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Friday, 26 April, 2024
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कैसे पहले से ही रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचे भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापार को और मजबूती देगा FTA

अब तक भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच व्यापार का एक बड़ा हिस्सा ऊर्जा क्षेत्र पर केंद्रित रहा है, और एफटीए से अन्य वस्तुओं और सेवाओं के मामले में व्यापार का दायरा और व्यापक होने की उम्मीद है.

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नई दिल्ली: भारत-ऑस्ट्रेलिया मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को मंगलवार को ऑस्ट्रेलियाई संसद की मंजूरी ऐसे समय में मिली है जबकि दोनों देशों के बीच व्यापार पहले से ही रिकॉर्ड उच्च स्तर पर है.

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का डेटा दर्शाता है कि इस कैलेंडर वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत का व्यापार पहले ही 22.49 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो 2021 में इसी अवधि के दौरान 13.88 बिलियन डॉलर की तुलना में 62 प्रतिशत अधिक है.

दरअसल, 2022 की पहली तीन तिमाहियों में ही ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत का व्यापार 2021 में पूरे वर्ष के दौरान हुए 21.98 बिलियन डॉलर के कारोबार से आगे निकल गया है.

ऊर्जा क्षेत्र विकास को गति दे रहा

ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत का व्यापार काफी हद तक ऑस्ट्रेलिया से वस्तुओं के आयात पर केंद्रित होता है. इस वर्ष 22.49 अरब डॉलर के व्यापार में से आयात 15.6 अरब डॉलर से अधिक का रहा है और निर्यात केवल 6.83 अरब डॉलर का हुआ.

इन आंकड़ों पर करीब से नजर डालें तो पता चलता है कि दोनों देशों के बीच ज्यादातर व्यापार ऊर्जा क्षेत्र में हुआ. इस साल ऑस्ट्रेलिया से 15.6 अरब डॉलर के आयात में कोकिंग कोल (9.56 अरब डॉलर), स्टीम कोल (1.4 अरब डॉलर) और कोयले के अन्य स्वरूपों (1.37 अरब डॉलर) का आयात शामिल है. यह ऑस्ट्रेलिया से कुल आयात का करीब 80 फीसदी हिस्सा है. कोकिंग कोल इसमें काफी अहम है जो कि लोहा और इस्पात निर्माताओं के लिए एक अच्छा कच्चा माल होता है, जबकि स्टीम कोल का इस्तेमाल उद्योगों की तरफ से बिजली उत्पादन करने और हीटिंग उद्देश्यों के लिए भाप के उत्पादन में किया जाता है.

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कोकिंग कोल के मामले में भारत का सबसे बड़ा स्रोत ऑस्ट्रेलिया ही है. 2022 में (सितंबर तक) भारत की कोकिंग कोल की जरूरतों (16.48 बिलियन डॉलर) का 57 प्रतिशत (9.56 बिलियन डॉलर) से अधिक हिस्सा वहीं से पूरा हुआ.

वहीं, ऑस्ट्रेलिया को भारत के निर्यात में ऊर्जा उत्पादों का दबदबा है. सितंबर 2022 तक ऑस्ट्रेलिया को भारत के निर्यात में अकेले ऑटोमोटिव डीजल ईंधन, हाई-स्पीड डीजल और ऑटोमोटिव गैसोलीन की हिस्सेदारी 55 प्रतिशत से अधिक थी.

डेटा से यह भी पता चलता है कि ऑस्ट्रेलिया को भारत के निर्यात की वृद्धि की गति आयात की तुलना में बहुत तेज है. 2017 की पहली तीन तिमाहियों में, भारत में ऑस्ट्रेलिया से कुल आयात लगभग 14.35 बिलियन डॉलर का था, जो 2022 में बढ़कर 15.56 बिलियन डॉलर हो गया. यानी हर वर्ष 7.8 प्रतिशत की औसत वृद्धि हुई.

लेकिन इसी अवधि में भारत का निर्यात लगभग 2.8 बिलियन डॉलर से बढ़कर 6.8 बिलियन डॉलर हो गया यानी इसमें 19 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि हुई.

इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस (आईसीआरआईईआर) में प्रोफेसर साओन रे के मुताबिक, ‘ईसीटीए (आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता) भारतीय निर्यात के लिए फायदेमंद होने की संभावना है जो खासकर कपड़ा, परिधान, कृषि उत्पाद, मछली उत्पाद, चमड़ा, जूते, फर्नीचर, खेल उपकरण, आभूषण, इंजीनियरिंग गुड्स, और कुछ फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरण (मीडिया रिपोर्टों के अनुसार) जैसे श्रम प्रधान क्षेत्रों से जुड़ा है.

उन्होंने कहा, ‘कई कच्चे माल और मध्यवर्ती सामान भारत के हित में हैं. भारत की जिन वस्तुओं में रुचि है उनमें प्लास्टिक शामिल है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया अधिक सुरक्षात्मक है.’

वर्ल्ड कस्टम ऑर्गनाइजेशन के तहत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नॉमेनक्लेचर का एक सुव्यवस्थित सिस्टम है जिसका इस्तेमाल व्यापारिक वस्तुओं के वर्गीकरण में होता है. सिस्टम कोड के चैप्टर 39—प्लास्टिक और उसके उत्पाद—का उल्लेख करते हुए रे ने कहा, ‘इस चैप्टर के कुछ आइटम काफी संवेदनशील हैं, हालांकि अधिकांश वस्तुओं के लिबरलाइज होने की उम्मीद है.’

रे ने यह भी कहा कि भारत को कुछ सेवाओं के निर्यात से भी लाभ हो सकता है.

उन्होंने कहा, ‘जिन सेवाओं के मामले में ऑस्ट्रेलिया प्रतिस्पर्धी है (और भारत नहीं है) उनमें डाक और कूरियर सेवाएं, यात्रा और सरकारी सामान और सेवाएं शामिल हैं (जैसा कहीं और नहीं हैं). भारत जिन सर्विस कैटेगरी में ऑस्ट्रेलिया को निर्यात करना चाहता है, उनमें अन्य वाणिज्यिक सेवाएं, कंप्यूटर और सूचना सेवाएं और अन्य व्यावसायिक सेवाएं शामिल हैं.’

क्या विविधीकरण संभव है?

ऑस्ट्रेलिया के साथ एफटीए की घोषणा के बाद वाणिज्य एवं व्यापार मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि इस कदम से व्यापक स्तर पर करीब 6,000 भारतीय क्षेत्रों में बाजार खुलेंगे जिनमें कपड़ा, आभूषण और मशीनरी जैसे तैयार सामान शामिल हो सकते हैं.

एक समारोह में, उन्होंने यह भी कहा कि ऑस्ट्रेलिया अब भारतीय इस्पात से लाभान्वित हो सकता है, जिस पर निर्यात शुल्क लगाए जाने के छह महीने बाद ही हटा दिया गया था.

कई उद्योग विशेषज्ञों का भी कहना है कि यह सौदा गैर-ऊर्जा क्षेत्र में भारत के निर्यात को बढ़ावा देगा.

एक गैर-सरकारी व्यापार निकाय एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (एसोचैम), इंडिया में फूड प्रोसेसिंग एंड वैल्यू एडिशन काउंसिल के अध्यक्ष विवेक चंद्रा ने एक ट्वीट में कहा कि एफटीए भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विस्तार के साथ उद्योग को बढ़ाने की दिशा में और अधिक पारस्परिक लाभकारी और नई तकनीक की राह खोलेगा.’

इसके अतिरिक्त, इस साल अप्रैल में ऑस्ट्रेलियाई सरकार पहले ही अपने यहां काम कर रही भारतीय आईटी फर्मों के लिए दोहरे कराधान को खत्म करने के लिए कानूनों में संशोधन पर सहमति जता चुकी है. यह भी कल्पना की गई है कि चुनिंदा ऑस्ट्रेलियाई वाइन पर आयात शुल्क नीचे आ जाएगा.

(अनुवाद: रावी द्विवेदी )

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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