नयी दिल्ली, छह नवंबर (भाषा) भारतीय ऐप-आधारित परिवहन कर्मचारी महासंघ (आईएफएटी) ने श्रम मंत्री मनसुख मांडविया से सामाजिक सुरक्षा संहिता (सीओएसएस), 2020 के तहत अस्थायी (गिग) कामगारों और ई-कॉमर्स जैसे मंचों के लिए काम करने वाले कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा ढांचे को तत्काल लागू करने का आग्रह किया है।
आईएफएटी ने इस सप्ताह की शुरुआत में मांडविया को लिखे एक पत्र में कहा कि दो करोड़ से ज़्यादा ऐप-आधारित कर्मचारी, जिनमें ड्राइवर, डिलिवरी कर्मचारी और घरेलू सेवा प्रदाता शामिल हैं, औपचारिक अधिकारों, न्यूनतम सुरक्षा या संस्थागत समर्थन के बिना काम करना जारी रखते हैं, जबकि वे भारत की बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।
आईएफएटी के पत्र के अनुसार, सीओएसएस, 2020 भारत का पहला कानून था जिसने गिग और मंच कर्मचारियों को औपचारिक रूप से मान्यता दी और उनके कल्याण के लिए एक वैधानिक ढांचा प्रदान किया, जिसमें जीवन और विकलांगता कवर, दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य और मातृत्व लाभ, और वृद्धावस्था सुरक्षा शामिल है।
हालांकि, इस बड़े सुधार के पांच साल बाद भी, कोई ठोस कल्याणकारी योजना लागू नहीं की गई है, जिससे गिग और मंच कर्मचारी बिना किसी सार्थक सामाजिक सुरक्षा के रह गए हैं।
एक सूत्र ने बताया कि आईएफएटी ने केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया को एक औपचारिक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें सीओएसएस, 2020 के तहत अस्थायी कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा ढांचे को तत्काल लागू करने का आग्रह किया गया है।
पत्र में इस बात पर जोर दिया गया है कि कार्यबल के इस बढ़ते वर्ग के लिए न्याय, सम्मान और सुरक्षा बनाए रखने के लिए कानून का समय पर कार्यान्वयन आवश्यक है।
कर्मचारी निकाय ने मंत्रालय से अस्थायी कर्मचारियों के लिए राष्ट्रीय कल्याण बोर्ड की स्थापना करके और एग्रीगेटर योगदान के साथ सामाजिक सुरक्षा कोष को सक्रिय करके संहिता के प्रावधानों को तुरंत लागू करने का भी आग्रह किया।
इसने सुझाव दिया कि मंत्रालय को सभी सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं के डिजाइन, कार्यान्वयन और निगरानी में श्रमिकों के प्रतिनिधियों को शामिल करना चाहिए और लाभ के त्वरित और प्रभावी वितरण को सुविधाजनक बनाने के लिए सेवानिवृत्ति निधि निकाय ईपीएफओ और ईएसआईसी जैसी मौजूदा संस्थाओं का लाभ उठाना चाहिए।
इसने संसद में गिग एवं प्लेटफॉर्म वर्कर्स एक्ट पेश करने की भी मांग की, जो विशेष रूप से ऐप-आधारित श्रमिकों के काम की अनूठी प्रकृति, चुनौतियों और सामाजिक सुरक्षा आवश्यकताओं को संबोधित करता है।
भाषा राजंश राजेश अजय
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