इंदौर, 21 अगस्त (भाषा) देश के सबसे स्वच्छ शहर में टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने के लिए इंदौर नगर निगम (आईएमसी) ने एक अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थान के साथ बृहस्पतिवार को करार पर दस्तखत किए जिसके तहत शहर में कार्बन उत्सर्जन में कटौती करके कम आय वाले नागरिकों का मासिक घरेलू खर्च घटाया जाएगा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
शहर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव और गुजरात के यूनिटी ऑफ नेशंस एक्शन फॉर क्लाइमेट चेंज काउंसिल (यूएनएसीसीसी) के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. रजत शर्मा ने एक सम्मेलन में इस करार के दस्तावेजों का आदान-प्रदान किया। इस मौके पर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ सस्टेनेबल डेवलपमेंट के महानिदेशक डॉ. श्रीकांत के. पाणिग्रही भी मौजूद थे।
महापौर भार्गव ने इस मौके पर कहा कि वर्ष 2070 तक देश के ‘नेट जीरो’ के लक्ष्य के मद्देनजर शहर ने टिकाऊ विकास की दिशा में कदम बढ़ाना पहले ही शुरू कर दिया है।
उन्होंने बताया कि शहर में 31,000 से ज्यादा इमारतों की छतों पर लगे सौर संयंत्रों से कुल 100 मेगावॉट बिजली बन रही है और आईएमसी द्वारा सार्वजनिक निर्गम (पब्लिक इश्यू) के रूप में हरित बॉन्ड के जरिये जुटाई गई रकम से बना 60 मेगावाट क्षमता का सौर ऊर्जा संयंत्र निकट भविष्य में शुरू होने वाला है।
महापौर ने यह भी बताया कि शहर में पिछले तीन साल के दौरान 25 लाख से ज्यादा पौधे लगाए गए हैं।
यूएनएसीसीसी के संस्थापक अध्यक्ष शर्मा ने बताया,‘‘हम अपनी परियोजना के तहत इंदौर में हर महीने 15,000 से 20,000 रुपये कमाने वाले लोगों के मासिक घरेलू खर्च में बड़ी कटौती करना चाहते हैं। इसके लिए हम इन लोगों के घरों को टिकाऊ घरों में बदलेंगे और रसोई गैस, पेट्रोल और बिजली पर होने वाले उनके खर्चों को घटाया जाएगा।’’
सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने सतत विकास के लिए जलवायु परिवर्तन से निपटने, शहरी अपशिष्ट के कुशल निपटारे, वायु की गुणवत्ता सुधारने और रोजगार बढ़ाने पर जोर दिया।
उन्होंने कचरा बीनने वाले लोगों को ‘सतत विकास का महान योद्धा’ करार देते हुए कहा कि इस वर्ग को लाभ पहुंचाने के लिए उन्हें असंगठित से संगठित क्षेत्र में लाया जाना चाहिए तथा उनकी समुचित आय के इंतजाम किए जाने चाहिए।
भाषा हर्ष
राजकुमार अजय
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