scorecardresearch
Sunday, 22 December, 2024
होमदेशअर्थजगतसड़क क्षेत्र में 3 PSU बैंकों का NPA 9,922 करोड़, देरी और कम टोल संग्रह बड़ी वजह

सड़क क्षेत्र में 3 PSU बैंकों का NPA 9,922 करोड़, देरी और कम टोल संग्रह बड़ी वजह

बैंकों ने परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर संसदीय पैनल के साथ डेटा साझा किया, जो सड़क क्षेत्र को ऋण देने के सभी पहलुओं को देख रहा है.

Text Size:

नई दिल्ली: बैंकों की तरफ से परिवहन, पर्यटन और संस्कृति मामलों की संसदीय समिति से साझा किए गए दस्तावेजों के मुताबिक सड़क क्षेत्र में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) समेत सार्वजनिक क्षेत्र के तीन बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) का बोझ 9,922 करोड़ रुपये है.

एनपीए को ऐसे कर्ज के तौर पर परिभाषित किया गया है जिसका ब्याज या मूलधन कर्जदार ने 90 दिनों की अवधि के लिए नहीं चुकाया है.

दस्तावेजों के मुताबिक 30 सितंबर 2020 तक सड़क क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के दो बड़े बैंकों एसबीआई और पीएनबी का एनपीए क्रमश: 4,077 करोड़ रुपये और 3,548 करोड़ रुपये था.

एसबीआई के 4,077 करोड़ रुपये इस सेक्टर के कुल बकाया ऋण 55,941 करोड़ रुपये का लगभग 7 प्रतिशत है. इस क्षेत्र में बैंक का कुल निवेश 71,546 करोड़ रुपये है.

दस्तावेजों के अनुसार, सड़क और बंदरगाह क्षेत्र के लिए पीएनबी का कुल बकाया 30,400 करोड़ रुपये था.

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का एनपीए इस क्षेत्र में 30 नवंबर 2020 तक 2,297 करोड़ रुपये का था, जो इसके बकाया ऋण का 48 प्रतिशत है. संसदीय समिति के एक एक सांसद द्वारा दिप्रिंट के साथ साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, इसका कुल ऋण 4,773 करोड़ रुपये है.

भाजपा के राज्यसभा सदस्य टी.जी. वेंकटेश की अध्यक्षता वाली स्थायी संसदीय समिति की 8 जनवरी को हुई बैठक में बैंकों की तरफ से पेश किए गए दस्तावेज दिखाते हैं कि सड़क क्षेत्र में भारतीय बैंकों का कुल बकाया 1.95 लाख करोड़ रुपये है.

बैठक के दौरान संसदीय समिति ने सड़क क्षेत्र को ऋण देने पर सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों और वित्तीय संस्थानों के प्रतिनिधियों का पक्ष सुना. बैठक में शामिल होने वालों में एसबीआई के अध्यक्ष दिनेश कुमार खारा, पीएनबी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस.एस. मल्लिकार्जुन राव और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के एमडी पल्लव महापात्र शामिल थे.

दिप्रिंट ने इस पर प्रतिक्रिया के लिए गुरुवार सुबह भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक में कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन अधिकारियों को ईमेल और व्हाट्सएप संदेश भेजे, लेकिन रिपोर्ट प्रकाशित किए जाने तक कोई जवाब नहीं आया था.


य़ह भी पढ़ें: महंगाई दर में और कमी की उम्मीद लेकिन भारत में कीमतों के आंकड़ों के बेहतर विश्लेषण की ज़रूरत


भूमि अधिग्रहण में देरी चुनौतियों में शुमार

उक्त सांसद के अनुसार, विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भूमि अधिग्रहण में देरी को एक मुख्य चुनौती के तौर पर सामने रखा.

सांसद ने दिप्रिंट को बताया, ‘एसबीआई के चेयरमैन दिनेश सिंह खारा ने सदस्यों को बताया कि ऐसे कई उदाहरण हैं जिसमें निर्माण के वास्तविक उद्देश्यों के लिए भूमि उपलब्ध न होने से परियोजना निर्माण लटक गया.’

सांसद ने खारा का हवाला देते हुए बताया कि बैठक में खारा ने सुझाव दिया कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को बोलीकर्ताओं के बोली लगाने के स्तर पर ही अपनी वेबसाइट पर भूमि अधिग्रहण का विवरण उपलब्ध कराना चाहिए. इस विवरण को हर 15 दिन पर अपडेट किया जाना चाहिए. एनएचएआई को बाद में अनुबंध संबंधी किसी विवाद से बचने के लिए प्रकाशित ब्योरे के आधार पर एक नियत तिथि—राजमार्ग पर डेवलपर के काम शुरू करने की आधिकारिक तारीख—की घोषणा करनी चाहिए.

बैठक में भाग लेने वाले संसदीय समिति के दूसरे सदस्य के अनुसार पीएनबी के राव ने भी भूमि अधिग्रहण में देरी के मुद्दे को उठाया. राव ने राजमार्ग परियोजनाओं के लिए तैयार की जाने वाली विस्तृत परियोजना रिपोर्टों की गुणवत्ता खराब होने को भी रेखांकित किया और बताया कि कैसे टोल से हासिल होने वाले राजस्व का ब्योरा यातायात अध्ययन रिपोर्ट से मेल नहीं खाते, इससे परियोजना वित्तीय रूप से व्यावहारिक होने के आकलन पर खरी नहीं उतरती.

पीएनबी के एमडी ने यह सुझाव भी दिया कि यदि किसी भी अदालती आदेश या अन्य किसी अप्रत्याशित कारण से टोल वसूली बंद हो जाती है तो एनएचएआई को कर्जदाताओं को तुरंत मुआवजा देना चाहिए. सांसदों ने बताया कि बैंकरों ने आवश्यक वन एवं पर्यावरण मंजूरी हासिल करने में लगने वाली देरी पर भी चिंता जताई.

समर्पित फंडिंग एजेंसी की जरूरत

नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन में सड़क क्षेत्र के लिए बड़े पैमाने पर वित्त पोषण की जरूरत बताए जाने को रेखांकित करते पर एसबीआई के खारा ने कहा कि इस क्षेत्र के लिए एक समर्पित फंडिंग एजेंसी स्थापित की जानी चाहिए, जैसे बिजली क्षेत्र के लिए पॉवर फाइनेंस कॉरपोरेशन और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन हैं.

ऊपर उद्धृत पहले सांसद ने कहा, ‘भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी सहित कई सांसदों ने सड़क और बंदरगाह परियोजनाओं के मूल्यांकन और वित्त पोषण में विशेषज्ञता के साथ एक समर्पित बैंक की स्थापना के विचार का समर्थन किया.’

पीएनबी के राव ने लंबी अवधि के इन्फ्रा प्रोजेक्ट के वित्त पोषण के लिए बांड मार्केट विकसित करने का सुझाव दिया, जो क्रेडिट एन्हांसमेंट मैकेनिज्म पर आधारित हो.

2020-2021 के केंद्रीय बजट में सड़क क्षेत्र के लिए 91,823 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 10 प्रतिशत ज्यादा था.

लेकिन सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि सरकार द्वारा भारतमाला और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे सहित कई बड़ी परियोजनाओं को शुरू करने के साथ फंडिंग की आवश्यकता काफी हद तक बढ़ गई है.

एसबीआई के खारा ने संसदीय पैनल को बताया कि बैंक दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे और गंगा एक्सप्रेसवे जैसे बड़ी ग्रीनफील्ड परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए एनएचएआई और राज्यों के अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहा है.

पहले सांसद ने बताया, ‘खारा ने कहा कि एसबीआई ने हाल ही में पर्याप्त ऋण उपलब्ध कराना सुनिश्चित करने के लिए सड़क क्षेत्र के लिए अपनी इंटर्नल एक्सपोजर सीलिंग में 24,500 करोड़ रुपये की वृद्धि की है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: RBI और मोदी सरकार को सुधार के बिना बैंकिंग क्षेत्र में कॉर्पोरेट्स को नहीं आने देना चाहिए


 

share & View comments