scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होमदेशअर्थजगतरिपोर्ट में दावा- 'आयातित कोयले की कीमत अडाणी ग्रुप ने बढ़ाकर बताई'; फिर भारतीयों से ज्यादा पैसे वसूले

रिपोर्ट में दावा- ‘आयातित कोयले की कीमत अडाणी ग्रुप ने बढ़ाकर बताई’; फिर भारतीयों से ज्यादा पैसे वसूले

फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि अडाणी ग्रुप ने अपने मालिकों से जुड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए कोयला आयात के लिए अतिरिक्त भुगतान किया. रिपोर्ट सार्वजनिक होने से कुछ दिन पहले अडाणी ग्रुप ने सभी आरोपों से इनकार किया था.

Text Size:

नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में अडाणी ग्रुप द्वारा व्यावसायिक कदाचार (Business Malpractice) के ताजा आरोप लगाए गए हैं. एक न्यूज़ रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि ग्रुप ने उस कीमत को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जिस पर कि यह कोयले को आयात कर रहा था और कोयले से उत्पन्न होने वाली बिजली अधिक कीमत पर बेची गई.

यूके स्थित पब्लिकेशन फाइनेंशियल टाइम्स ने गुरुवार को बताया कि उसकी जांच में पाया गया कि, जनवरी 2019 से अगस्त 2021 के बीच, अडाणी समूह ने कथित तौर पर 30 शिपमेंट में अपने आयातित कोयले की कीमत 73 मिलियन डॉलर तक बढ़ा दी थी, जिसकी अखबार ने जांच की थी.

यानी, एफटी ने आरोप लगाया, जब ये 30 शिपमेंट इंडोनेशियाई तटों से रवाना हुए तो उनकी निर्यात कीमत कुल 139 मिलियन डॉलर थी. लेकिन भारत पहुंचने पर, कथित तौर पर उसका रजिस्ट्रेशन 215 मिलियन डॉलर के आयात मूल्य के रूप में किया गया, जो कि मूल कीमत से 52 प्रतिशत ज्यादा थी.

एफटी की जांच में कहा गया है कि हालांकि ओवर-इनवॉयस वाले कोयले से लाभ सीधे तौर पर अडाणी ग्रुप को नहीं मिला, बल्कि यह उन कंपनियों को मिला जो कथित तौर पर ग्रुप में गुप्त शेयरधारक (Secret Shareholders) थीं.

अडाणी समूह ने सोमवार को एक प्रारंभिक बयान जारी कर आगामी एफटी रिपोर्ट को “अडाणी समूह के नाम और प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए पुराने और निराधार आरोपों” को दोहराने का प्रयास बताया. इसमें कहा गया है कि रिपोर्ट जानबूझकर ऐसे वक्त में जारी की गई है ताकि अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट में लगाए गए कॉर्पोरेट कदाचार के आरोपों के कारण अडाणी समूह पर चल रहे मामले में सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से मेल खा सके.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

मामला वाकई पुराना है. राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने 2016 में एक सर्कुलर जारी कर कहा था कि इंडोनेशिया से कोयला आयात के कथित ओवर-इनवॉइसिंग के लिए अडाणी समूह की पांच कंपनियों सहित 40 संस्थाओं की जांच की जा रही है.

डीआरआई ने बाद में सिंगापुर और कई अन्य देशों को लेटर्स रोगेटरी (ऑफ-शोर संस्थाओं की जांच के दौरान अन्य देशों में जांच या न्यायिक एजेंसियों को भेजी गई जानकारी के लिए अनुरोध) भेजा. बॉम्बे हाई कोर्ट ने 2019 में इन लेटर्स रोगेटरी को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि इन्हें भेजते समय उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था.

इस आदेश पर बाद में जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी, जिससे अडाणी ग्रुप और अन्य कंपनियों की जांच प्रभावी रूप से फिर से शुरू हो गई. हालांकि, 2019 में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने नॉलेज इंफ्रास्ट्रक्चर, जो कि डीआरआई द्वारा नामित 40 संस्थाओं में से एक है, के खिलाफ मामले को खारिज कर दिया था.

अन्य मामलों की स्थिति पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

अडाणी ग्रुप ने सोमवार को जारी अपने बयान में इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2023 में बॉम्बे हाई कोर्ट की बर्खास्तगी के खिलाफ डीआरआई की अपील को निरस्त (Dismiss) कर दिया क्योंकि डीआएआई ने अपनी अपील वापस ले ली थी और कहा कि “हम सरकार के इस रुख की सराहना करते हैं कि व्यर्थ मुकदमेबाजी में नहीं पड़ना” है.

इसके अलावा, इसमें कहा गया है कि एफटी का “बेशर्म एजेंडा” स्पष्ट रूप से इस तथ्य से पता चला है कि उन्होंने सिर्फ अडाणी ग्रुप के बारे में बात की है, भले ही मूल डीआरआई सर्कुलर में अडानी समूह की कंपनियों सहित 40 आयातकों का उल्लेख है.

अडाणी के बयान में कहा गया है, “स्पष्ट रूप से, कोयले के आयात में अधिक मूल्य वाले मामले को भारत की सर्वोच्च अदालत द्वारा निर्णायक रूप से सुलझाया लिया गया था.”

एफटी रिपोर्ट ने एक बार फिर कंपनी की कथित कार्रवाइयों पर प्रकाश डाला है.

एफटी ने अपनी समाचार रिपोर्ट में कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि भारत की अर्थव्यवस्था के बड़े हिस्से पर प्रभुत्व रखने वाला राजनीतिक रूप से जुड़ा समूह अडाणी ग्रुप ने बाजार मूल्य से कहीं अधिक कीमत पर अरबों डॉलर का कोयला आयात किया है.”

इसमें कहा गया है: “डेटा लंबे समय से चले आ रहे आरोपों का समर्थन करता है कि देश का सबसे बड़ा निजी कोयला आयातक, अडाणी, ईंधन की लागत बढ़ा रहा है और इसके कारण लाखों भारतीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों को बिजली के लिए अधिक भुगतान करना पड़ रहा है.”

दिप्रिंट एफटी द्वारा लगाए गए आरोपों के आधार पर अडाणी ग्रुप को भेजे गए विस्तृत सवालों के जवाब का इंतजार कर रहा है. जब भी प्रतिक्रियाएं आएंगी, इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.


यह भी पढ़ेंः खाद्य महंगाई के नियंत्रण के सरकारी उपाय विफल, किसानों को 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का घाटा: ICRIER स्टडी


सस्ती खरीद, महंगा बेचना – बिचौलियों को लाभ

एफटी के अनुसार, इसने जनवरी 2019 और अगस्त 2021 के बीच कोयले के 30 शिपमेंट की जांच की, और उन्हें अलग-अलग माल ढुलाई डेटा और सैटेलाइट डेटा कंपनियों द्वारा मेनटेन किए गए नौकायन समय डेटा (Sailings Timings Data) को लेकर सत्यापित किया.

इसके बाद उन शिपमेंटों को चुना गया जहां शिपमेंट का वजन दोनों डेटाबेस में पूरी तरह से मेल खाता था, और जहां वजन अनियमित संख्या में थे ताकि कई शिपमेंट में उनका दोहराव होने की संभावना कम हो सके.

एफटी ने कहा, “इंडोनेशियाई घोषणाओं के अनुसार, इन 30 प्रतिनिधि नौकायनों (Sailings) – कुल 3.1 मिलियन टन – की लागत इंडोनेशिया में $139 मिलियन है, साथ ही शिपिंग और बीमा लागत में $3.1 मिलियन है. भारत में सीमा शुल्क अधिकारियों को घोषित मूल्य $215 मिलियन था, जिससे पता चलता है कि भारत आने तक कंपनी को $73 मिलियन का मुनाफा हुआ जो कि कुल मूल्य का 52 प्रतिशत प्रॉफिट मार्जिन है”

इसमें कहा गया है कि कोयला व्यापार आमतौर पर एक अत्यधिक प्रतिस्पर्धी व्यवसाय है जहां लाभ मार्जिन आमतौर पर सिंगल-डिजिट में होता है.

एफटी रिपोर्ट यह स्वीकार करती है कि इस स्पष्ट ओवर-इनवॉइसिंग से लाभ सीधे तौर पर अडाणी ग्रुप को नहीं मिला, बल्कि इसके बजाय तीन “बिचौलियों” – ताइपे में हाय लिंगोस, दुबई में टॉरस कमोडिटीज जनरल ट्रेडिंग, और सिंगापुर में पैन एशिया ट्रेडलिंक – को मिला.

एफटी रिपोर्ट में कहा गया है, “जुलाई 2021 से भारतीय आयात डेटा से संकेत मिलता है कि अडाणी ने बाजार कीमतों से पर्याप्त प्रीमियम पर कोयले के लिए तीन कंपनियों को कुल 4.8 बिलियन डॉलर का भुगतान किया.”

एफटी ने अगस्त में पत्रकार नेटवर्क ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) द्वारा की गई पिछली जांच की ओर भी इशारा किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि हाई लिंगोस के मालिक – एक ताइवानी व्यवसायी चांग चुंग-लिंग, – “गुप्त रूप से उस समय सूचीबद्ध तीन अडाणी कंपनियों में सबसे बड़े शेयरधारक थे.”

इसमें कहा गया है कि चांग की पहचान “किसी टैक्स हेवेन देश में कागजों में छिपी हुई थी, जबकि इनवेस्टमेंट की देखरेख गौतम के भाई विनोद अडाणी के एक कर्मचारी द्वारा दुबई से की गई थी.”

अगर सच है, तो ये सभी आरोप – ओसीसीआरपी और अब एफटी द्वारा – का मतलब होगा कि अडाणी एंटरप्राइजेज ने आयातित कोयले के लिए अधिक भुगतान किया, उपभोक्ताओं से इस कोयले से उत्पादित बिजली के लिए अधिक कीमत वसूल की, और उन कंपनियों को अत्यधिक प्रीमियम का भुगतान किया जो गुप्त रूप से अडाणी ग्रुप में ही बड़े शेयरधारक थे.

अडाणी ग्रुप हर बात से इनकार करता है

हालांकि, अडाणी ग्रुप ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि वे “झूठे और निराधार” हैं और “अडाणी ग्रुप को अस्थिर करने के जानबूझकर और प्रेरित प्रयासों” का हिस्सा थे.

अडाणी के बयान में कहा गया, “यह सार्वजनिक हित की आड़ में निहित स्वार्थों को आगे बढ़ाने के उनके विस्तारित अभियान का हिस्सा है.”

इसमें कहा गया है, “अपने अथक अभियान को जारी रखते हुए, अगला हमला फाइनेंशियल टाइम्स के डैन मैक्रम द्वारा किया जा रहा है, जिन्होंने ओसीसीआरपी के साथ मिलकर 31 अगस्त 2023 को अडाणी ग्रुप के खिलाफ झूठी कहानी पेश की.” उन्होंने कहा, “ओसीसीआरपी को जॉर्ज सोरोस द्वारा वित्त पोषित किया जाता है, जिन्होंने खुले तौर पर अडाणी ग्रुप के खिलाफ अपनी शत्रुता की घोषणा की है.”

हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ अपने बयान की तरह, जहां उसने शॉर्ट-सेलर की रिपोर्ट को “भारत पर एक सोचा-समझा हमला” कहा था, अडाणी ग्रुप ने एफटी के खिलाफ भी राष्ट्रवादी रुख अपनाया.

अडाणी ने कहा, “एफटी की प्रस्तावित स्टोरीलाइन एक पूर्व निर्धारित निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए न्यायिक निर्णयों के जानबूझकर और शरारती तौर पर दबाने के साथ सार्वजनिक रूप से उपलब्ध तथ्यों और सूचनाओं का एक चतुराईपूर्ण रिसाइक्लिंग और चयनात्मक गलत बयानी है. यह भारत की नियामक और न्यायिक प्रक्रियाओं और अधिकारियों के प्रति बहुत कम सम्मान दर्शाता है.”

एफटी रिपोर्ट यह स्वीकार करती है कि इस स्पष्ट अति-चालान से लाभ सीधे तौर पर अडाणी ग्रुप को नहीं मिला, बल्कि इसके बजाय तीन “बिचौलियों” – ताइपे में हाय लिंगोस, दुबई में टॉरस कमोडिटीज जनरल ट्रेडिंग, और सिंगापुर में पैन एशिया ट्रेडलिंक – को मिला.

एफटी रिपोर्ट में कहा गया है, “जुलाई 2021 से भारतीय आयात डेटा से संकेत मिलता है कि अडाणी ने बाजार कीमतों से पर्याप्त प्रीमियम पर कोयले के लिए तीन कंपनियों को कुल 4.8 बिलियन डॉलर का भुगतान किया.”

एफटी ने अगस्त में पत्रकार नेटवर्क ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) द्वारा की गई पिछली जांच की ओर भी इशारा किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि हाई लिंगोस के मालिक – चांग चुंग-लिंग, एक ताइवानी व्यवसायी – “गुप्त रूप से उनमें से एक थे” उस समय सूचीबद्ध तीन अडानी कंपनियों में सबसे बड़े शेयरधारक”.

इसमें कहा गया है कि चांग की पहचान “टैक्स हेवेन में कागजी कार्रवाई की परतों के कारण अस्पष्ट थी, जबकि निवेश की देखरेख गौतम के भाई विनोद अडाणी के एक कर्मचारी द्वारा दुबई से की गई थी”.

अगर सच है, तो ये सभी आरोप – ओसीसीआरपी और अब एफटी द्वारा – का मतलब होगा कि अडाणी एंटरप्राइजेज ने आयातित कोयले के लिए अधिक भुगतान किया, उपभोक्ताओं से इस कोयले से उत्पादित बिजली के लिए अधिक कीमत वसूल की, और अत्यधिक प्रीमियम का भुगतान किया. उन कंपनियों को जो गुप्त रूप से अदानी समूह में ही बड़े शेयरधारक थे.

अडानी ग्रुप हर बात से इनकार करता है
हालाँकि, अडाणी ग्रुप ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि वे “झूठे और निराधार” हैं और “अडानी समूह को अस्थिर करने के जानबूझकर और प्रेरित प्रयासों” का हिस्सा थे.

अडाणी के बयान में कहा गया, “यह सार्वजनिक हित की आड़ में निहित स्वार्थों को आगे बढ़ाने के उनके विस्तारित अभियान का हिस्सा है.”

इसमें कहा गया है, “अपने अथक अभियान को जारी रखते हुए, अगला हमला फाइनेंशियल टाइम्स के डैन मैक्रम द्वारा किया जा रहा है, जिन्होंने ओसीसीआरपी के साथ मिलकर 31 अगस्त 2023 को अडाणी ग्रुप के खिलाफ झूठी कहानी पेश की.” “ओसीसीआरपी को जॉर्ज सोरोस द्वारा वित्त पोषित किया जाता है, जिन्होंने खुले तौर पर अडाणी ग्रुप के खिलाफ अपनी शत्रुता की घोषणा की है.”

हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ अपने बयान की तरह, जहां उसने शॉर्ट-सेलर की रिपोर्ट को “भारत पर एक सोचा-समझा हमला” कहा था, अडाणी ग्रुप ने एफटी के खिलाफ भी राष्ट्रवादी रुख अपनाया.

अडाणी ने कहा, “एफटी की प्रस्तावित कहानी एक पूर्व निर्धारित निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए न्यायिक निर्णयों के जानबूझकर और शरारती दमन के साथ सार्वजनिक रूप से उपलब्ध तथ्यों और सूचनाओं का एक चतुर पुनर्चक्रण और चयनात्मक गलत बयानी है.” “यह भारत की नियामक और न्यायिक प्रक्रियाओं और अधिकारियों के प्रति बहुत कम सम्मान दर्शाता है.”

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ेंः तेल की बढ़ती कीमतें, गिरता मुनाफा, फिर भी दो तेल कंपनियों ने सरकार को भेजा 2600 करोड़ रुपये का लाभांश


 

share & View comments