मुंबई, नौ जून (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कहा है कि सूक्ष्म वित्त (माइक्रोफाइनेंस) लगातार अत्यधिक कर्ज , उच्च ब्याज दर और कठोर वसूली प्रथाओं के दुष्चक्र से ग्रस्त है।
पिछले सप्ताह यहां वित्तीय समावेशन के लिए एचएसबीसी के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राव ने कहा कि सूक्ष्म वित्त ने आबादी के वंचित वर्गों को औपचारिक वित्तीय सेवाएं देने की उम्मीद जगाई है।
उन्होंने कहा कि सूक्ष्म वित्त ने वित्तीय समावेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन कुछ मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह क्षेत्र लगातार अत्यधिक कर्ज, उच्च ब्याज दरों और कठोर वसूली प्रथाओं के दुष्चक्र से ग्रस्त है। हालांकि, हाल की तिमाहियों में सूक्ष्म वित्त कर्ज की ब्याज दरों में कुछ कमी देखी गई है, लेकिन उच्च ब्याज दरों और ऊंचे मार्जिन के क्षेत्र अब भी बने हुए हैं।”
राव ने कहा कि कम लागत वाले वित्त तक पहुंच रखने वाले ऋणदाता भी बाकी उद्योग की तुलना में काफी अधिक मार्जिन वसूलते पाए गए हैं और कई मामलों में, यह बहुत ज्यादा लगता है।
डिप्टी गवर्नर ने कहा कि ऋणदाताओं को इस क्षेत्र को अधिक लाभ देने वाले व्यवसाय से हटकर, एक सहानुभूतिपूर्ण और विकासात्मक नजरिये से देखना चाहिए।
उन्होंने कमजोर समुदायों को सशक्त बनाने में सूक्ष्म वित्त की सामाजिक-आर्थिक भूमिका को पहचानने पर जोर दिया।
भाषा पाण्डेय अजय
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