नयी दिल्ली, 17 अप्रैल (भाषा) देश के 30 हजार से अधिक छोटे और मझोले स्तर के ब्रांड एफएमसीजी क्षेत्र की वस्तुओं और सौंदर्य प्रसाधन, उपभोक्ता आदि क्षेत्रों में देश की आबादी के बड़े हिस्से की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। एक सर्वे में यह जानकारी सामने आई।
व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के एक सर्वे के मुताबिक 30,000 से अधिक छोटे और मंझोले ब्रांड 80 फीसदी आबादी की जरूरतें पूरी कर रहे हैं।
व्यापार के जिन क्षेत्रों में सर्वेक्षण किया गया उनमें खाद्यान्न, तेल, किराना, व्यक्तिगत सौंदर्य प्रसाधन, अंत: वस्त्र, रेडीमेड परिधान, सौंदर्य और शरीर की देखभाल के उत्पाद, जूते, खिलौने, शैक्षिक खेल और स्वास्थ्य देखभाल के उत्पाद शामिल हैं।
कैट ने एक बयान में कहा, ‘‘यह एक भ्रांति है कि बड़े कॉरपोरेट घरानों के लगभग 3000 बड़े ब्रांड विशेष रूप से एफएमसीजी क्षेत्र, उपभोक्ता वस्तुओं और सौंदर्य प्रसाधन आदि क्षेत्रों में देश के लोगों की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। इसके उलट सच्चाई यह है कि देश के हर हिस्से में फैले 30 हजार से अधिक छोटे और मध्यम लेकिन क्षेत्रीय स्तर के ब्रांड भारत के लोगों की मांग को पूरा कर रहे हैं।’’ इन उत्पादकों के उत्पाद आम तौर पर खुले में बिकते हैं।
कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि व्यापक मीडिया और बाहरी प्रचार एवं मशहूर हस्तियों के विज्ञापनों के कारण उच्च वर्ग और उच्च मध्यम वर्ग के लोगों का रुझान कॉरपोरेट ब्रांड पर रहता है। वहीं छोटे एवं स्थानीय निर्माताओं के ब्रांड व्यापारियों के अपने ग्राहकों से सीधे संपर्क तथा मौखिक प्रचार के जरिये बेचे जाते हैं।
भाषा मानसी प्रेम
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