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Monday, 22 September, 2025
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सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर कायम, बाजार उधारी अनुमान के अनुसार रहेगी: नागेश्वरन

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नयी दिल्ली, 22 सितंबर (भाषा) मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी. अनंत नागेश्वरन ने सोमवार को कहा कि सरकार अपने 4.4 प्रतिशत राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर कायम रहेगी और चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में बाजार उधारी को अनुमानित 6.82 लाख करोड़ रुपये तक सीमित रखेगी।

सरकार ने राजस्व अंतर को पूरा करने के लिए 2025-26 की अप्रैल-सितंबर अवधि के दौरान दिनांकित प्रतिभूतियों के माध्यम से आठ लाख करोड़ रुपये उधार लेने की घोषणा की थी।

उन्होंने नेटवर्क18 के एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हमें राजकोषीय घाटा बनाए रखने का भरोसा है और दूसरी छमाही में बाजार उधारी अपरिवर्तित रहेगी।’’

केंद्र सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक के परामर्श से, इस सप्ताह दूसरी छमाही (अक्टूबर-मार्च) के लिए उधारी कैलेंडर की घोषणा कर सकती है।

राजकोषीय घाटा यानी सरकार के कुल राजस्व और कुल व्यय के बीच का अंतर वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद का 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह सकल घरेलू उत्पाद का 4.8 प्रतिशत था।

राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए सरकार बाजार उधारी का सहारा लेती है। 2025-26 के लिए अनुमानित 14.82 लाख करोड़ रुपये के सकल बाजार उधार में से, आठ लाख करोड़ रुपये यानी 54 प्रतिशत, दिनांकित प्रतिभूतियों के माध्यम से पहली छमाही में उधार लेने की योजना है। इसमें 10,000 करोड़ रुपये के सरकारी हरित बॉन्ड शामिल हैं।

निरपेक्ष रूप से, वित्त वर्ष 2025-26 के लिए राजकोषीय घाटा 15,68,936 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है।

राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए, दिनांकित प्रतिभूतियों से शुद्ध बाजार उधारी 11.54 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है। शेष वित्तपोषण लघु बचत और अन्य स्रोतों से आने की उम्मीद है।

नागेश्वरन ने कहा कि सोमवार से लागू हुए जीएसटी 2.0 सुधारों के बाद, भारत की वित्त वर्ष 2025-26 की जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2026 में 6.3-6.8 प्रतिशत के ऊपरी स्तर की ओर रहेगी।

संसद में इस साल जनवरी में पेश आर्थिक समीक्षा में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 6.3 से 6.8 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान लगाया गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘जीएसटी 2.0 एक बहुत ही महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक सुधार है। मुझे पूरा विश्वास है कि इससे घरेलू मांग को काफी बढ़ावा मिलेगा। अप्रत्यक्ष करों के अलावा, केंद्रीय बजट में घोषित रियायतें और राहत भी शामिल हैं। गुणक प्रभाव को देखते हुए, इससे निश्चित रूप से जीडीपी के आंकड़ों में वृद्धि होगी।’’

नागेश्वरन ने कहा कि प्रत्यक्ष कर राहत (आयकर में कटौती) और अप्रत्यक्ष कर राहत (जीएसटी दर में कटौती) के कारण अर्थव्यवस्था पर गुणक प्रभाव का कुल प्रभाव 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक होगा। हालांकि, कुछ अनिश्चितताएं इस प्रभाव को कम कर सकती हैं।

भाषा

रमण अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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