नयी दिल्ली, 17 अगस्त (भाषा) माल एवं सेवा कर (जीएसटी) पर आगामी व्यापक सुधारों के तहत वाहनों पर कर का पुनर्गठन किया जाएगा, जिससे इंजन क्षमता और वाहन के आकार से संबंधित वर्गीकरण विवादों का समाधान किया हो सकेगा। अंतत: इसका लाभ आम आदमी को मिलेगा। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी।
अभी वाहनों पर जीएसटी की दरें ऊंचे स्लैब में हैं। वाहनों पर 28 प्रतिशत कर लगता है। वाहन के प्रकार के आधार पर, इस दर के ऊपर एक से 22 प्रतिशत तक का क्षतिपूर्ति उपकर भी लिया जाता है।
इंजन क्षमता और लंबाई के आधार पर कारों पर कुल कर भार, छोटी पेट्रोल कारों के लिए 29 प्रतिशत से एसयूवी (स्पोर्ट्स यूटिलिटी वेहिकल) के लिए 50 प्रतिशत तक है।
इलेक्ट्रिक वाहन पर पांच प्रतिशत की दर से कर लगता है।
सूत्रों ने बताया कि जीएसटी प्रणाली को पांच और 18 प्रतिशत की दो-स्तरीय दर संरचना और कुछ चुनिंदा वस्तुओं के लिए 40 प्रतिशत स्लैब में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है। इसमें वाहनों को ऐसे स्लैब में रखा जाएगा जिससे इंजन क्षमता और लंबाई के अनुसार कारों के वर्गीकरण से जुड़े विवादों को समाप्त करने में मदद मिलेगी।
जीएसटी की कम दर से मांग और बिक्री बढ़ेगी, क्योंकि कारें सस्ती हो जाएंगी। इससे खपत बढ़ेगी, जो केंद्र द्वारा प्रस्तावित जीएसटी सुधार का एक प्रमुख विचार है।
केंद्र के प्रस्ताव, जिसमें 12 और 28 प्रतिशत की दर को हटाना शामिल है, पर 21 अगस्त को जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने पर गठित मंत्रिसमूह (जीओएम) की बैठक में चर्चा की जाएगी। इसके बाद, केंद्र और राज्य के वित्त मंत्रियों वाली जीएसटी परिषद अगले महीने में बैठक करेगी और अंतिम जीएसटी दर संरचना को मंजूरी देगी।
वर्तमान में, जीएसटी में पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत के चार स्लैब हैं। आवश्यक वस्तुओं पर या तो शून्य या पांच प्रतिशत की दर से कर लगता है और विलासिता तथा अहितकर वस्तुओं पर 28 प्रतिशत की दर से कर लगता है।
केंद्र ने दरों को युक्तिसंगत बनाने के लिए गठित मंत्रिसमूह को जीएसटी में केवल दो स्लैब – पांच और 18 प्रतिशत – और कुछ चुनिंदा वस्तुओं के लिए 40 प्रतिशत की दर रखने का प्रस्ताव दिया है।
सूत्रों ने बताया कि 40 प्रतिशत की दर पांच-सात वस्तुओं पर लागू होगी।
भाषा अजय अजय
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