नई दिल्लीः यूपी के प्रतापगढ़ में क्षयरोग यानी टीबी से लड़ने के लिए प्रशासन ने एक आदेश पारित किया है जिसके मुताबिक प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल के टीचर्स को टीबी के मरीजों को गोद लेना होगा.
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के द्वारा खण्ड शिक्षा अधिकारियों को जारी किए गए एक पत्र में जिलाधिकारी के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा गया है कि जिलाधिकारी महोदय की अध्यक्षता में जिलाधिकारी कैंप कार्यालय में संपन्न हुए राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम में यह निर्देश दिया गया है कि टीबी के रोगियों का इलाज होने तक प्राथमिक/पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों/शिक्षकों को गोद दिया जाए. इस संदर्भ में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा खण्ड शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे ऐसे शिक्षकों की सूची बनाकर उपलब्ध कराएं.
कैसे लगेगी टीचर्स की ड्यूटी
इस बारे में दिप्रिंट ने प्रतापगढ़ के एबीएसए/बीईओ (ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर) शशांक से बात की तो उन्होंने बताया कि, ‘जिन टीचर्स की ड्यूटी लगाई जाएगी वे बच्चों को पढ़ाने के बाद विद्यालय का समय खत्म होने पर मरीजों की देखभाल करने के लिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा टीबी के मरीजों की लिस्ट शिक्षा विभाग को उपलब्ध कराई जाएगी जिसके बाद उसी लिस्ट के अनुसार टीचर्स की ड्यूटी मरीजों की देखभाल के लिए लगाई जाएगी.’
उन्होंने बताया कि, ‘यह अभियान जब तक मरीज ठीक नहीं हो जाते तब तक चलेगा. जब उनसे पूछा गया कि जहां पर एकल विद्यालय है वहां पर कैसे टीचर्स की ड्यूटी लगाई जाएगी, तो उन्होंने बताया कि चूंकि विद्यालय के समय के बाद उन्हें ड्यूटी करनी है इसलिए इसमें कोई समस्या नहीं होगी, फिर भी अगर जरूरत पड़ी तो दूसरे विद्यालयों से टीचर्स को ड्यूटी के लिए बुलाया जा सकता है.’
जनगणना से लेकर वोटर लिस्ट बनाने तक लगती रही है ड्यूटी
दरअसल, यूपी में टीचर्स की ड्यूटी कई अन्य कामों में भी लगती रहती है. जनगणना, और चुनाव कराने से लेकर राशन बंटवाने और वोटर लिस्ट बनाने तक में टीचर्स की ड्यूटी लगती है. इससे पहले लखीमपुर खीरी के गोला तहसील में कांवड़ियों की देखभाल के लिए भी टीचर्स की ड्यूटी लग चुकी है.
नाम न छापने की शर्त पर एक टीचर ने दिप्रिंट को बताया कि भले ही टीचर्स को विद्यालय की टाइमिंग के बाद टीबी मरीजों की देखभाल करनी है लेकिन शिक्षकों का कार्य बच्चों में शैक्षणिक और रचनात्मक विकास करना है, ऐसे में उन्हें शिक्षा के अलावा अन्य जिम्मेदारियां दिए जाने से बच्चों के भविष्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि यह जिम्मेदारी अगर स्वास्थ्य विभाग के किसी कर्मचारी को दी जाती तो संभवतः बेहतर होता क्योंकि वे इस काम के लिए प्रशिक्षित हैं.
जिले में हैं 2995 टीबी के मरीज़
बता दें कि हर वर्ष भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा टीबी के मामले सामने आते हैं. साल 2020 में भारत में पूरी दुनिया के 26 फीसदी मामले देखे गए. वहीं यूपी में देश के टीबी के कुल नोटीफाइड मामलों का 20 फीसदी है. प्रतापगढ़ में टीबी के कुल 2995 मामले हैं.
भारत में एचआईवी निगेटिव लोगों में टीबी से होने वाली कुल मौतों का 38 फीसदी और एचआईवी पॉजिटिव लोगों में इसका प्रतिशत 34 है.
हर वर्ष भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा टीबी के मामले सामने आते हैं. साल 2020 में भारत में पूरी दुनिया के 26 फीसदी मामले देखे गए.
भारत में एचआईवी निगेटिव लोगों में टीबी से होने वाली कुल मौतों का 38 फीसदी और एचआईवी पॉजिटिव लोगों में इसका प्रतिशत 34 है.
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