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Saturday, 16 November, 2024
होमदेशअर्थजगत‘कंपनियों के भागीदारों की गड़बड़ी के लिये संबंधित फर्म को दंडित करने के प्रस्ताव का विरोध सही नहीं’

‘कंपनियों के भागीदारों की गड़बड़ी के लिये संबंधित फर्म को दंडित करने के प्रस्ताव का विरोध सही नहीं’

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नयी दिल्ली, 23 मार्च (भाषा) संसद की एक समिति ने बुधवार को कंपनियों के भागीदारों के बार-बार गड़बड़ियों के लिये संबंधित फर्म को दंडित करने के प्रस्ताव को लेकर चार्टर्ड अकाउंटेंट के शीर्ष निकाय भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) के विरोध को ‘गैरजरूरी’ बताया। साथ ही सरकार द्वारा अनुशासनात्मक समिति गठित करने के संदर्भ में बदलाव के प्रस्ताव का भी समर्थन किया।

वित्त पर संसद की स्थायी समिति ने ‘चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, लागत और कार्य लेखा एवं कंपनी सचिव (संशोधन) विधेयक, 2021’ पर अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि व्यावसायिक संस्थानों की स्वायत्तता और स्वतंत्रता में अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए। वित्तीय ब्योरे से जुड़े कामकाज में सत्यनिष्ठा किसी तरह से कम नहीं की जा सकती है।

आईसीएआई ने अनुशासानात्मक समिति में चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) से इतर अन्य को पीठासीन अधिकारी बनाये जाने के प्रस्ताव को लेकर चिंता जतायी थी।

समिति ने कहा कि प्रस्तावित संशोधनों का मकसद निर्णय लेने की प्रक्रिया को जवाबदेह बनाना और पारदर्शिता लाना है। आईसीएआई ने गैर-सीए को पीठासीन अधिकारी के रूप में नियुक्त करने के प्रस्ताव का विरोध किया है। इसका कारण पेशेवर जानकारी की कमी को बताया गया था।

रिपोर्ट के अनुसार, आईसीएआई का दावा है कि अनुशासनात्मक निर्णय सर्वसम्मति से किये गये हैं और अनुशासन बोर्ड (बीओडी) और अनुशासन समिति (डीसी) की वर्तमान व्यवस्था में सदस्यों के बीच हितों का कोई टकराव नहीं है।

इसमें कहा गया है, ‘‘समिति का मानना है कि व्यावसायिक संस्थानों की स्वायत्तता और स्वतंत्रता में अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए, वित्तीय ब्योरे से जुड़े कामकाज में सत्यनिष्ठा भी किसी तरह से कम नहीं की जा सकती है, क्योंकि यह पूरे देश के लिए व्यावसायिक मानकों और वित्तीय मजबूती को दर्शाती है।’’

समिति ने यह भी कहा कि प्रस्तावित संशोधन किसी भी तरीके से तीनों संस्थानों की व्यावसायिक स्वायत्तता को प्रभावित नहीं कर रहा, अत: वह बिना किसी संशोधन के प्रस्ताव का समर्थन करने का इरादा रखती है।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘इस प्रकार, अनुशासनात्मक निकायों के सदस्यों को विधेयक में प्रस्ताव के अनुसार नियुक्त किया जा सकता है।’’

भाषा

रमण अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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