नयी दिल्ली, 12 अप्रैल (भाषा) देश के बेहद व्यस्त बंदरगाहों.. मुंबई और कांडला में आयातित एलपीजी के जहाजों से ‘रुकावट’ का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह यह है कि सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियां चुनिंदा बंदरगाहों से ही तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलपीजी) के आयात पर जोर दे रही हैं।
सूत्रों ने कहा कि सरकार ने जिन बंदरगाहों को विदेश से रसोई गैस लाने के लिए माल ढुलाई सब्सिडी देने के लिए नामित किया है, कंपनियां उनके अलावा दूसरे बंदरगाह का रुख नहीं कर रही हैं।
पीडीएस केरोसिन और घरेलू एलपीजी सब्सिडी योजना, 2002 के तहत सरकार ने कांडला, मुंबई, जेएनपीटी, जामनगर, हजीरा, मेंगलोर, कोच्चि, चेन्नई, हल्दिया और विशाखापट्टनम के बंदरगाहों को समुद्री माल ढुलाई सब्सिडी देने के लिए नामित किया है।
इसका मतलब है कि सरकारी पेट्रोलियम विपणन कंपनियों को इन बंदरगाहों से रसोई गैस एलपीजी का आयात करने पर माल ढुलाई के लिए प्रतिपूर्ति मिलती है।
मामले की प्रत्यक्ष जानकारी रखने वाले चार सूत्रों ने कहा कि यह सब्सिडी अन्य बंदरगाहों पर किए गए आयात के लिए उपलब्ध नहीं है और इसलिए इन बंदरगाहों पर काफी अधिक दबाव है।
इससे इन चुनिंदा बंदरगाहों पर एलपीजी जहाजों की संख्या काफी बढ़ गई है और माल उतारकर लौटने का (टर्नअराउंड) का समय भी बढ़ गया है।
सूत्रों ने कहा कि मुंद्रा, दाहेज, पीपावाव, पोरबंदर, तूतीकोरिन या पारादीप जैसे अन्य बंदरगाहों पर आयातित एलपीजी पर माल ढुलाई की प्रतिपूर्ति की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
तेल उद्योग और पेट्रोलियम मंत्रालय ने नामित बंदरगाहों की सूची का विस्तार करने की मांग की थी, लेकिन वित्त मंत्रालय ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
दूसरी ओर वित्त मंत्रालय चाहता है कि पूरी सब्सिडी योजना को खत्म कर दिया जाए, क्योंकि यह अपनी निर्धारित अवधि से काफी अधिक समय तक चल चुकी है।
भाषा पाण्डेय अजय
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