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Friday, 22 November, 2024
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अगवा होने के 5 साल बाद मिले दिल्ली के लड़के की DNA रिपोर्ट का इंतज़ार, ‘मां’ ने कहा- नहीं है मेरा बेटा

जब वो 8 साल का था तो उसकी मां के पूर्व प्रेमी ने कथित रूप से उसे अगवा कर लिया था. दिल्ली पुलिस ने बच्चे के इस जून में राजस्थान से ‘पाए जाने’ का दावा किया है लेकिन उसकी पहचान को लेकर सवाल उठाए गए हैं.

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नई दिल्ली: एक अपहरण जांच जिसकी परिणति एक गुमशुदा लड़के और उसे चाहने वाली मां के बीच, खुशी से भरे पुनर्मिलन के रूप में होने की अपेक्षा थी, उसकी पहचान को लेकर एक विवाद में बदल गई है कि क्या वो दरअसल वही है जिसका पुलिस दावा कर रही है.

कहानी अप्रैल 2017 में शुरू होती है जब सूरज नाम के एक बच्चे को, जिसकी उम्र उस समय आठ साल बताई जाती थी, उसकी मां के एक पूर्व प्रेमी अर्जुन लाल दास ने अगवा कर लिया और उसे दिल्ली से बाहर ले गया. दिल्ली पुलिस के अनुसार कथित अगवा के पीछे का मकसद बदला था, क्योंकि लड़के की मां सीमा देवी के साथ उसके रिश्तों में खटास आ गई थी.

एक लंबी और घुमावदार जांच के बाद, जो कई बार एक अंधी गली में पहुंच गई थी, पुलिस ने दावा किया कि उन्होंने आखिरकार सूरज को- जो अब करीब 13 साल का है- इसी साल राजस्थान के एक बाल गृह से बरामद कर लिया था.

पुलिस सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि लड़के की तस्वीर जब सीमा देवी को भेजी गई, तो उसने कहा कि ये वास्तव में लंबे समय से खोया हुआ उसका बेटा था और उसके साथ एक वीडियो कॉल के बाद भी उसने इसी बात को दोहराया था.

लेकिन घटनाक्रम में एक अजीब मोड़ तब आ गया, जब 2 जुलाई को सूरज को आखिरकार दिल्ली लाया गया. सूत्रों ने बताया कि अगले दिन 3 जुलाई को उसे कोर्ट में अपनी मां से फिर से मिलना था लेकिन जब सीमा देवी वहां पहुंची तो उस पर एक नज़र डालते ही उसने ऐलान कर दिया कि वो उनका बेटा नहीं है.

अब कोर्ट के आदेश से कराई गई डीएनए जांच का इंतज़ार किया जा रहा है लेकिन इस बीच पुलिस और सीमा देवी दोनों ज़ोर देकर यकीन जता रहे हैं कि वो सही साबित होंगे.

दिप्रिंट से बात करते हुए सीमा देवी ने आरोप लगाया: ‘पुलिस झूठ बोल रही है. वो चाहते हैं कि मैं किसी और का बेटा ले लूं’.

इस बीच वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कहा कि उन्हें शक है कि सीमा ने कोर्ट में अपने बेटे की शिनाख़्त नहीं की क्योंकि उसके ऊपर अपने ‘मौजूदा पति का दवाब है’ जिसके साथ उसे एक बेटी है.

कहानी के दूसरे किरदार जो इस मामले पर कुछ रोशनी डाल सकते थे, इस स्थिति में नहीं हैं: दास की अगस्त 2021 में मौत हो गई और सूरज जिसे फिलहाल एक ऑब्ज़र्वेशन होम में रखा गया है, उसे चीज़ों को याद रखने में ज़ाहिरी तौर पर समस्या है.


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पॉलीग्राफ, गिरफ्तारी, बरामदगी- लेकिन कोई स्पष्ट जवाब नहीं

मामले से अवगत एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, सूरज अप्रैल 2017 में गुम हो गया था लेकिन एफआईआर, जिसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास है, अक्टूबर में जाकर दर्ज की गई, जब उसकी मां ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के नंद नगरी पुलिस स्टेशन में एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई.

अगले करीब दो साल तक इस मामले में क्या हुआ ये स्पष्ट नहीं है लेकिन 2019 में दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया और पुलिस से कहा कि अगली सुनवाई पर बच्चे को कोर्ट में पेश किया जाए. उसके बाद से ऐसे 23 आदेश जारी किए जा चुके हैं.

जनवरी 2020 में पुलिस दास को पंजाब में ढूंढ निकालने में कामयाब हो गई लेकिन सूत्रों ने बताया कि उसके साथ कोई बच्चा नहीं था.

पुलिस सूत्रों के अनुसार, दास ने एक पॉलीग्राफ या लाई-डिटेक्टर टेस्ट में स्वीकार किया कि अपने रिश्तों को लेकर सीमा से झगड़ा होने के बाद उसने बच्चे का अपहरण किया था लेकिन सूरज बचकर भाग निकला था और उसे मालूम नहीं था कि बच्चा कहा है.

मामले की जानकारी रखने वाले एक पुलिस सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि ऐसा लगता है कि दास और सूरज कुछ समय के लिए किराए के घर में रहे लेकिन फिर मुश्किलें सामने आने पर अलग हो गए.

दास कथित रूप से सूरज को पंजाब ले गया था, जहां वो किराए की जगह में रहने लगे थे. सूत्र ने कहा, ‘अर्जुन का सारा पैसा खत्म हो गया और उसने तथा सूरज ने फुटपाथ पर रहना शुरू कर दिया. यही वो समय था जब सूरज वहां से निकल गया और जालंधर से एक ट्रेन लेकर (राजस्थान के) नागौर पहुंच गया’.

सूत्र ने कहा, ‘दास के इकबालिया बयान के अलावा उसके खिलाफ कोई निर्णायक सबूत नहीं थे’.

फिर भी, दास को गिरफ्तार किया गया और उसके खिलाफ चार्जशीट दायर की गई लेकिन इससे पहले कि केस कुछ आगे बढ़ पाता, जमानत पर बाहर रहते हुए उसकी मौत हो गई.

इस बीच, दिल्ली हाई कोर्ट ने फरवरी 2020 में इस मामले को उत्तर-पूर्वी ज़िला पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) से लेकर अपराध शाखा की एएचटीयू यूनिट को सौंप दिया.

उसके दो साल के बाद पुलिस ने दावा किया कि उन्हें सूरज एक बाल गृह- नागौर की राजस्थान बाल कल्याण समिति में मिल गया, जहां वो कथित रूप से 2021 से रह रहा था.

मामले से परिचित अधिकारी ने बताया कि सीमा देवी से पुलिस टीम के साथ राजस्थान चलने के लिए कहा गया था लेकिन उसने ‘मना कर दिया’. उन्होंने कहा कि फिर उसकी बजाय उसे व्हाट्सएप पर लड़के की एक तस्वीर भेजी गई.

अधिकारी ने कहा, ‘सूरज की एक तस्वीर मां सीमा को भेजी गई और जवाब में उसने कहा कि ये उसका बेटा था. शिनाख्त के लिए एक वीडियो कॉल का भी प्रबंध किया गया और उसने फिर दोहराया कि ये उसका बेटा था’.

उन्होंने आगे कहा, ‘हमने बहुत कोशिशों के बाद बच्चे को बरामद कर लिया. हमने कई राज्यों की बाल कल्याण समितियों के साथ पता किया. बच्चे के फोटो ऑनलाइन डाले गए और हमने बहुत सारी एनजीओ के साथ संपर्क किया’.


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‘मेरा बेटा नहीं’

दिल्ली पुलिस के सूत्रों के अनुसार, बच्चे को जुलाई में राष्ट्रीय राजधानी लाया गया, जिसके बाद चीज़ें नीचे चली गईं.

3 जुलाई को दिल्ली हाई कोर्ट में सीमा ने ज़ोर देकर कहा कि उसके सामने खड़ा लड़का उसका गुमशुदा बेटा नहीं था, जिसके बाद डीएनए जांच के आदेश जारी कर दिए गए.

बाद में सूत्रों ने कहा कि सीमा ने एक निचली अदालत में जांच के लिए अपनी सहमति देने से इनकार कर दिया लेकिन उसकी ये कोशिश कामयाब नहीं हुई.

ऊपर हवाला दिए गए पुलिस अधिकारी ने आगे कहा, ‘कोर्ट में, महिला ने एक आदमी और एक बच्चे का एक फोटो दिखाया और कहा कि वो सूरज है. लेकिन पुलिस ने कहा कि फोटो में दिख रहा व्यक्ति उसका मौजूदा पति है (जिससे उसने सूरज के गुम हो जाने के बाद शादी की). उसके बाद कोर्ट ने आदेश किया कि डीएनए जांच कराई जानी चाहिए’.

12 जुलाई को सूरज और सीमा के डीएनए नमूने लिए गए. नमूनों को जांच के लिए रोहिणी की फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री (एफएसएल) में भेजा गया है.

इस बीच सीमा ने दिप्रिंट के साथ इसी बात पर कायम रही कि उसे यकीन है कि लड़का उसका नहीं है.

सीमा के अनुसार, अपने पहले पति सुभाष पासवान से उसे सूरज समेत तीन बच्चे थे. पासवान के गुजर जाने के बाद उसने दास से संबंध बना लिए लेकिन कुछ समय बाद ही उसे छोड़ दिया.

सीमा ने कहा, ‘अर्जुन एक शराबी था. वो बीमार था. उसके साथ कोई कैसे रह सकता था? इसलिए मैंने उसे छोड़ दिया, और मुझसे बदला लेने के लिए वो मेरे बेटे को ले गया. मुझे लगा कि वो बच्चे को वापस कर देगा लेकिन उसने नहीं किया’.

सीमा ने फिलहाल मयंक प्रसाद नाम के एक व्यक्ति से शादी की हुई है और पुलिस का आरोप है कि उसी ने सीमा को ढूंढे गए बच्चे के साथ किसी भी तरह के संबंध को नकारने के लिए उकसाया होगा.

लेकिन, प्रसाद ने कहा कि उसे सूरज को वापस पाकर खुशी होगी और उसने आगे कहा कि राजस्थान से जो लड़का वापस लाया गया है वो कोई और था. प्रसाद ने कहा, ‘हम सूरज को वापस चाहते हैं. अगर हम इस लड़के को ले लेते हैं, और कल को इसके माता-पिता सामने आ जाते हैं तो क्या होगा?’

पुलिस सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि जहां तक बच्चे का सवाल है, उसने इस मामले पर ज्यादा कुछ नहीं बोला है. अपहरण के समय उसकी उम्र और उन अनुभवों के कारण जो उसने झेले होंगे, उसे याद करने में परेशानी होती है कि वो कहां से आया.

वो तब तक दिल्ली के एक ऑब्ज़र्वेशन होम में रहता रहेगा जब तक डीएनए नतीजे नहीं आ जाते और मामला स्पष्ट नहीं हो जाता.

एफएसएल रोहिणी के एक सूत्र ने बताया कि लैब में लंबित मामलों की वजह से इसमें समय लग सकता है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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