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Tuesday, 18 November, 2025
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मलेशिया में तेजी के बीच ज्यादातर तेल-तिलहनों कीमतों में मजबूती

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नयी दिल्ली, छह दिसंबर (भाषा) मलेशिया एक्सचेंज में तेजी के रुख के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को सरसों और मूंगफली तेल तिलहन, सोयाबीन तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ), बिनौला और पामोलीन तेल के भाव सुधार के साथ बंद हुए। वहीं विदेशों से आयात सस्ता बैठने तथा शिकागो एक्सचेंज में आधा प्रतिशत की गिरावट के कारण सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट आई।

बाजार सूत्रों ने कहा, ‘‘मलेशिया एक्सचेंज में ढाई प्रतिशत की तेजी दिखाई दी जबकि शिकागो एक्सचेंज में कल रात गिरावट थी लेकिन यहां आज शुरु में तेजी के बाद फिलहाल आधा प्रतिशत की नरमी है।’’

सोयाबीन तेल का आयात करना सस्ता बैठता है और इसके अलावा शिकागो एक्सचेंज में नरमी के कारण सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट देखी गई। दूसरी ओर डीआयल्ड केक (डीओसी) की स्थानीय मांग होने से सोयाबीन तिलहन कीमतों में सुधार आया। पामोलीन तेल इस कदर टूटा है कि इसके सामने कोई खाद्यतेल का टिकना मुश्किल है। समस्या यह है कि, पामोलीन का भाव कम होने की वजह से बाकी तेल तिलहनों का खपना दूभर हो गया है। पामोलीन के सस्ता होने से पूरे विश्व में इसकी मांग बढ़ गई है।

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने सूरजमुखी का समर्थन मूल्य 6,400 रुपये क्विन्टल निर्धारित किया है और तेल तैयार होने के बाद बाजार में इसके ‘लूज’ तेल का भाव लगभग 160 रुपये किलो बैठेगा जबकि आयात होने वाले सूरजमुखी का भाव लगभग 110 रुपये किलो है। ऐसे में देश में कौन किसान सूरजमुखी बोयेगा? लगभग 15 फरवरी के करीब मंडियों में सरसों की फसल आ जायेगी और न्यूनतम समर्थन मूल्य के हिसाब से इसका भाव 125-130 रुपये किलो बैठेगा, मगर 110 रुपये किलो सूरजमुखी तेल के आगे यह कहां खप पायेगा? सूरजमुखी तेल भी ‘सॉफ्ट आयल’ की श्रेणी में आता है और जाड़े में नरम तेलों की अधिक मांग होती है।

सूत्रों ने कहा कि फिलहाल हालत यह है कि आयातक पहले ही बर्बाद हो चुके हैं। मौजूदा दौर में पूरा तेल उद्योग रोज की घट बढ़ की मार से बेहाल है, किसानों को कोई फायदा नहीं मिल रहा, उपभोक्ताओं को इस गिरावट का लाभ मिलता नहीं दिखता तथा शुल्कमुक्त आयात की छूट देने के बाद सरकार को राजस्व का नुकसान है। जब ‘कोटा प्रणाली’ से किसी को फायदा मिलता नहीं दिख रहा तो तेल संगठनों की इस विषय पर चुप्पी आश्चर्यजनक है। उन्हें सरकार को कोटा प्रणाली के अनपेक्षित परिणामों के बारे में बताना चाहिये और कोटा प्रणाली खत्म करने को कहना चाहिये।

उन्होंने कहा कि सरकार ने कोटा प्रणाली जब लागू की थी तो खाद्यतेलों के दाम काफी ऊंचे थे लेकिन अब आयातित तेलों के भाव आधे से भी अधिक घट चुके हैं तो इन संगठनों को सरकार को तत्काल कोटा प्रणाली समाप्त कर अधिकतम आयात शुल्क लगाने की सलाह देनी चाहिये। उन्हें बताना चाहिये कि कोटा प्रणाली की व्यवस्था देश के तेल तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा को भटका रहा है।

सरकार ने तेल कीमतों में नरमी लाने के मकसद से इस व्यवस्था को लागू किया था लेकिन इसके चलते देश में खाद्यतेलों के कम आपूर्ति की स्थिति बनने से खाद्यतेलों के दाम पहले से भी महंगे हो गये।

मंगलवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 7,125-7,175 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,410-6,470 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,000 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,415-2,680 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 14,100 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,135-2,265 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,195-2,320 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,100 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,380 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,550 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,550 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,050 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,100 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 5,500-5,600 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज 5,310-5,360 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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