नयी दिल्ली, 24 मई (भाषा) कॉलर आईडी ऐप ट्रूकॉलर ने मंगलवार को कहा कि वह ट्राई द्वारा प्रस्तावित केवाईसी-आधारित कॉलर आईडी व्यवस्था को एक ‘‘प्रतिस्पर्धी सेवा’’ के रूप में नहीं देखती है।
कंपनी ने कहा कि वह अपनी प्रौद्योगिकी और डेटा की मदद से नंबर की पहचान करने वाली सेवा के अलावा भी कई मुद्दों को हल करती है।
इस संबंध में ट्रूकॉलर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और सह-संस्थापक एलन मामेदी ने एक बयान जारी किया है। यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने बीते दिनों कहा था कि वह जल्द ही एक ऐसा तंत्र तैयार करने पर परामर्श शुरू करेगा, जिसमे कॉल करने वालों का केवाईसी आधारित नाम मोबाइल की ‘स्क्रीन’ आ जाएगा।
ट्राई को इस तंत्र पर विचार-विमर्श शुरू करने के लिए दूरसंचार विभाग (डॉट) ने भी सुझाव दिया था। ट्राई के चेयरमैन पी डी वाघेला ने बताया था कि इस तंत्र को तैयार करने के लिए विचार-विमर्श अगले दो महीनों में शुरू हो सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें अभी केवल संदर्भ मिला है और हम जल्द ही इस पर काम शुरू कर देंगे। जब कोई कॉल करेगा तो उसका केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) आधारित नाम मोबाइल की स्क्रीन पर आएगा।’’
यह तंत्र कॉल करने वालों की केवाईसी आधारित पहचान दर्शाने में मदद करेगा तथा कॉल करने वालों की पहचान या नाम दर्शाने वाले कुछ ऐप की तुलना में अधिक सटीकता और पारदर्शिता लाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस सेवा से ट्रूकॉलर जैसे ऐप प्रभावित होंगे, जो भारत को एक महत्वपूर्ण बाजार के रूप में देखते हैं।
ट्रूकॉलर के सीईओ ने मंगलवार को एक बयान में कहा, ‘‘हमारे पास उपलब्ध जानकारी के आधार पर हमें नहीं लगता है कि यह उन सेवाओं और कार्यक्षमता की तुलना में एक प्रतिस्पर्धी सेवा होगी, जो ट्रूकॉलर अपने 31 करोड़ से अधिक सक्रिय उपयोगकर्ताओं को प्रदान करती है।’’
मामेदी ने कहा कि ट्रूकॉलर अपनी प्रौद्योगिकी और डेटा की मदद से नंबर की पहचान करने वाली सेवा के अलावा भी कई मुद्दों को हल करती है।
उन्होंने कहा कि ट्राई का प्रस्ताव भारत में कंपनी की वृद्धि के लिए एक उत्प्रेरक भी हो सकता है।
भाषा पाण्डेय अजय
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