
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प्रेम अजय
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