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Friday, 26 April, 2024
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DMRC चीफ बोले-Delhi Metro को Covid से हुए 2,856 करोड़ रु.के घाटे से उबरने में केंद्र की मदद नहीं मिली

दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में, दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के चेयरपर्सन मंगू सिंह कि यात्रियों की संख्या अपेक्षाकृत बहुत कम है और मेट्रो राजस्व के मोर्चे पर चुनौती का सामना कर रहा है.

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नई दिल्ली: दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के प्रमुख मंगू सिंह का कहना है कि केंद्र सरकार ने कोरोनावायरस महामारी के दौरान हुए वित्तीय नुकसान की भरपाई के लिए दिल्ली मेट्रो की तरफ से भेजे आवेदन पर कोई जवाब नहीं दिया है.

मंगू सिंह ने दिप्रिंट को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि पिछले साल महामारी और उसके कारण लागू राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की वजह से डीएमआरसी को 2,856 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 24 मार्च 2020 को लॉकडाउन की घोषणा किए जाने के बाद 169 दिनों तक दिल्ली मेट्रो का संचालन बंद रहा था.

डीएमआरसी प्रमुख ने कहा, ‘इस दौरान कोई कमाई नहीं हुई और बिजली बिल में होने वाली बचत छोड़ दी जाए तो बाकी खर्च पहले की तरह ही थे.’

मंगू सिंह के मुताबिक, यद्यपि सितंबर के बाद से चरणबद्ध तरीके से सेवाएं फिर शुरू कर दी गईं लेकिन तब से हो रही कमाई नुकसान की भरपाई के लिहाज से पर्याप्त नहीं है.

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डीएमआरसी के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि लॉकडाउन लागू होने से पहले मेट्रो हर दिन करीब 10 करोड़ रुपये का राजस्व जुटा रही थी. लेकिन वर्तमान में उसकी कमाई इसकी एक-तिहाई ही है.

इसी तरह, कोविड-19 महामारी से पहले हर दिन करीब 62 लाख यात्री दिल्ली मेट्रो का इस्तेमाल करते थे लेकिन अब यह संख्या घटकर 20 लाख रह गई है.

मंगू सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘कभी-कभी यह आंकड़ा अधिकतम 25 लाख यात्रियों तक पहुंचता है. साथ ही जोड़ा निगम की प्राथमिकता यात्रियों को उनकी सुरक्षा के लिए किए जा रहे उपायों के प्रति आश्वस्त करना है.

और अभी तक, केंद्र सरकार से मदद हासिल करने के सभी प्रयास निरर्थक रहे हैं.

निगम ने इस संबंध में आवेदन आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को सबसे पहले पिछले साल 25 नवंबर को भेजा था. लेकिन कोई जवाब न मिलने पर 14 जनवरी को फिर मंत्रालय और दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा, जहां-जहां मेट्रो चलती है, की सरकारों को एक बार फिर रिमाइंडर भेजा गया.


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‘स्टेशन पर लोगों की भीड़ से प्रोटोकॉल उल्लंघन का खतरा’

दिल्ली मेट्रो ने लॉकडाउन के बाद मेट्रो सेवा को सख्त गाइडलाइन के साथ शुरू किया है. अधिकतम सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी स्टेशनों में सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क अनिवार्य होना और थर्मल स्कैनिंग जैसी व्यवस्थाएं की गई हैं.

हालांकि, सुरक्षा उपायों को लेकर शुरू में तो मेट्रो की काफी सराहना होती रही, लेकिन पिछले कुछ महीनों में यात्रियों द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाने के प्रोटोकॉल का ठीक से पालन न किए जाने ने चिंताएं बढ़ा दी हैं.

मंगू सिंह के मुताबिक, ऐसा इसलिए भी हो रहा है क्योंकि हर एक यात्री पर नजर रख पाना मुश्किल है.

उन्होंने कहा, ‘हमारे पास ऐसा सिस्टम है जिसमें रियल टाइम बेसिस पर किसी भी समय जान सकते हैं कि मेट्रो में कितने लोग हैं. ताकि जैसे ही हमें लगे कि लोग ज्यादा हो गए हैं हम अगले स्टेशन पर लोगों का प्रवेश रोक दें. लेकिन निश्चित तौर पर कुछ लोग तो मेट्रो स्टेशन पर उतरेंगे भी.’

डीएमआरसी प्रमुख ने आगे कहा कि इधर बड़ी संख्या में लोग अपने घरों से बाहर निकल रहे हैं, और इससे स्टेशनों के बाहर 200 से 300 लोगों की कतारें लग जा रही हैं.

मेट्रो प्रशासन ने केंद्र सरकार से इस माह के शुरू में सभी सीटों पर यात्रियों के बैठने की अनुमति देने की भी मांग की है. अभी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए एक छोड़कर एक सीट पर ही यात्री बैठते हैं.

हालांकि, सिंह ने स्पष्ट किया कि डीएमआरसी ने मेट्रो ट्रेनों को पूरी क्षमता के साथ चलाने की अनुमति नहीं मांगी है.

मंगू सिंह ने कहा, ‘हमें लोगों की तरफ से बड़ी संख्या में ऐसी शिकायतें और आवेदन मिले हैं कि जब अन्य सभी सेवाएं पूरी क्षमता के साथ फिर से शुरू हो चुकी हैं तो मेट्रो में ऐसा क्यों नहीं हो रहा, लेकिन वे नहीं समझते हैं कि यह सब हमारे हाथ में नहीं है. हमें बेवजह ही बदनाम कर रहे हैं.’

मेट्रो में कांटैक्टलैस टिकटिंग दिसंबर 2022 तक

दिल्ली मेट्रो की दिसंबर 2022 तक कांटैक्टलैस टिकटिंग शुरू करने की योजना है. डीएमआरसी प्रमुख के मुताबिक, निजी कंपनियों और स्टार्टअप्स से नए कांटैक्टलैस टिकटिंग सिस्टम के लिए बोलियां आमंत्रित की गई हैं. सिस्टम को क्यूआर कोड, कार्ड और रूपे के जरिये टिकटिंग व्यवस्था में अपग्रेड किए जाने की उम्मीद है.

मंगू सिंह ने कहा, ‘हमने मौजूदा ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम को अपग्रेड करके क्यूआर कोड स्टिकर, ईएमवी (यूरोपे, मास्टरकार्ड, और वीजा) टिकटिंग सिस्टम और रुपे-आधारित भुगतान प्रणाली बनाने के इच्छुक कंपनियों से आवेदन मांगे हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘यह अपग्रेडेशन एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन पर पहले से चालू नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) मानकों के अनुरूप ही होगा.’

स्वदेश विकसित एनसीएमसी का शुभारंभ मार्च 2019 में प्रधानमंत्री मोदी ने किया था और इसमें लोगों को एक कॉमन कार्ड के जरिये देशभर में मेट्रो और बस सेवाओं सहित हर तरह के परिवहन शुल्क के भुगतान की सुविधा मिलती है.

मंगू सिंह ने कहा कि उदाहरण के तौर पर दिल्ली या मुंबई मेट्रो में एक ही कार्ड का इस्तेमाल किया जा सकता है.

हाल के दिनों में दिल्ली मेट्रो ने ड्राइवरलेस ट्रेनों की शुरुआत के साथ एक और बड़ा मुकाम हासिल किया है. प्रधानमंत्री मोदी ने 28 दिसंबर को पहली ऐसी ट्रेन का शुभारंभ किया था, जो पश्चिमी दिल्ली के जनकपुरी वेस्ट को नोएडा के बोटैनिकल गार्डन से जोड़ने वाली मैजेंटा लाइन पर चल रही है.

मंगू सिंह ने बताया कि ड्राइवरलेस ट्रेन चलाने के कई फायदे हैं, खासकर ट्रेन की स्पीड को लेकर क्योंकि पहले ट्रेन चलाना शुरू करने और सिस्टम की जांच आदि में काफी समय लगता था.

जून तक, पिंक लाइन भी ड्राइवरलेस हो जाएगी.

डीएमआरसी प्रमुख ने यह भी बताया कि मेट्रो ने लास्ट माइल कनेक्टिविटी के लिए बस मुहैया कराने के उद्देश्य से भी दो करार को अंतिम रूप दे दिया है. उन्होंने बताया, ‘पहली बस तो संभवत: इसी महीने के अंत तक संचालित होने लगेगी और नवंबर तक हम 100 लो फ्लोर बसें उतारने की स्थिति में होंगे.’

दिल्ली मेट्रो के फेज-4 का विस्तार

दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण की विस्तार परियोजनाएं भी जारी हैं और मंगू सिंह के अनुसार, प्रस्तावित छह मेट्रो गलियारों में से तीन का निर्माण पूरा हो चुका है. बाकी के जून तक पूरा होने की उम्मीद है.

जो तीन गलियारे पूरे हुए उनमें एरोसिटी-तुगलकाबाद (16 स्टेशन), आरके आश्रम-जनकपुरी वेस्ट (22 स्टेशन) और मौजपुर-मजलिस पार्क (आठ स्टेशन) शामिल है, जबकि तीन कॉरिडोर लाजपत नगर-चिराग दिल्ली-साकेत जी ब्लॉक (सात स्टेशन), इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ (10 स्टेशन) और रिठाला-नरेला (19 स्टेशन) लंबित हैं.

मंगू सिंह ने कहा, ‘अब तक पूरी प्रक्रिया सुचारू रही है लेकिन बीच में पेड़ काटने की अनुमति सहित कई बाधाएं आईं.’

निगम ने दिल्ली के हरित क्षेत्र माने जाने वाले रिज एरिया में चौथे चरण की परियोजना के निर्माण के संदर्भ में वन एवं वन्यजीव विभाग की अनुमति हासिल करने के लिए आवेदन किया है. इस परियोजना के लिए कम से कम 11,000 पेड़ों को काटने की जरूरत पड़ेगी.

उसी के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसने 11 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित केंद्रीय उच्चाधिकार समिति (सीईसी) से इस मामले पर गौर करने को कहा.

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