अंबाला: अंबाला कैंटोनमेंट क्षेत्र की कुम्हार मंडी में एक पालतू जर्मन शेफर्ड लगातार भौंक रहा है, जो एक मलबे के ढेर से कुछ मीटर की दूरी पर बंधा हुआ है, जहां कभी एक घर हुआ करता था. कुत्ते के पास ही एक पलंग पर एक तीन महीने का बच्चा रो रहा है, जो अपनी आंटी के पास लेटा हुआ है.
महिला बहुत ग़ुस्से में दिख रही है, और पलंग पर हाथ मारते हुए बड़बड़ा कर कह रही है, कि कैसे पुलिस और अंबाला के नागरिक अधिकारियों ने ‘ग़ैर-क़ानूनी’ तरीक़े से 35 साल पुराने उनके घर को गिरा दिया.
अधिकारियों के अनुसार, गिराई गई संपत्ति अवैध थी और उसका ताल्लुक़ ड्रग विक्रेता प्रवीण कुमार से था. 11 जुलाई को अंबाला पुलिस द्वारा उसे गिरफ्तार किए जाने के बाद, उचित प्रक्रिया का पालन करके उसके घर को गिरा दिया गया- जिसमें घर को गिराने से पहले कुमार परिवार को तीन नोटिस दिए गए थे.
कुमार के खिलाफ चौदह मामले दर्ज हैं जिनमें से पुलिस रिकॉर्ड्स के मुताबिक़, तीन केस ड्रग से जुड़े हैं जो 2016 और 2017 के हैं. दस मामले जुआ अधिनियम के तहत दर्ज किए गए थे, जबकि एक केस अतिक्रमण का है.
महिला प्रवीण की दूसरी पत्नी है, जो उनके पांच बच्चों और रिश्तेदारों के साथ उस घर में रहती थी, जो अब मलबे का एक ढेर भर है. फिलहाल वो पास में किसी रिश्तेदार के घर में रह रहे हैं.
प्रवीण के घर का ध्वस्त किया जाना अपराधियों, नशीली दवाओं के विक्रेताओं और बदमाशों के खिलाफ चल रही ‘आर्थिक कार्रवाई’ की एक मिसाल है.
मंगलवार को उसकी दो संपत्तियों को सिविक अधिकारियों ने तब गिरा दिया, जब पुलिस ने उन्हें लिखकर कथित ड्रग विक्रेता की संपत्तियों के बारे में जानकारी मांगी थी.
जांच में पाया गया था कि उसने ‘सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण किया था, और वो घर ड्रग तथा जुए की कमाई से बनाए गए थे’. अंबाला पुलिस के अधिकारियों के अनुसार प्रवीण अपने घर का इस्तेमाल जुए के लिए भी करता था.
ज़मीन के उसी टुकड़े पर दो और मकान तथा एक मंदिर भी मौजूद हैं.
कुमार परिवार की पड़ोसी एक बुज़ुर्ग महिला ने, जिसने अपना नाम बताने के मना कर दिया, दिप्रिंट से कहा: ‘हम पिछले पांच साल से इस ज़मीन पर रह रहे हैं. हम हाउस टैक्स और दूसरे तमाम बिल अदा करते हैं. हमें अधिकारियों की ओर से कोई नोटिस नहीं मिले, उन्हें (कुमार परिवार) मिले थे. हो सकता है कि पहले हमें भी नोटिस मिले हों, मुझे नहीं मालूम, लेकिन वे (अधिकारी) हमारा घर नहीं गिराएंगे, क्योंकि हम उनकी (कुमार परिवार) तरह अपराधी नहीं हैं’.
उनके बेटे ने (वो भी अपना नाम नहीं बताना चाहता था) कहा: ‘मुझे जानकारी नहीं है कि क्या वो यहां (घर पर) जुआ खेलते थे, लेकिन वो बरसों से ड्रग्स बेच रहे हैं, इस हद तक कि अपने बच्चों की ख़ातिर कुछ लोग इस इलाक़े को छोड़कर चले गए हैं’.
फिर उसने अपने किशोर आयु के बेटे की ओर इशारा किया, जिसके होंठ काले और फटे हुए थे, और आंखें झुकी हुई थीं. लड़के के पिता ने कहा, ‘प्रवीण मोहल्ले के लड़कों को ड्रग्स देता रहता था, जिनमें मेरा बेटा भी शामिल था. वो इन्हें कुछ कैप्सूल्स भी देता था. इसकी ज़िंदगी तबाह हो गई है’.
लेकिन प्रवीण की पत्नी करमजीत ने दावा किया, कि उसका पति केवल चरस बेचता था, ‘कैप्सूल्स’ नहीं.
उसने कहा, ‘उन्होंने उसके पास ड्रग्स दिखा दी, और हमारा 35 साल पुराना घर गिरा दिया. इसे उसके पिता ने तीन दशक पहले बनाया था. उन्होंने केवल एक महीना पहले नोटिस दिया था’.
करमजीत ने बताया कि उसी इलाक़े में गिरा दिए गए प्रवीण के एक कमरे के दूसरे घर में, उनके पालतू कुत्ते और गाय को रखा जाता था. उसने आगे कहा कि घर को गिराए जाने के बाद गाय ग़ायब हो गई है.
उसने एक नोटिस दिखाया जो उन्हें 29 जुलाई को अंबाला नगर निगम ने हरियाणा नगरपालिका एक्ट,1973, के अंतर्गत भेजा था, और जिसमें परिवार को एक अतिक्रमण हटाने के लिए कहा गया था.
परिवार की वकील हंस कुमार पाली के अनुसार, उन्हें सबसे पहली बार 29 जुलाई को नोटिस भेजा गया, जिसके बाद वो कोर्ट चले गए, और दूसरा नोटिस 19 सितंबर को दिया गया. उन्होंने बताया, ‘मामला अभी कोर्ट में है, और अगली सुनवाई 3 नवंबर को है’.
वकील ने आगे कहा कि पड़ोस के परिवार को भी 29 जुलाई को एक नोटिस दिया गया था.
अंबाला नगर पालिका परिषद के सचिव राजेश कुमार ने कहा, कि प्रवीण की गिरफ्तारी के बाद से उसे दो नहीं बल्कि तीन नोटिस दिए गए थे, और इस मामले में कोर्ट की ओर से कोई स्टे ऑर्डर नहीं था.
उसी जगह पर बने दूसरे घरों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा: ‘अतिक्रमित भूमि पर समय समय पर डिमोलिशन का काम होता रहता है. इस मामले में पुलिस विस्तृत जानकारी लेकर हमारे पास आई थी, इसलिए कार्रवाई की गई’.
दिप्रिंट से बात करते हुए हरियाणा पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पीके अग्रवाल ने कहा: ‘हम ऐसे अपराधियों और गैंग्सटर्स की संपत्तियों का पता लगाते हैं, जो नशीले पदार्थों का धंधा करते हैं या जो अपराध की आय पर जी रहे हैं-या फिर जिन्होंने लोगों को धमकाकर और सरकारी ज़मीन पर क़ब्ज़ा कर लिया है . इसके बाद उनके खिलाफ अन्य क़ानूनों के अलावा, नगर निगम अधिनियम या सार्वजनिक परिसर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है. पिछले दो महीनों में इन अपराधियों की करोड़ों की संपत्तियां ज़ब्त की जा चुकी हैं’.
अपराधियों की संपत्तियों की हो रही कुर्की, ढहाए जा रहे हैं मकान
अप्रैल में, ज़िला प्रशासन ने अंबाला कैंटोनमेंट इलाक़े में एक गोदाम को गिरा दिया, जो एक पूर्व निर्दलीय पार्षद राजेश कुमार ने कथित रूप से सरकारी ज़मीन पर अवैध ढंग से बनाया था.
पूर्व पार्षद और उसके बेटे को हत्या के प्रयास के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था, जब उसके परिवार ने छापेमारी के दौरान कथित रूप से एक पुलिस टीम पर हमला किया था, जिसमें सिपाही घायल हुए थे.
राजेश की पत्नी गुड्डी भी कथित रूप से नशीले पदार्थ सप्लाई करती थी. पुलिस के अनुसार, गोदाम से 260 किग्रा. हेरोइन और ड्रग्स के 1500 कैप्सूल्स बरामद किए गए थे.
राजेश और प्रवीण दोनों की संपत्तियां स्वापक ओषधि और मनःप्रभावी पदार्थ अधिनियम (एनडीपीएस) की धाराओं के अंतर्गत गिरा दी गईं.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘एनडीपीएस की धारा 68-ई (अवैध रूप से अर्जित संपत्ति की पहचान करना) में ड्रग तस्करों द्वारा नशीले पदार्थों की बिक्री से अर्जित अवैध संपत्ति के खिलाफ एक प्रावधान है, और धारा 68-एफ के अनुसार (अवैध रूप से अर्जित संपत्ति का अभिग्रहण या रोक लगाया जाना) एक प्रावधान है जिसके तहत अवैध संपत्ति के खिलाफ प्रस्ताव तैयार करके, आगे की कार्रवाई के लिए उसे संबंधित विभाग को भेजा जा सकता है’.
उन्होंने आगे कहा, ‘उन्हें (राजेश और प्रवीण की संपत्तियां) सरकारी ज़मीन पर बना हुआ पाया गया और इसलिए, उचित प्रक्रिया के बाद उन इमारतों को गिरा दिया गया’.
हरियाण के गृह मंत्री और अंबाला कैंट विधायक अनिल विज ने कहा: ‘नशीली दवाएं बेंचने वालों को या तो ये धंधा छोड़ देना चाहिए, या फिर इस राज्य से चले जाना चाहिए. टीमें गठित की गई हैं और जो संपत्तियां ड्रग्स के पैसे से बनाई गई हैं उन्हें ढहा दिया जाएगा. एक लंबी सूची है और ये कार्रवाई जारी रहेगी’.
इसी महीने, 8 करोड़ रुपए की संपत्तियां, जिनमें जेल में बंद कथित गैंग्सटर मनोज मंगारिया के गुर्गे जावेद नाम के एक व्यक्ति के मकान, दुकानें, और गोदाम शामिल थे, फरीदाबाद सिविक अधिकारियों द्वारा गिरा दी गईं थीं. पुलिस के अनुसार, जावेद के खिलाफ 11 आपराधिक केस दर्ज हैं, जिनमें हत्या और जबरन वसूली के मामले शामिल हैं.
फरीदाबाद पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘मंगारिया का गुर्गा जावेद क़रीब 14 साल से आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहा है. अवैध हथियारों और लाठियों आदि से लैस होकर जावेद और उसके साथी, डर का माहौल बनाकर और अपने पड़ोस के लोगों पर हमला करके, ज़मीनें कब्ज़ाने का काम करते हैं’.
प्रवक्ता ने आगे कहा, ‘अवैध रूप से अर्जित संपत्ति पर दुकानें बनाकर और उनसे किराया वसूलकर वो ग़ैर-क़ानूनी कमाई कर रहा था. फरीदाबाद पुलिस ने इन अवैध दुकानों की पहचान की थी’.
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अपराधियों की संपत्तियों की पहचान
उत्तर प्रदेश के विपरीत, हरियाणा में गिरोहबंद और समाज-विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम जैसा क़ानून नहीं है, जिसमें अपराधियों की संपत्ति ध्वस्त करने का प्रावधान है.
हरियाणा के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के अनुसार, नगर निगम ने राज्य में डिमोलिशन की कार्रवाई उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद की है, जिसमें नोटिस जारी करके पक्ष को क़ानूनी उपाय करने का समय दिया गया था.
अंबाला पुलिस अधीक्षक (एसपी) जशनदीप सिंह रंधावा ने दिप्रिंट को बताया: ‘पुलिस नशीले पदार्थों की तस्करी जैसी गतिविधियों में लिप्त अपराधियों की संपत्तियों का पता लगाती है, और संबंधित अधिकारियों को सूचित किया जाता है, जिसके बाद वो फैसला करते हैं कि नगरपालिका उपनियमों, और सार्वजनिक परिसर अधिनियम आदि के तहत क्या कार्रवाई करने की ज़रूरत है’.
रंधावा के अनुसार, अवैध रूप से अर्जित संपत्ति पर ढहाए जाने की कार्रवाई नहीं की जा सकती. उन्होंने समझाया, ‘अगर ज़मीन क़ानूनी है लेकिन उसका इस्तेमाल आपराधिक गतिविधियों के लिए किया गया है, तो हम संपत्ति को बस सील कर देते हैं और उसके बाद सक्षम प्राधिकारी क़ानून के अनुसार कार्रवाई करते हैं’.
उन्होंने कहा, ‘हमारे पास ऐसे अपराधियों की जानकारी रहती है, जो अतिक्रमित जगहों पर अवैध गतिविधियों को अंजाम देते हैं, इसलिए हम उस जानकारी को अधिकारियों के साथ साझा करते हैं, ताकि इन संपत्तियों को ज़ब्त किया जा सके, गिराया जा सके, या फिर वहां से कब्ज़ेदारों को बाहर निकाला जा सके. इससे पहले 16 सितंबर को, सिविक ऑथरिटीज के अधिकारियों ने छह-सात दुकानों को गिराया था, और नाले के ऊपर एक बड़ा अतिक्रमण एक बदमाश बिट्टू का था, जिसके खिलाफ एक दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं’.
रंधावा ने आगे कहा कि पुलिस ने नशीली दवाओं के 5-6 तस्करों की संपत्तियों को ज़ब्त किया है. ‘अगर कोई निजी संपत्ति आपराधिक आय से अर्जित की गई है, तो उसे ज़ब्त करके नीलाम कर दिया जाता है’.
सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत लोगों की बेदख़ली) अधिनियम, 1971, की धारा 5बी के अंतर्गत, संपदा अधिकारी ‘सार्वजनिक परिसर’ पर बने किसी भी अनधिकृत निर्माण को गिराने का आदेश दे सकता है.
क़ानून के अनुसार ‘सार्वजनिक परिसर’ में केंद्र सरकार के स्वामित्व या पट्टे पर लिए गए परिसर, या कंपनियों की संपत्तियां शामिल होती हैं जिनमें काफी हद तक केंद्र या राज्य सरकार की हिस्सेदारी होती है. एक्ट की धारा 17 केंद्र सरकार को अधिकृत करती है, कि वो एक्ट के अंतर्गत मिली अपनी शक्तियों को राज्य सरकार को स्थानांतरित कर सकती है.
लेकिन, नगर पालिका क़ानून या सार्वजनिक परिसर एक्ट किसी में भी, अपराधियों या अभियुक्तों से जुड़ी संपत्तियों को गिरा दिए जाने का उल्लेख नहीं है.
2019 में गुड़गांव पुलिस ने कोर्ट के पास जाकर, एक भगोड़े ‘घोषित अपराधी’ (2018 में घोषित)- सूबे सिंह की संपत्ति नीलाम करने की अनुमति हासिल कर ली थी, जो कथित रूप से हत्याओं और दूसरे अपराधों में लिप्त था. उन संपत्तियों की दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 83 (भगोड़े व्यक्ति की संपत्ति की कुर्की) के अंतर्गत कुर्की कर ली गई थी.
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