मुंबई, 22 अप्रैल (भाषा) रिजर्व बैंक को ‘गतिशील और तेजी से बदलती स्थिति’ का लगातार पुनर्मूल्यांकन करने के साथ ही उसके अनुरूप अपने कदमों को तय करना होगा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल में संपन्न मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में यह कहा था।
आरबीआई ने गत छह-आठ अप्रैल तक हुई एमपीसी की छह सदस्यीय बैठक में हुई चर्चाओं का ब्योरा शुक्रवार को जारी किया। इसके अनुसार, गवर्नर दास के अलावा समिति के बाकी पांच सदस्यों ने भी वैश्विक और घरेलू अर्थव्यवस्थाओं पर रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव के बीच ऐसी ही राय जताई थी।
एमपीसी ने इस बैठक में तय किया था कि रेपो दर को पुराने स्तर पर ही बनाए रखा जाएगा। यह लगातार 11वां मौका था जब एमपीसी ने उधार लेने की लागत से जुड़ी रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया। बढ़ती मुद्रास्फीति के बावजूद आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए यह कदम उठाया गया।
बैठक के ब्योरे के अनुसार आरबीआई के गवर्नर ने कहा था, ‘स्थिति गतिशील है और तेजी से बदल रही है। हमें लगातार स्थिति का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए और उसके अनुसार अपने कदम उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए।’
एमपीसी के सदस्य एवं आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा ने कहा था कि इस समय एक चीज का वैश्वीकरण हो रहा है और वह है मुद्रास्फीति। उन्होंने कहा था, ‘करीब 60 फीसदी विकसित देशों में पांच फीसदी से अधिक मुद्रास्फीति है। वहीं आधे से अधिक विकासशील देशों में मुद्रास्फीति की दर सात फीसदी से अधिक है। कीमतों में वृद्धि सामाजिक सहिष्णुता के स्तर का परीक्षण कर रही है।’
आरबीआई ने इस बैठक में चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत कर दिया, जबकि फरवरी में इसके 4.5 फीसदी रहने का पूर्वानुमान जताया गया था। इसके साथ ही आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर पूर्वानुमान को भी 7.8 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया।
भाषा प्रेम रमण
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