मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक में प्रमुख नीतिगत दर रेपो में लगातार 11 वीं बार कोई बदलाव नहीं करते हुए इसे चार प्रतिशत के निचले स्तर पर कायम रखा.
केंद्रीय बैंक ने रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से बढ़ती महंगाई के बीच आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए अपने रुख को यथावत रखा है. नीतिगत दर यथावत रहने का मतलब है कि बैंक कर्ज की मासिक किस्त में कोई बदलाव नहीं होगा.
हालांकि, केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष (2022-23) के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि के अनुमान को घटा दिया है जबकि मुद्रास्फीति के अनुमान में बढ़ोतरी की है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के नतीजों की घोषणा करते हुए कहा कि छह सदस्यीय एमपीसी ने रेपो दर को चार प्रतिशत पर कायम रखने के पक्ष में मत दिया.
उन्होंने कहा, ‘एमपीसी ने अपने नरम रुख को कायम रखने का फैसला किया है. हालांकि एमपीसी इस नरम रुख को वापस लेने पर भी ध्यान केंद्रित करेगी जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि वृद्धि को समर्थन के साथ मुद्रास्फीति को लक्ष्य के भीतर रखा जा सके.’
रिजर्व बैंक ने आखिरी बार 22 मई, 2020 को रेपो दरों में बदलाव किया था.
इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने रिवर्स रेपो दर को भी 3.35 प्रतिशत पर कायम रखा है.
रेपो दर पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये कर्ज देता है. जबकि रिवर्स रेपो दर के तहत बैंकों को अपना पैसा रिजर्व बैंक के पास रखने पर ब्याज मिलता है.
एमपीसी ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है. फरवरी की मौद्रिक समीक्षा बैठक में एमपीसी ने आर्थिक वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था.
इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति के 5.7 प्रतिशत के स्तर पर रहने की संभावना जतायी है. पहले इसके 4.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया गया था.
दास ने कहा, ‘आर्थिक गतिविधियां अभी महामारी-पूर्व के स्तर की तुलना में शायद ही बढ़ी हैं, लेकिन इनमें लगातार सुधार हो रहा है.’
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक इस साल से तरलता को वापस लेने की शुरुआत करेगा. प्रणाली से तरलता या नकदी को कई साल में वापस लिया जाएगा.
रिजर्व बैंक ने बैंकिंग प्रणाली से अत्यधिक नकदी को सोखने के लिए एक नए ‘साधन’ की घोषणा की है. इसके तहत तरलता समायोजन सुविधा के दायरे को 50 आधार अंक किया गया है.
दास ने कहा कि युद्ध की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव हुआ है और जिंस तथा वित्तीय बाजारों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है.
उन्होंने कहा, ‘हमारा रुख सतर्कता बरतने के साथ, इसके भारत की वृद्धि, मुद्रास्फीति और वित्तीय स्थिति पर पड़ने वाले प्रतिकूल असर से निपटने वाला होना चाहिए.’
गवर्नर ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव की स्थिति है. वहीं खाद्य वस्तुओं के साथ धातु और अन्य जिंसों की कीमतें भी उच्च स्तर पर बनी हुई हैं. उन्होंने कहा कि निजी उपभोग और निश्चित निवेश कमजोर है. इन्हें घरेलू मांग का प्रमुख उत्प्रेरक माना जाता है.
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छह प्रतिशत के ऊपर है महंगाई
उल्लेखनीय है कि इस साल मुद्रास्फीति अभी तक छह प्रतिशत के ऊपर बनी हुई है. इससे वृद्धि को प्रोत्साहन देने के लिए ब्याज दरों को निचले स्तर पर रखने की केंद्रीय बैंक की रणनीति पर ‘संशय’ बन रहा है.
दास ने कहा, ‘बढ़ती भू-राजनीतिक अनिश्चितता से हमारा आर्थिक परिदृश्य प्रभावित हो सकता है. घरेलू स्तर पर पेट्रोल, डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी से व्यापक स्तर पर दूसरे-दौर का मूल्य दबाव कायम हो सकता है.’
गवर्नर दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक किसी नियम से बंधा नहीं है. उन्होंने कहा, ‘अर्थव्यवस्था के ‘संरक्षण’ के लिए रिजर्व बैंक सभी उपलब्ध साधनों का इस्तेमाल करेगा.’
उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था नई एवं बहुत बड़ी चुनौतियों से जूझ रही है. उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार मौजूद है और रिजर्व बैंक इसे सभी चुनौतियों से बचाकर रखने के लिए काम करेगा.
हालांकि, दास ने कहा कि ओमीक्रोन लहर कमजोर पड़ने से होने वाले अनुमानित लाभ को भू-राजनीतिक तनाव ने निष्प्रभावी कर दिया है.
गवर्नर ने कहा कि रिजर्व बैंक ग्राहक सेवाओं की समीक्षा करेगा. उन्होंने यूपीआई का इस्तेमाल कर एटीएम से बिना कार्ड (कार्डलेस) के निकासी की सुविधा का विस्तार सभी बैंकों के करने की भी घोषणा की.
महामारी के दौरान रिजर्व बैंक ने 17.2 लाख करोड़ रुपये की तरलता सुविधा दी है. इसमें से 11.9 लाख करोड़ रुपये की राशि का इस्तेमाल हो चुका है. वहीं अभी तक सुविधाओं की निश्चित तारीख समाप्त होने की वजह से पांच लाख करोड़ रुपये लौट आए हैं या वापस लिए जा चुके हैं.
दास ने कहा कि रिजर्व बैंक कोरोना काल में प्रणाली में डाली गई अतिरिक्त नकदी को कुछ साल में धीरे-धीरे वापस लेगा.
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