नयी दिल्ली, आठ अप्रैल (भाषा) केंद्र ने शुक्रवार को कहा कि वह वर्ष 2024 तक तीन चरणों में राशन दुकानों और पीएम-पोषण जैसी सरकारी योजनाओं के माध्यम से पोषक तत्व से समृद्ध किये गये (फोर्टिफाइड) चावल की आपूर्ति करेगा। सरकार के इस कदम से केंद्रीय खजाने पर प्रति वर्ष 2,700 करोड़ रुपये खर्च का अतिरिक्त बोझ आयेगा। इस कदम का मकसद गरीबों में कुपोषण की समस्या को दूर करना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में इस बारे में निर्णय किया गया।
प्रधानमंत्री ने 75 वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में घोषणा की थी कि वर्ष 2024 तक सभी केंद्र सरकार की योजनाओं के माध्यम से ‘फोर्टिफाइड’ चावल प्रदान किया जाएगा।
फोर्टिफाइड चावल, खाद्य नियामक एफएसएसएआई द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार बनाया जाता है, जिसमें तीन सूक्ष्म पोषक तत्वों – आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी 12 मिश्रित किये जाते है।
मंत्रिमंडल के फैसले के बारे में जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने शुक्रवार को संवाददाताओं को बताया कि सीसीईए ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), एकीकृत बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस), प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण-पीएम पोषण (पूर्ववर्ती मध्याह्न भोजन योजना) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं (ओडब्ल्यूएस) के जरिये चरणबद्ध तरीके से ‘फोर्टिफाइड’ चावल के वितरण के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
उन्होंने कहा कि ‘फोर्टिफाइड’ चावल तैयार करने में सालाना 2,700 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा जिसे खाद्य सब्सिडी के हिस्से के रूप में केंद्र सरकार वहन करेगी ।
ठाकुर ने कहा कि ‘फोर्टीफिकेशन’ के कारण देश के हर गरीब व्यक्ति को कुपोषण से निपटने में मदद मिलेगी। साथ ही यह महिलाओं, बच्चों, स्तनपान कराने वाली माताओं में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिहाज से पोषण प्रदान करेगा।
खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने एक अलग संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कार्यान्वयन का पहले चरण के तहत आईसीडीएस और पीएम-पोषण के माध्यम से 35 लाख टन ‘फोर्टिफाइड’ चावल की आपूर्ति की जानी थी, लेकिन कोविड महामारी के कारण इसमें देरी हुई।
उन्होंने कहा कि पहला चरण अक्टूबर 2021 में शुरू हुआ था और लगभग 17 लाख टन ‘फोर्टिफाइड’ चावल का उठाव किया गया था। उन्होंने कहा कि पहला चरण महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के बजटीय प्रावधान के तहत लागू किया गया था।
पांडे ने कहा कि मंत्रिमंडल की मंजूरी के साथ, कार्यक्रम का नियमित कार्यान्वयन अब शुरू हो गया है।
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