नयी दिल्ली, 21 मई (भाषा) इंडसइंड बैंक के निदेशक मंडल ने डेरिवेटिव, सूक्ष्म वित्त और बही-खाते की ‘धोखाधड़ी’ में कुछ कर्मचारियों की संलिप्तता का संदेह जताते हुए मामले की जानकारी जांच एजेंसियों और नियामक प्राधिकरणों को देने का निर्देश प्रबंधन को दिया है।
निजी क्षेत्र के बैंक के निदेशक मंडल ने बुधवार को हुई बैठक में यह फैसला किया। इस बैठक में जनवरी-मार्च तिमाही और वित्त वर्ष 2024-25 के वित्तीय परिणामों को मंजूरी दी गई।
इंडसइंड बैंक ने शेयर बाजारों को दी सूचना में कहा कि आंतरिक ऑडिट रिपोर्ट के साथ बाहरी पेशेवर फर्म की समीक्षा के आधार पर निदेशक मंडल को संदेह है कि ‘बैंक के खिलाफ धोखाधड़ी की घटना’ में बैंक के लेखांकन एवं वित्तीय रिपोर्टिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कुछ कर्मचारी संलिप्त रहे हैं।
बैंक ने कहा, ‘‘इसे ध्यान में रखते हुए निदेशक मंडल ने लागू कानून के तहत आवश्यक कदम उठाने (नियामक प्राधिकरणों और जांच एजेंसियों को सूचना देने सहित) और इन खामियों के लिए जिम्मेदार सभी व्यक्तियों की जवाबदेही तय करने का निर्देश दिया है।’’
इंडसइंड बैंक ने कहा कि बैंक ने मार्च तिमाही और समूचे वित्त वर्ष के वित्त परिणामों को अंतिम रूप देते समय ऑडिट रिपोर्ट में चिह्नित सभी विसंगतियों के प्रभाव को उचित रूप से दर्ज करने के साथ दर्शाया है।
मार्च में बैंक ने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में लेखांकन खामियों की सूचना दी थी, जिसका दिसंबर, 2024 तक बैंक की शुद्ध संपत्ति पर लगभग 2.35 प्रतिशत का प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का अनुमान है।
इसके बाद, बैंक ने बही-खाते पर प्रभाव, विभिन्न स्तरों पर खामियों का आकलन करने और सुधारात्मक कार्रवाई का सुझाव देने के लिए बाहरी एजेंसी पीडब्ल्यूसी को नियुक्त किया था। एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में 30 जून, 2024 तक नकारात्मक प्रभाव 1,979 करोड़ रुपये आंका है।
मामला गहराने के बाद बैंक के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सुमंत कठपालिया और डिप्टी सीईओ अरुण खुराना ने 29 अप्रैल को इस्तीफा दे दिया था।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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