मुंबई, पांच अगस्त (भाषा) अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया मंगलवार को 16 पैसे टूटकर 87.82 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि रुपया दबाव में है और इस सप्ताह भी यही स्थिति रह सकती है, क्योंकि अमेरिका ने रूसी कच्चा तेल खरीदना जारी रखने पर भारत पर उच्च शुल्क लगाने की धमकी दी है। साथ ही भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की अनिश्चितता घरेलू बाजार की धारणा को प्रभावित कर रही है।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.95 प्रति डॉलर पर कमजोर रुख के साथ खुला। दिन में यह 87.75 प्रति डॉलर पर पहुंचा लेकिन अंत में 87.82 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ जो पिछले बंद भाव से 16 पैसे की गिरावट है।
रुपया सोमवार को 48 पैसे टूटकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.66 पर बंद हुआ था।
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, ‘‘ हमारा अनुमान है कि रुपये में गिरावट जारी रहेगी क्योंकि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता घरेलू बाजार की धारणा को प्रभावित कर रही है। घरेलू शेयर बाजारों में कमजोरी और विदेशी पूंजी की निकासी से रुपये पर और दबाव पड़ सकता है।’’
चौधरी ने कहा , ‘‘ भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति से पहले रुपया भी कमजोर रह सकता है। बाजार को केंद्रीय बैंक रेपो दर में और कटौती की उम्मीद है। हालांकि, सितंबर में फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती संभावनाओं के बीच अमेरिकी डॉलर की कमजोरी, रुपये को निचले स्तर पर सहारा दे सकती है।’’
वहीं भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति के फैसले से पहले निवेशक भी सतर्क हैं। छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) बुधवार को अगली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करेगी।
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.18 प्रतिशत की बढ़त के साथ 98.68 पर पहुंच गया।
घरेलू शेयर बाजारों में सेंसेक्स 308.47 अंक की गिरावट के साथ 80,710.25 अंक पर, जबकि निफ्टी 73.20 अंक के नुकसान के साथ 24,649.55 अंक पर बंद हुआ।
अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.97 प्रतिशत फिसलकर 68.09 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) सोमवार को बिकवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 2,566.51 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को चेतावनी देते हुए कहा था कि वह रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर अमेरिकी शुल्क में खासी बढ़ोतरी करने जा रहे हैं। दूसरी ओर भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद के लिए उसे ‘‘अनुचित और अविवेकपूर्ण’’ तरीके से निशाना बनाने को लेकर सोमवार को अमेरिका और यूरोपीय संघ पर जोरदार पलटवार करते हुए कहा है कि भारत ने रूस से आयात करना इसलिए शुरू किया क्योंकि संघर्ष शुरू होने के बाद पारंपरिक आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी।
भाषा निहारिका अजय
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