नई दिल्ली: ‘इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर’ (आई4सी) ने यह दावा किया है कि साइबर अपराधियों ने देश को एक अप्रैल 2021 से 10,300 करोड़ रुपये से अधिक की चपत लगाई है, लेकिन एजेंसियां इसमें से 1127 करोड़ रुपये देश में ही रोकने में कामयाब रहीं है.
‘आई4सी’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राजेश कुमार ने यहां संवाददाताओं से कहा कि 2021 में राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर 4.52 लाख से अधिक साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए जो 2022 में 113.7 प्रतिशत बढ़कर 9.66 लाख हो गए.
‘आई4सी’ साइबर अपराध से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक ढांचा और पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा स्थापित एक निकाय है.
कुमार ने कहा कि 2023 में एनसीआरपी पर 15.56 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए यानी प्रति लाख जनसंख्या पर 129 साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए.
कुमार ने कहा, ‘‘भारत को एक अप्रैल, 2021 से 31 दिसंबर, 2023 तक कथित तौर पर 10,319 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है… हम 1127 करोड़ रुपये को रोकने में कामयाब रहे हैं, जिसमें से 9-10 प्रतिशत राशि पीड़ितों के खातों में भेज दी गई.’’
साइबर अपराधियों का विवरण देते हुए अधिकारियों ने कहा कि लगभग 50 प्रतिशत साइबर हमले कंबोडिया, वियतनाम, चीन और अन्य देशों से संचालित होने वाले ‘गिरोह’ द्वारा किए जा रहे हैं.
पीड़ितों के खातों में राशि दोबारा भेजने में आने वाली कठिनाइयों का जिक्र करते कुमार ने कहा कि सरकार नई मानक संचालन प्रक्रिया तैयार कर रही है जिसके जल्द ही सामने आने की संभावना है, इसके बाद पीड़ितों के लिए अपने पैसे का दावा करना आसान हो जाएगा.
अभी किसी पीड़ित को अपना पैसा वापस पाने के लिए अदालत से आदेश लेना पड़ता है. इस संंबंध में गुजरात और कर्नाटक जैसे राज्य अग्रणी हैं, जहां लोग अपना पैसा पाने के लिए लोक अदालतों और मजिस्ट्रेट के समक्ष गुहार लगा रहे हैं.
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